RTMNU, nagpur University

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भंडारा. महाराष्ट्र सार्वजनिक वद्यिापीठ कानून 2016 अनुसार वद्यिापीठ यह स्वतंत्र एवं स्वायत्त संस्था है. इसमें सीनेट यह सर्वोच्च सभा है. धारा 29 अनुसार परक्षिा संदर्भ के नर्णिय एवं निति नश्चिति करने यह सीनेट का स्वतंत्र अधिकार है. ऐसे ही राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर वद्यिापीठ के सीनेट सदस्य प्रविण उदापूरे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री एवं सरकार के मंत्री आपस में नर्णिय ले रहे है. मुख्यमंत्री एवं उच्च शक्षिा मंत्री का बयान बेकानूनी है. 11 जनवरी 2017 का महाराष्ट्र अधिनियम क्र. 7 का सिधा उल्लंघन करनेवाला है. उन्होंने इस बारे में एक पत्र महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी को भेजा है. 

फिलहाल राज्य में कोविड 19 के प्रादूर्भाव में जनजीवन अस्ताव्यस्त हो चुका है. वद्यिापीठ के परक्षिा नहीं होने से छात्र संभ्रम में है. ऐसे में मुख्यमंत्री एवं उच्च शक्षिामंत्री आपस में विरोधी बयान दे रहे है. पदवी परक्षिा के लिए 20 जुन को नर्णिय घोषित करेंगे ऐसा बयान इसके पूर्व उच्च शक्षिा मंत्री उदय सामंत ने दिया था. 2 दिन पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाईव्य में बयान दिया कि पदवी की परक्षिा नहीं लेकर छात्रों को सिधे पास किया जाएगा.

इस बयान से राज्य के 10 लाख छात्र एवं अभिभावक संभ्रम में है. परक्षिा संदर्भ के नर्दिेश एवं आदेश निकालना यह कानून अनुसार वद्यिापीठ का कार्य है. इसके लिए सीनेट सभागृह है. जनता द्वारा चुने गए सीनेट प्रतिनिधि सभी के मंजूरी अनुसार नर्णिय लेते रहते है. विशेष परस्थितिि में सरकार केवल विचार व्यक्त कर सकती है. किंतु परक्षिा आयोजन एवं संचालन यह सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. वद्यिापीठ कानून के अनुसार वद्यिापीठ के कार्यक्षेत्र का वद्यिापीठ को अधिकार है. इसलिए नागपुर वद्यिापीठ के परक्षिा संदर्भ में नर्णिय लेने के लिए एक विशेष सीनेट बैठक बुलानी चाहिए एवं इसमें राज्यपाल ने स्वयं उपस्थित रहना चाहिए ऐसी अपील प्रविण उदापुरे ने की है. 

फोटो. प्रविण उदापुरे 

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