File Phtoto
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आज यानि 10 सितंबर को विश्व स्तर पर आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) मनाया जाता है। आजकल लोगों में अवसाद लगातार बढ़ते ही जा रहा है। जिस वजह से आत्महत्या का दर भी बढ़ रहा है। पिछले कुछ सालों में भारत ही नहीं दुनिया भर में खुदकुशी की घटनाएं तेज़ी से बढ़ रही हैं। कोरोना काल के दौरान भी में आत्महत्या का रेट लगातार बढ़ रहा है, लोगों में हताशा और निराशा की वजह से लोग सुसाइड करने पर मजबूर हो रहे हैं। वहीं, देखा जा रहा है कि आजकल हर उम्र के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं, बच्चों से लेकर बूढ़े भी आत्महत्या कर रहे हैं। 

इतिहास-
आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए यह दिवस 2003 में शुरु किया गया था। इसकी शुरुआत आईएएसपी (इंटरनेशनल असोसिएशन ऑफ सुसाइड प्रिवेंशन) द्वारा की गई थी। हम आर्थिक विकास की दौड़ में भाग रहे हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य में कहीं पीछे रह गए हैं। साल 2018 में आई WHO की रिपोर्ट ने हमें चेतावनी दी थी कि भारत में खुदकुशी एक महामारी का रूप लेती जा रही है। विश्व के शीर्ष 20 देश, जहां लोग हर पल अपनी जान देने को उतारू रहते हैं, उनमें भारत भी शुमार है। अब भी एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में करीब 8 से 10 लाख लोग खुद अपनी जान दे देते हैं। ऐसे में हताशा और निराशा की कल्पना की जा सकती है।

World Suicide Prevention Day Theme 2020-
इस वर्ष आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) की थीम “Walking Together To Prevent Suicide” यानी ‘आत्महत्या की रोकथाम के लिए साथ काम करना’ रखी गई है। 

आत्महत्या का डेटा-
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। हर साल लगभग 8 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या कर लेते हैं। जबकि इससे भी अधिक संख्या में लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं। यह स्थिति बहुत डराने वाली है। इससे पता चलता है कि आज के टाइम में लोगों में कितना ज्यादा मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। । इस डेटा के मुताबिक दुनियाभर में 79 फीसदी आत्महत्या निम्न और मध्यवर्ग वाले देशों के लोग करते हैं।

महत्त्व-
सुसाइड कमिट करने की दर पुरुषों की ज़्यादा है। बच्चे भी अब इसकी चपेट में आने लगे हैं। इसको रोकने के लिए लगातार इस दिवस के ज़रिए प्रयास किए जाता है। इस दिन मानसिक स्वास्थ के प्रति जागरुकता फैलाकर आत्महत्या जैसे मामलों को काफी हद तक रोकाने का प्रयास किया जाता है। 

राज्य में सबसे ज़्यादा आत्महत्या-
आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज हुए हैं। यहां  वर्ष 2019 में 18,916 लोगों ने आत्‍महत्‍या की है। इसके बाद तमिलनाडु में ये आंकड़ा 13,493, पश्चिम बंगाल में 12,665, मध्य प्रदेश में 12,457 और कर्नाटक में 11,288 रहा है. पूरे देश में हुई आत्‍महत्‍याओं के मामलों में से अकेले इन 5 राज्‍यों में ही करीब 49.5 फीसद मामले सामने आए हैं।