भंडारा (का). जिले में अभी भी 2 अलग-अलग शहरी व ग्रामीण संस्कृतियां हैं. ग्रामीण संस्कृति में गांव का पार यानि सार्वजनिक ओटा महत्वपूर्ण है. कोरोना के कारण अब चौपाल पर होनेवाली चर्चा गायब हुई है. चौपाल एक ग्रामीण संस्कृति में माध्यम के रूप में महत्व की भूमिका निभाता है. ऐतिहासिक संचय फिलहाल इतिहास जमा होते दिख रहा है.
ग्रामीण क्षेत्रों में जनजागृति के लिए चौपाल माध्यम महत्व का स्थान है. ग्रामीण क्षेत्र में ओटा गांव के केंद्र में एक पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे एक गोलाकार आकार में बनाया जाता है. चौपाल पर गांव के महत्व के निर्णय लिए जाते थे. प्रक्रिया में गांव के पाटिल, सरपंच तथा गांव के सभी नागरिक शामिल रहते थे.
गांव के लोगों के विवादों का निराकरण किया जाता था. ग्रापं भी निर्णय सुनाती थी. गांव के स्कूल भी इसके पूर्व में चौपाल पर ही होते थे. गांव के छात्र इकठ्ठा होकर शिक्षा लेते थे. इस स्थान पर गांव के विकास से लेकर राजनीति तक की पूरी चर्चाएं होती थी. अब ग्रापं के निर्माण के बाद चौपाल पर ग्रापं लगना बंद हुआ है, किंतु कुछ प्रमाण में आज भी चौपाल पर चर्चाएं होने का दिखाई देता है.