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  • ग्राहक व दूकानदारों के बीच तू-तू,मैं-मैं

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भंडारा. प्रधानमंत्री नि:शुल्क राशन योजना शुरू की गई. कोरोना संक्रमण का खतरा होने के बावजूद राशन दूकानदारों ने जान हथेली पर रख हर ज़रूरतमंद परिवारों को राशन का वितरण किया. बदले में सरकार ने राशन वितरण का देय कमीशन का पूरा भुगतान ही नहीं किया. भंडारा तहसील के 179 में से 59 सरकारी राशन दूकानें ऐसे हैं, जहां पर अब तब नवंबर महीने का राशन नहीं पहुंचा है. ग्राहक हर दिन दूकान में आते हैं. दूकानदार से नकारात्मक जवाब मिलने पर ग्राहक उलझ पड़ते है. जिससे राशन दूकानदार बेहद परेशान है. परेशान राशन दूकानदारों ने गुरुवार को जिला आपूर्ति अधिकारी से मिलकर अपनी परेशानियों को दूर करने का आग्रह किया.

5 महीने का कमीशन भी प्रलंबित

राशन दूकानदारों को माल खरीदने के लिए राशि भुगतान करते समय ही कमीशन काट कर दिया जाता है. कोरोना के दौरान प्रधानमंत्री नि:शुल्क राशन योजना शुरू की गई. प्रति क्विंटल के हिसाब से कमीशन देने की बात कही गई थी. कोरोना संक्रमण का खतरा था, लेकिन सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए राशन दूकानदारों ने जान हथेली पर रख कर काम किया. बदले में कमीशन का पूरा भुगतान ही नहीं किया. अप्रैल से जून के महीने के लिए नवंबर शुरूआत में कमीशन दिया गया. जुलाई से लेकर नवंबर महीने का कमीशन अब तक नहीं मिल सका है. सरकारी लेटलतीफी की वजह से भी राशन दुकानदार परेशान है. 

आपूर्ति अधिकारी से की मुलाकात

गुरुवार को अपनी समस्याओं को लेकर भंडारा तहसील के राशन दूकानदारों ने ज़िला आपूर्ति कार्यालय में दस्तक दी. शिष्टमंडल में राज्य पदाधिकारी ओमप्रकाश थानथराटे, हितेश सेलोकर, शालिनी नागदेवे, सोहेल अहमद, विलास वंजारी, जवाहर थानथराटे, अमित धुर्वे, पांडुरंग मडामे, राजेश आगलावे, ललेंद्र भोंगाडे, श्वेता सेलोकर, करूना वासनिक, दीपावती गोंडाने, रमेश लिमजे, शालिक लांबट, नितिन बागडे, इंदुताई मेश्राम, संजय नागदेवे, सीआर उके, भारत गोंडाने का समावेश था.