प्राइमरी टीचर से सीधे बनी IAS अफसर, आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर रोज़ चलती थीं 36 किलोमीटर पैदल

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शिक्षा का महत्त्व आज के दौर में हर कोई जानने लगा है। यह हमारे जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इस बात को अब बच्चा बच्चा जनता है। शिक्षा अब ज़रूरत के साथ साथ सबका अधिकार भी है। एक शिक्षा ही है जो हमें सही और गलत के बारे में समझाता है और हमारा मार्गदर्शन करता है। शिक्षा की शुरुआत प्राईमरी क्लास से ही होती है। बच्चों को बेसिक नॉलेज और संस्कार देने का काम प्राइमरी शिक्षक ही करते हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक प्राइमरी शिक्षक की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिन्होंने बच्चों को पढ़ाते-पढ़ाते खुद के सपने को भी पूरा किया है।

यह वह शिक्षक है, जो प्रतिदिन 36 किलोमीटर पैदल चलकर बच्चों को पढ़ाने जाती थीं। वह शिक्षिका ने खुद के सपने को पूरा करने के लिए यूपीएससी की तैयारी की और आज एक IAS अफसर बन गई। IAS की पढ़ाई इतनी आसान नहीं होती है। लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने IAS बनने का ख्वाब देखा और उसे पूरा किया। 

उस शिक्षका का नाम सीरत फातिमा है, जो उत्तरप्रदेश के प्रयागराज के गांव जसरा (Jasara) की रहने वाली हैं। सीरत के पिता लेखपाल हैं। वह अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। इस वजह से उनके प्रति परिवार की अपेक्षाएं अधिक थीं। सीरत के पिता की आमदनी इतनी अच्छी नहीं थी, जिसकी वजह से उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी। फातिमा का ख्वाब था कि वह पढ़-लिखकर एक बड़ा आधिकारी बने। लेकिन उनके घर की परिस्थितियां उनके सपने में रोड़ा बना हुआ था। जिसकी वजह से उनके सपने को हकीकत होने में थोड़ा समय लग गया। फातिमा ने अपने परिवार की आर्थिक रूप से मदद करने के लिए वह प्राईमरी स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करने लगी। 

फातिमा बताती है कि यदि वह इस नौकरी को स्वीकार नहीं करती तो उनके भाई-बहन को शिक्षा ग्रहण करने मे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता। इसलिए उन्होंने प्राईमरी शिक्षक की नौकरी में स्वीकार किया, लेकिन अधिकारी बनने का सपना उन्होंने कभी तोड़ा नहीं।फातिमा ने शिक्षक की नौकरी करने के साथ ही UPSC की तैयारी भी की। 

इस बारे में फातिमा बताती हैं कि जब भी वह अपने साथी शिक्षक को बतातीं कि वह यूपीएससी की तैयारी कर रही हैं, तो उनके साथी कहते थे कि इतने बड़े सपने मत देखो। इस एग्जाम को क्लियर करने के लिए कोचिंग करनी पड़ती है। लेकिन फातिमा के लिए प्राईमरी शिक्षक की नौकरी बहुत आवश्यक थी। इसलिए उन्होंने कहीं से कोई कोचिंग नहीं की और नौकरी के साथ ही पूरी तैयारी की। फातिमा प्रतिदिन 36 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल का सफर तय करती थीं। ऐसे में दिन भर की थकान होने के बाद पढ़ाई करना सरल नहीं होता है। परंतु फातिमा ने अपने सपने को सच करने के लिए घोर परिश्रम किया। 

सीरत फातिमा ने शिक्षक का कर्त्वय पूरा करते हुए यूपीएससी में दो बार प्रयास किया था। लेकिन वह असफल रहीं। उसके बाद उन्होंने पूरी तैयारी के साथ तीसरा प्रयास किया, लेकिन फिर भी वह असफल ही रहीं। इतनी बार निराशा हाथ लगने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिर से दुगुनी मेहनत के साथ तैयारी में जुट गईं। उसके बाद फातिमा की मेहनत रंग लाई। वर्ष 2017 में अपने चौथे प्रयास में वह ऑल इंडिया 810वीं रैंक के साथ सफलता प्राप्त की और अपने पिता का सपना पूरा किया। उनका सपना था कि काश उनकी बेटी भी बड़ी अधिकारी होती। फातिमा ने पिता के इस सपने को पूरा कर दिया। 

सीरत फातिमा इंडियन एंड ट्रैफिक सर्विस मे कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी सफलता की खुशी स्कूल में बच्चों को मिठाई खिलाकर बांटी थी। सीरत फातिमा की शादी भी हो चुकी है। फातिमा ने कभी भी अपने सपने के साथ समझौता नहीं किया। यूपीएससी क्लियर करने के बाद फातिमा अपने रैंक को सुधारने और उच्च पद को प्राप्त करने के लिए प्रयास करती रहती हैं। उनके इस जज़्बे से सबको सिख लेनी चाहिए।