डांबरीकरण की प्रतीक्षा में है पालांदूर का मुख्य रास्ता

  • .एक वर्ष पूर्व मंजूर हुई निधि कहां गई?

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पालांदूर. एक वर्ष पहले ही पालांदूर के मुख्य रास्ते के लिए निधि मंजूर होने के बावजूद रास्ते का डांबरीकरण क्यों हुआ, यह सवाल आज पालांदूर का हर व्यक्ति पूछ रहा है.  कभी बहुत अच्छा कहा जाने वाला यह मार्ग आज इस रास्ते की दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. पालांदूर गांव से जाने वाला यह मार्ग  मुख्य रस्ता इतना खराब हो गया है कि लोग यह कहने को मजबूर हो गए हैं कि किसने इस रास्ते की हालत इतनी खराब कर दी है. संबंघित विभाग तथा जिला प्रशासन इस रास्ते की हालत पर जरा-जरा सा भी ध्यान नहीं दे रहा है. इस कारण  स्थानीय जनता संबंधित विभाग पर बेहद नाराज है.   

डिजीटल इंडिया, बुलेट ट्रेन तथा मेट्रो रेल योजना पर करोड़ों रुपए खर्च करने की वाली सरकार का ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों के रास्तों की हालत सुधारने की ओर क्यों नहीं है, यही सबसे बड़ा सवाल है. गांव के रास्ते सीमेंट तथा डांबर से बनी तो जरूर लेकिन समय-समय पर मरम्मत न किए जाने के कारण रास्ते की हालत लगातार खराब हो चली गई और आज हालत यह है कि वहां रास्ता है भी कि नहीं, इसका भी पता नहीं चलता.

पालांदूर का मुख्य रस्ता दो दशक पहले डांबरीकरण करके तैयार किया गया, फिर भी इस रास्ते पर हुए गड्ढो को पाटने में जिला प्रशासन को कोई रस नहीं है. रेत-मिट्टी से गड़्ढों को पाटा जाता है, ऐसी हालत में वर्षा काल में रास्तों की स्थिति‘जैसे थे हो जाती है. ठेकेदारों के लिए यह काम लाभदायक है, क्योंकि  मरम्मत के नाम पर कमाई करने को मिलती है.

पालांदूर गांव से वाकल तक जाने वाला मुख्य रस्ता डांबरीकरण झालेला रस्ता आज पूरी तरह से खराब हो गया है. बहुत सी जगह पर जानलेवा गड्ढ़े हैं. डांबर न होने के कारण रास्ते की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई है. पालांदूर के आसपास स्थित गांव में आने-जाने तथा रेत तस्करों के ट्रैक्टर रास्तों पर सुबह से तक जारी रहता है. बहुत खराब अवस्था वाले रास्तों पर वाहन चालवित चलाते समय बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है. थोड़ी नज़र चुकने पर दुघर्टना होने की आशंका सदैव बनी रहती है. संवेदनलहीन जिला प्रशासन जनता की सहनशीलता की परीक्षा ले रही है. जनप्रतिनिधि इस रास्ते को सुधारने के लिए तैयार नहीं है. पिछले वर्ष हुए जि. प. उपचुनाव में निर्वाचित हुए सदस्यों ने पालांदूर के एक किमी मुख्य रास्ते के लिए 30 लाख रुपए की निधि मंजूर होने संबंधी समाचार प्रकाशित हुआ था तथा रास्ते की जांच पड़ताल शुरु हुई. एक वर्ष के कार्यकाल त जाने के बाद यह कहा जा रहा है कि पालांदूर के मुख्य के निर्माण के लिए 30 लाख रूपए की निधि मंजूर की गई है, लेरिन अभी-भी मुख्य रास्ते की मरम्मत का काम शुरु नहीं हुआ है.

उल्लेखनीय है कि पालांदूर गांव से बाहर जाने वाला बायपास रस्ता 30 वर्षों से अंधेरे में हैं.बार-बार ज्ञापन तथा पूछताछ  करके तथा निधि उपलब्ध होने के बाद भू-संपादन प्रक्रिया के कारण यह रास्ता अधर में लटका हुआ है, ऐसा उप सरपंच हेमराज कहना है. पालांदूर के मुख्य रास्ते पर होने वाला आवागमन पहले की तुलना में बढ़ा है.  

समस्या का करें समाधान

पूर्व तथा वर्तमान विधायक ने निवेदन दिया है तथा उसके लिए लागातार आवाज भी बुलंद की. भू-संपादन कार्यालय जल्दी से जल्दी पूछताछ करके इस समस्या का समाधान किया जाए,

पंकज (धम्मा) रामटेके,सरपंच, ग्रामपंचायत (पालांदूर)