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लाखनी. मानसून काल शुरु हुए दो माह से ज्यादा का समय बीत चुका है. अगस्त का पहला समाप्त होने पर भी उतनी वर्षा नहीं हुई है, जितनी अपेक्षित थी. वर्षा के अभाव में धान की रोपाई का काम भी अधर में लटक गया है. किसानों को वर्षा का बेसब्री से इंतजार है, क्योंकि तेज वर्षा के बाद ही वे अपनी बकाया रोपाई का काम पूरा कर पाएंगे. लाखनी के किसान इस बात से बेहद परेशान हैं कि पिछले तीन सप्ताह में मानसूनी वर्षा नहीं हुई है, एक तरह से लाखनी में अकाल जैसी स्थिति बनी हुई है. 

मानसूनी दौर के आरंभ में अच्छी वर्षा होने के कारण किसानों ने रोपाई काम में तेजी दिखायी. कुछ किसानों ने को वर्षा का इंतजार न करके नदी, कुओं का पानी लेकर रोपाई का काम शुरु कर दिया. पिछले तीन सप्ताह से वर्षा न होने के कारण किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं. तहसील में अब तक 65 प्रतिशत रोपाई का काम हो सका है. लाखनी, पिंपलगांव (सड़क), पोहरा, मुरमाडी (तुपकर) तथा पालांदूर राजस्व मंडल में 22, 631 हेक्टर क्षेत्र में धान फसल की पैदावार होती है. जुलाई माह के अंत तक 14, 674 हेक्टर क्षेत्र में धान रोपाई का काम हो पाया था. जिन किसानों ने रोपाई का काम पूरा कर लिया है, उन्हें अपनी धान की फसल को बचाना है. धान की फसल उसी हालत में बच सकती है, जब उसे पर्याप्त पानी मिले. किसान पानी के अभाव में धान की रोप को पीले होता देखकर हर दिन परेशान हो रहे हैं. जिन क्षेत्रों में अकाल जैसी स्थिति बनी है, उस क्षेत्रों के किसान वर्षा की इसलिए प्रतीक्षा कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें रोपाई करनी है और जिन किसानों ने रोपाई कर ली है, उन्हें वर्षा का इंतजार इसलिए हैं कि वे खेत में रोपे गए धान को पीले होने से बचा लें. 

नेरला उपसा सिंचाई परियोजना के जलाशय से नर्सरी से धान के रोप को जीवित रखा जा सके, इस उद्देश्य से जलापूर्ति की जा रही है, लेकिन नियोजन के अभाव में यह पानी अंतिम छोर तक नहीं पहुंचता है. सिंचाई के लिए गांव-गाव में विवादित परिस्थिति उत्पन्न हो रही है. अनेक किसानों ने शिकायत की है कि बिजली की अनियमितता से उन्हें कृषि कार्य में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हर दिन केवल 8 घंटे बिजली आपूर्ति होने से कृषि पंप का लाभ किसानों को उचित तरीके से नहीं मिल पा रहा है.