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  • कोरोना काल में भी नहीं की गई रिक्त पदों पर भर्ती

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भंडारा (का). गरीब परिवार के मरीजों का आधार स्तंभ बने जिला सामान्य अस्पताल के साथ-साथ उप जिला अस्पताल में कोरोना विषाणु के संक्रमण काल में भी अधिकारियों तथा कर्मचारियों को मिलाकर 317 पद रिक्त हैं. इस वजह से अन्य कर्मचारियों पर अतिरिक्त तनाव बढ़ रहा है. अधिकारियों तथा कर्मचारियों की कमी का असर जिले के शहरी तथा ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों के मरीजों के इलाज पर असर पड़ रहा है.

सरकारी अस्पताल में चिकित्सा की अत्यंत निकृष्ट दर्जा होने के कारण इन अस्पतालों में इलाज कराने से लोग कतरा रहे हैं. निजी अस्पतालों में अच्छी सुविधाएं होने के कारण मरीज के परिज मरीज को इलाज के लिए वहीं ले जाना पसंद कर रहे हैं. लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहे इसके लिए वे सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए नहीं जाते. आपत्काल की स्थिति में नागरिकों को तुरंत चिकित्सा सुविधा मिल सके, इसके लिए जिला सामान्य अस्पताल के साथ-साथ उप जिला अस्पताल के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल का निर्माण किया गया. भंडारा जिला सामान्य अस्पताल के अधीनस्थ काम करने वाले तुमसर तथा साकोली इन दोनों स्थानों पर उपजिला अस्पताल हैं, जबकि 7 ग्रामीण अस्पताल हैं. इन सात ग्रामीण अस्पतालों मॆं पवनी, लाखांदूर, मोहाडी, लाखनी, सिहोरा, अड्याल तथा पालांदूर का समावेश है.

जिले में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. कोरोना पॉजिटिव मरीजों के साथ-साथ अन्य रोगों के मरीज भंडारा के जिला सामान्य अस्पताल में भर्ती किए जा रहे हैं. भंडारा शहर राष्ट्रीय महामार्ग पर स्थित है. इस कारण यहां दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है, इस वजह से यहां दुर्घटना होने की स्थिति में जिला अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या ज्यादा रहती है. भंडारा के जिला अस्पताल में केवल भंडारा के ही नहीं, बल्कि नागपुर, गोंदिया के साथ-साथ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्य के मरीज भर्ती किए जाते हैं, इस वजह से अस्पताल प्रशासन काम का बोझ बहुत ज्यादा बढ़ गया है. मरीजों की संख्या क्षमता से ज्यादा होने के काऱण अस्पताल में दी जाने वाली सुविधाएं कम पड़ रही हैं. जिला सामान्य अस्पताल में गरीब परिवार के लोगों का उपचार होता है और गरीब तबके के लोग इलाज के लिए जिला अस्पताल के अलावा किसी अन्य अस्पताल में नहीं जाते. आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण गरीब परिवार के मरीजों को जिला अस्पताल के अलावा किसी अन्य अस्पताल में जाने की स्थिति में नहीं रहते. कई बार तो स्थिति ऐसी हो जाती है कि बीमारी के तड़पते गरीब मरीज का इलाज भी नहीं हो पाता, इस वजह से उनका जीवन खतरे में पड़ जाता है.

जिला अस्पतालों में काम का बोझ बढ़ने के बावजूद रिक्त पदों पर नियुक्ति न होने के जिला सामान्य अस्पताल में रिक्त पदों का न भरा जाना किसी आश्चर्य से कम नहीं है. यहां आने वाले मरीजों की संख्या को देखते हुए अगर रिक्त 317 पदों पर नियुक्तियां हो जाए तो जिला सामान्य अस्पताल में भर्ती मरीजों का इलाज अच्छी तरह से होगा और अस्पताल के डॉक्टरों तथा वहां के अधिकारियों तथा कर्मचारियों के काम का बोझ कम होगा.