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  • तहसील के किसानों ने उठाया सवाल

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भंडारा. मानसून शुरू होते ही जब अच्छी वर्षा हुई तो किसानों में इस बात को लेकर आस जगी थी कि मौसम विभाग ने जो भविष्यवाणी की थी, वह सच होने जा रही है, लेकिन अल्प दिनों के बाद जब वर्षा ने मुंह मोड़ लिया तो किसानों के चेहरे मायूस हो गए और किसानों के समक्ष इस बात को लेकर चिंता व्याप्त हो गई कि फसलों का उत्पादन कैसे होगा. शुरूआती मानसूनी वर्षा की वजह से किसानों के चेहरे खिल उठे थे, उन्हें लगा था कि इस वर्ष भगवान की विशेष कृपा है, लेकिन अचानक भगवान रूख गए और वर्षा न जाने कहां गायब हो गई और किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें स्पष्ट रूप से देखी जाने लगी. किसानों के पास बीज, कीटनाशक खरीदने के लिए पैसे नहीं बचे हैं. किसानों को बैंक की ओर से फसल कर्ज दिया जाएगा, ऐसा सरकार की ओर से बार बार कहा जा रहा हो, वाबजूद इसके किसानों को अभी तक फसल कर्ज नहीं दिया गया है. फसल कर्ज के लिए लगने वाले प्रमाण पत्रों को जुटाने के लिए किसानों को बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, इस कारण किसानों में घोर निराशा व्याप्त हो गई है. 

पिछले सप्ताह एक दो छोड़कर बाकी दिन मौसम शुष्क ही रहा. किसानों को सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता है, लेकिन वर्षा न होने के कारण किसानों के समक्ष इस बात की चिंता व्याप्त हो गई है कि वे सिंचाई कैसे करेंगे. पानी के अभाव में रोपाई का काम भी लंबित पड़ा है. किसान तेज वर्षा की प्रतीक्षा कर रहे हैं. 

पिछले पांच माह से कोरोना महामारी के कारण कोरोबार पर प्रतिकूल असर पड़ा. कोरोना काल में जो भी जमापूंजी थी, वह खत्म हो गई, ऐसे में किसानों की हालत ऐसी हो गई है कि वे कुछ भी खरीदने की स्थिति में नहीं हैं. किसानों की हालत यह हो गई है कि वे न तो बीज खरीदने की स्थिति में हैं और न कीटनाशक, ऐसे में किसानों की चिंता बहुत ज्यादा बढ़ गई है. 

किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सामाजिक संगठन, विभिन्न राजनीतिक दल जल्दी से जल्दी किसानों को फसल कर्ज दिलवाने की व्यवस्था करें. इस मांग को कब पूरा किया जाएगा, इस ओर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. किसानों का कहना है कि सरकार फिलहाल इतनी कर्ज राशि उपलब्ध करा दें कि किसान बुवाई का काम आसानी से पूरा कर सकें.