भारत मना रहा है अपना 74वा स्वतंत्रता दिवस

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15 अगस्त हर भारतीय के लिए महत्त्व रखता है. इस साल हम 74वा स्वतंत्रता दिवस माना रहे हैं. 15 अगस्त 1947 का दिन भारत के इतिहास का सर्वाधिक भाग्यशाली और महत्वपू्र्णं दिन था. वह दिन जब हमारे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर भारत देश के लिये आजादी हासिल की. भारत की आजदी के साथ ही भारतीयों ने अपने पहले प्रधानमंत्री का चुनाव पंडित जवाहर लाल नेहरु के रुप में किया, जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के लाल किले पर तिरंगे झंडे को पहली बार फहराया.आज हर भारतीय इस खास दिन को एक उत्सव की तरह मनाता है. 

15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता को याद करने के लिये, हर साल भारत के लोगों द्वारा स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. इस दिन, भारत के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिनके नेतृत्व में भारत के लोग सदा के लिये आजाद हुए. 15 अगस्त के दिन को लोग अपने-अपने अंदाज में मनाते हैं. कोई मित्रों और परिवार के साथ इस दिन को यादगार बनाता है, तो कोई देशभक्ति गानों और फिल्मों को देख झूमता है. साथ ही कई ऐसे भी होते हैं, जो इस दिन कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर स्वतंत्रता दिवस के महत्व को प्रचारित-प्रसारित करते हैं.

15 अगस्त 1947, स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद जवाहर लाल नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने जिन्होंने दिल्ली के लाल किले पर भारतीय झंडा फहराने के बाद भारतीयों को संबोधित  किया. इसी प्रथा को आने वाले दूसरे प्रधानमंत्रीयों ने भी आगे बढ़ाया जहां झंडारोहण, परेड, तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि हर साल इसी दिन आयोजित किए जाते हैं. कई लोग इस पर्व को अपने वस्त्रों पर, घर तथा वाहनों पर झंडा लगा कर मनाते हैं.

15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को अपने भाषण ‘नियति से साक्षात्कार’, के साथ पंडित जवाहर लाल नेहरु ने भारत की आजादी की घोषणा की थी. साथ ही उन्होंने अपने भाषण में कहा कि, “वर्षों की गुलामी के बाद ये वो समय है जब हम अपना संकल्प निभाएंगे और अपने दुर्भाग्य का अंत करेंगे.”

महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन की वजह से हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को खूब मदद मिली और 200 साल के लंबे संघर्ष के बाद ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी. स्वतंत्रता के लिये किये गये कड़े संघर्ष ने उत्प्रेरक का काम किया, जिसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने अधिकारों के लिये हर भारतीय को एक साथ किया, चाहे वो किसी भी धर्म, वर्ग, जाति, संस्कृति या परंपरा को मानने वाले हो. यहां तक कि अरुणा आसिफ अली, एनी बेसेंट, कमला नेहरु, सरोजिनी नायडु और विजय लक्ष्मी पंडित जैसी महिलाओं ने भी चुल्हा-चौका छोड़कर आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. भारत एक ऐसा देश है जहां करोड़ों लोग विभिन्न धर्म, परंपरा, और संस्कृति के एक साथ रहते हैं, और स्वतंत्रता दिवस के इस उत्सव को पूरी खुशी के साथ मनाते हैं.