शहर में क्यों नहीं आ सकती मेट्रो? उदासीनता: राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, नई पीढ़ी का सपना साकार करें

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    भंडारा. पिछले साल चोरीछिपे रेल पटरी उखाड़ने का काम शुरू किया गया. जब हो हल्ला हुआ तो लाकडाउन में जमावबंदी के नियम,  रेलवे के नियम और रेलवे पुलिस का डर दिखाकर लोगों की भावनाओं को कुचलते हुए पटरी हटाया गया. इस पूरे मामले में जनप्रतिनिधि लगभग मूकदर्शक बने रहे.

    यह नेतागण भूल गए कि आयुध निर्माणी जवाहरनगर से भंडारा रोड रेलवे स्टेशन तक रेल पटरी की मौजूदगी एवं भंडारा शहर के बीचोंबीच 50 एकड़ के लगभग भूमि की बदौलत भंडारावासी रेलवे स्टेशन एवं नियमित ट्रेनों का 7 दशक से सपना देखती रही है. नई पीढ़ी को भंडारा शहर में मेट्रो स्टेशन का सपना दिखाया जा सकता था. लगभग हर चुनाव में भंडारा शहर रेलवे स्टेशन भुनाया जाता था. लेकिन रेल पटरी उखाड़ने पर जब नेताओं ने उफ तक नहीं की.

    लोग समझ गए कि दाल में कुछ काला है. राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव  ही  जिले के विकास में रोड़ा साबित हो रही है. लोगों की इच्छा है कि भंडारा शहर तक मेट्रो आना चाहिए. इसके लिए जनप्रतिनिधियों को अपने कर्मसिद्धांत का पालन करते हुए संबंधित पटल पर मुद्दा उठाना चाहिए.

    न जमीन अधिग्रहण और न मुआवजे की चिंता

    जब मार्ग निर्माण या विस्तारीकरण की योजना बनती है. सबसे बड़ी चिंता भूमि अधिग्रहण की होती है. खासतौर से शहरी इलाके में महंगी जमीन को खरीदना मुश्किल हो जाता है. भंडारा से गुजरते खात रोड फोर लेन रोड इसी चक्कर में लटका हुआ है. हैरानी इस बात की होती है कि जब वरठी से लेकर जवाहरनगर तक 22 किमी की दूरी पर डबल लाइन ब्राडबेज के हिसाब से भूमि सरकार के मालकियत की है. भंडारा में 50 एकड़ से भी ज्यादा का पट्टा रेलवे के पास में है तो भंडारा में मैट्रो लाइन आने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए.

    लागत से मुनाफा ज्यादा

    व्यापार का सामान्य तत्व यही है कि जो लागत लग रही है. उसकी तुलना में मुनाफा अधिक होना चाहिए. नागपुर मेट्रो पर 8 हजार करोड़ रु. से ज्यादा का खर्च हुआ. लेकिन मेट्रो आज भी फायदे में नहीं है. वरठी से भंडारा शहर में रेलवे को केवल पटरी बिछाने एवं रेलवे स्टेशन बनाने का खर्च ही करना है. मेट्रो पहले दिन से फायदे में रहेगी.

    क्षेत्र का होगा सर्वांगीण विकास :  निंबार्ते 

    पूर्व सिनेट सदस्य तथा नगरसेवक महेंद्र निंबार्ते ने कहा कि वरठी तक आ रही मेट्रो भंडारा शहर तक  आएगी. तभी सर्वांगीण विकास हो सकेगा. इस पर जनप्रतिनिधियों को मजबूती से पक्ष रखना चाहिए.

    उद्योग व शिक्षा क्षेत्र का भी विकास : शेख

    जिला पर्यावरण समिति सदस्य तथा एमआयईटी में स्थापत्य अभियांत्रिकी विभाग प्रमुख प्रा. शाहिद शेख ने कहा कि भंडारा शहर तक मेट्रो लाने के दूरगारी परिणाम होंगे. उद्योग से लेकर शिक्षा सभी क्षेत्र में विकास होगा.

    भंडारा तक लाएं तो फायदा : पटेल

    कांग्रेस के युवा नेता आवेश पटेल ने कहा कि नागपुर में हजारों करोड रु. खर्च के बावजूद मेट्रो घाटे में है, उसे यात्री नहीं मिलते. सफेद हाथी बन चुकी है. अगर भंडारा तक लाया जाए तो मेट्रो फायदे में आएगी.

    जनआंदोलन करना जरूरी : नासरे

    इंजीनियर  संजय नासरे का कहना है कि  मेट्रो भंडारा में आए इसके लिए जनआंदोलन आवश्यक हो चुका है. क्योंकि अकर्मण्य जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हुए है.

    समय व पैसों की होगी बचत : ब्राम्हणकर

    शोभा ब्राम्हणकर ने कहा कि वरठी तक जाने में आधा घंटा और 30 रु. खर्च होगा. समय और पैसा ज्यादा लगे तो क्या फायदा? मेट्रो भंडारा तक ही आनी चाहिए.

    फोटो : शोभा ब्राम्हणकर

    चुनाव के बाद स्वार्थी हो गए नेता : मते

    ओबीसी क्रांति मोर्चा संयोजक संजय मते ने कहा कि चुनाव जितने के बाद नेता स्वार्थी हो गए है. पूरानी पटरी उडखना यही सबसे बडी विफलता है. मेट्रो के लिए नेताओं को प्रयास करना चाहिए.

    भंडारा में ट्रेन आने का सपना

    भंडारा रोड से जवाहरनगर के बीच रेलवे पटरी उखाड़ने का काम शुरू हुआ. तब भंडारावासियों के आंखों में आंसू थे. लोग इस वाकिए को भूल नहीं पाए हैं. लोगों का उम्मीद है कि भंडारा शहर में रेलवे स्टेशन बनेगा और मेट्रो भी आएगी. ओबीसी क्रांति मोर्चा द्वारा सोमवार को जिला प्रशासन के माध्यम से केंद्र एवं राज्य सरकार को ज्ञापन भेजा जाएगा कि मेट्रो को भंडारा शहर तक लायी जानी चाहिए.

    कोशिश करें तो संभव

    रेलवे मामले के जानकारों के अनुसार नागपुर से वरठी-गोंदिया तक मेट्रो का डीपीआर पर काम शुरू है.   अभी अगर हस्तक्षेप किया जाता है. भंडारा शहर में मेट्रो को सपना साकार हो सकता है.