पर्यटकों को आकर्षित कर रहा शिवनीबांध जलाशय

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    • नागरिकों के लिए श्रद्धास्थान नंदा गवली कान्हा गवली मंदिर

    साकोली. शिवनिबांध जलाशय के किनारे एक बरगद के पेड़ के नीचे नंदा गवली व कान्हा गवली का सैकड़ों साल पुराना मंदिर है. श्रद्धेय परिसर के नागरिक यहां विवाह समारोहों में भाग लेते हैं, प्रतिज्ञा करते हैं. शिवनीबांध तालाब मछुआरों के लिए प्रसिद्ध है. शिवनीबांध जलाशय पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है. यहां की प्राकृतिक सुंदरता दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रही है. तैराक हमेशा इस जलाशय में तैरने आते हैं.

    तालाबों का शहर भंडारा जिला

    भंडारा जिला महाराष्ट्र में तालाबों के जिले के रूप में प्रसिद्ध है. साकोली से 10 किमी की दूरी पर शिवानीबंध तालाब है. नंदा गवली व कान्हा गवली इस मंदिर के बारे में कई किंवदंतियां हैं. सैकड़ों साल पहले यहां गवली बंधुओं की बस्ती थी. इस तालाब के प्रांगण में उनके छोटे-छोटे घर थे. पशुधन व दुग्ध उत्पादन उनका मुख्य व्यवसाय था. इसके कारण उनके पास बड़ी संख्या में जानवर है. 

    मन्नतें अदा करने के लिए उमड़ती है भीड़

    शिवनिबांध परिसर के आसपास के गांवों के लोगों की आज भी इस जगह पर पूजा करने की परंपरा है, जब विवाह समारोह व संतान होती है तो मन्नते मांगकर पूजा की जाती है. 

    जीर्णोद्धार की प्रतीक्षा 

    भक्तों के पूजा स्थल इस मंदिर के जीर्णोद्धार की जरूरत है. मंदिर पुराना होने के कारण दीवारें जर्जर हैं. भक्तों को धूप व बारिश से बचाने के लिए शेड नहीं है. मरम्मत के लिए कोई आगे नहीं आता है. 

    तालाब में तैरने के लिए भीड़

    शिवनीबांध तालाब में पिछले कुछ वर्षों से राज्य स्तरीय तैराकी प्रतियोगिताएं होती रही है. महाराष्ट्र राज्य के तैराक इस स्थान पर दस्तक देते हैं. सुबह तैराकी के लिए यहां भीड़ रहती है. तैराकी प्रतियोगिता होती है. हालांकि, गवली समाज की याद ताजा करता यह मंदिर शिवनीबांध विकास का इंतजार कर रहा है.