सिहोरा (सं). पिछले वर्ष 6 गांवों को दाहिने नहर से ग्रीष्मकालीन धान की फसल की सिंचाई से दूर रखा गया था. इस वर्ष इन 6 गांवों को शामिल करने के लिए ग्रामीण सचिवालय में हुई सर्वदलीय बैठक को बिना किसी निर्णय के खारिज कर दिया गया. इसके कारण यह विषय अब कार्यकारी अभियंता के पास चला गया है.
इस वर्ष ग्रीष्मकाल में धान की बुआई के लिए चांदपुर जलाशय का पानी छोड़ा जाएगा. बाई नहर के गांवों का रोटेशन होने के कारण सिंचाई विभाग ने 15 गांवों में ढाई हजार हेक्टेयर कृषि को सिंचित करने की योजना बनाई है. इसमें टेल के गांवों को दूर रखा गया. बाई नहर के गांवों को जल वितरण की योजना है. इस कारण सिंचाई विभाग बेफिक्र है.
नहीं करेंगे जलकर का भुगतान
इस बीच, पिछले वर्ष दाई नहर के 17 गांवों को ग्रीष्मकाल में धान के लिए पानी दिया गया था. इसमें येरली वितरण के तहत गांव शामिल थे, लेकिन इस नहर के मध्य क्षेत्र में बोरगांव, सिहोरा, मच्छेरा, सिलेगांव सिंदपुरी, वाहनी के गांवों को छोड़ दिया गया. चांदपुर जलाशय में पानी का पर्याप्त भंडारण है, इसलिए यह परित्यक्त गांव जल वितरण के लिए आग्रही है. सीतेपार, तामसवाड़ी, करकापुर, रेंगेपार इन गांवों को ग्रीष्मकालीन धान के लिए सिंचाई से वंचित रखा गया, इसलिए सरपंच गजानन लांजेवार ने चेतावनी दी है कि सिंचाई का लाभ प्राप्त होने तक जल कर का भुगतान नहीं किया जाएगा.
किसान असमंजस में
बैठक में लगभग 4 घंटे की चर्चा के बाद भी, जल वितरण के निर्णय पर कोई निर्णय नहीं हुआ. इसके कारण किसान फिर से असमंजस है. बैठक में पूर्व सभापति धनेंद्र तुरकर, पूर्व सभापति कलाम शेख, सरपंच मधु अड़माचे, थानेदार नारायण तुरकुंडे, शाखा अभियंता गंगाधर हटवार, दिकवार, सरपंच गजानन लांजेवार, सरपंच उमेश कटरे, पूर्व सरपंच छगनलाल पारधी, सहादेव तुरकर व किसान उपस्थित थे.