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    स्तनपान मां और बच्चे के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है। जो बच्चे अपनी मां के दूध का सेवन करते हैं उनमें सांस की बीमारी, एलर्जी, एक्जिमा, अस्थमा, क्रोहन और कोलाइटिस होने की सम्भावना ज्यादा नहीं रहती है। इन बच्चों में डायबिटीज 1 और डायबिटीज 2 होने का भी खतरा नहीं रहता है। जिन बच्चों का अच्छे से स्तनपान हुआ होता है उन्हें चाइल्डहुड कैंसर जैसे कि ल्यूकोमा और लिम्फोमा होने का भी खतरा नहीं रहता है। देश में गर्भवती महिलाओं में कुपोषण होना चिंता का विषय है। स्तनपान कराने वाली माताओं को हर दिन लगभग 2,000 से 2,800 किलो कैलोरी और बेहतर पोषण के लिए प्रति दिन अतिरिक्त 330 से 400 किलो कैलोरी सेवन की सलाह दी जाती है। गर्भवती होने से पहले महिला 1,600 से 2,400 किलो कैलोरी तक का सेवन करती हैं।

    32.8 मिलियन महिलाएं कुपोषण से पीड़ित 

    राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के अनुसार, भारत में 32.8 मिलियन महिलाएं पोषण की कमी यानी कि कुपोषण से पीड़ित हैं। इन महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 18.5 किग्रा/घन मीटर से कम है।  यह एक और समस्या का कारण भी बनता है – दरअसल कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कुपोषित माताओं के स्तन का दूध स्तनपान करने वाले बच्चों में सूजन की समस्या को पैदा कर सकता है। महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य बेहतर बना रहे इसके लिए उन्हें अपनी सभी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करना चाहिए। दो गर्भावस्था के बीच में अंतर रखना चाहिए। अगर महिलाओं को अपने खानपान में पर्याप्त ऊर्जा और पोषक तत्व नहीं मिलते हैं, तो यह महिलाओं की ऊर्जा और पोषक तत्वों के भंडार को कम कर सकता है। इस कमी को मातृ कमी के रूप में जाना जाता है।

    गर्भावस्था के दौरान या मेनोपाज के बाद महिलाओं को कुछ विटामिन और मिनिरल की जरूरत होती हैं। इसके अलावा  कैल्शियम, आयरन और फोलिक एसिड उनके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता हैं। महिलाओं में पोषण से संबंधित कुछ स्वास्थ्य समस्याएं होने की संभावना ज्यादा होती है। इन स्वास्थ्य समस्याओं में सीलिएक बीमारी और लैक्टोज इंटोलरेन्स, और विटामिन और खनिज की कमी, जैसे कि आयरन की कमी से एनीमिया आदि हो सकता है। इसलिए बेहतर पोषण उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

    आयरन की कमी 

    कोविड-19 महामारी ने गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के सामने कई समस्याएं पैदा कर दी है। लॉकडाउन के कारण उनकी पोषण संबंधी जरूरतें पूरी नही हो पायी। भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रम ‘पोषण अभियान’ का उद्देश्य बच्चों और महिलाओं में कुपोषण की समस्या को हल करना है। पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा खून की कमी हो जाती है। इस कारण कई कामकाजी महिलाओं को आयरन की कमी का सामना करना पड़ता है, खासकर जब ऐसी महिलाएं जो मेनोरेजिया (लम्बे समय तक पीरियड्स का रहना और ज्यादा खून का बहना) से पीड़ित होती हैं, तो उनमें आयरन की कमी ज्यादा हो जाती है। जो महिलाएं शाकाहारी हैं उन्हें पालक, राजमा, काली बीन्स, दाल, और मटर के दाने का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसमें आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

    इसके अलावा उन्हें प्रोटीन, कैल्शियम और ओमेगा 3 वाले संतुलित डाइट का भी सेवन करना चाहिए। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को अक्सर भूख लगती है क्योंकि उनने शरीर से दूध के जरिये बच्चे को भी पोषण जाता है। इसलिए मां को अतिरिक्त भोजन कराया जाना चाहिए। साबुत अनाज ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत होता हैं। इसलिए साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए। फल और सब्जियां एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर और पानी में घुलनशील और फैट में घुलनशील विटामिन से भरपूर होती हैं। नट और फलियां से आपके शरीर को प्रोटीन, फोलेट और आयरन मिलता है। डेयरी उत्पाद कैल्शियम और विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत माने जाते हैं। इसलिए महिलाओं को इन्हें अपने खानपान में शामिल करना चाहिए।

    – डॉ. पल्लवी वर्मा, लेक्टेशन कंसलटेंट.