कभी थे एक दाने को मोहताज, आज हैं देश के सबसे युवा IPS

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आज के दौर में गरीबी और शिक्षा का मेल मानों पूर्व और पश्चिम के मिलन जैसा असंभव हो गया है। क्योंकि पढ़ाई का खर्च उठाना हर किसी के लिए अब आम बात नहीं होती है। लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो मेहनत और संघर्ष करके अपनी गरीबी को हरा कर उच्च पद हासिल करते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी बताने जा रहे हैं, जो एक समय में एक वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज हुआ करते थे। लेकिन अपनी मेहनत से वह आज सबसे कम उम्र वाले IPS अफसर हैं।  

हम बात कर रहे हैं गुजरात के पालनपुर (कणोदर) में जन्मे सफीन हसन की। जो जामनगर में बतौर सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP), सबसे युवा आईपीएस अधिकारी के रूप में पदभार संभाला‌ रहे हैं। सफीन का ट्रेनिंग के बाद ही जामनगर में उनकी पहली पोस्टिंग का रास्ता साफ हो गया था। पर उनका यहां तक का सफर बेहद संघर्षपूर्ण था। 10वीं तक पढ़ाई के लिए उनकी मां ने दूसरों के घरों में रोटियां बेलीं। वहीं पिता जाड़ों में अंडे और चाय का ठेला लगाते थे। 

सफीन के माता पिता एक एक समय में हीरा श्रमिक भी रहे थे। हसन के इस संघर्षपूर्ण सफर में कई ऐसे दिन आए जहाँ उन्होंने बहुत दुःख का सामना किया जैसे किसी लावारिस बच्चे ने दुख झेला हो। वह कई बार तो भूखे भी रहे हैं। हालांकि, फिर कुछ सज्जन लोग उनके करियर में अहम साबित हुए। कई शिक्षकों ने हसन की न सिर्फ फीस माफ कराई, बल्कि एक शख्स ने तो दिल्ली में उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च भी उठाया। 

जून 2016 में शुरू की थी तैयारी-

सफीन हसन अपनी तैयारी के बारे में बताते हुए कहते हैं कि उन्होंने जून 2016 में तैयारी शुरू की थी। फिर हसन ने यूपीएससी और जीपीएससी की परीक्षा दीं। उन्होंने गुजरात पीएससी में भी सफलता हासिल की। हसन के ज़िंदगी में कई मौके ऐसे भी आए जब उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन हसन ने उसे उूपरवाले का दिया मानकर उसे बिना डरे आगे बढ़ गए। वह बताते हैं कि परीक्षा से पहले उनका एक्सीडेंट हो गया था, फिर भी उन्होंने पेन किलर लेकर पेपर दिए और परीक्षा के बाद हॉस्पिटल में लंबे समय तक भर्ती रहे। 

असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस की ड्यूटी ज्वॉइन की-
हसन का जन्म 21 जुलाई, 1995 को हुआ था। वह गुजराती, अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत चारों भाषाओं के जानकार हैं। वर्ष 2017 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा 570वीं रैंक के साथ पास की थी। उसके बाद गुजरात कैडर से वह आईपीएस की ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद चले गए थे। वहां से लौटने पर जामनगर में उन्हें असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (ASP) के रूप में नियुक्ति मिली है। हसन बताते हैं कि “खुद का कॉन्फिडेंस और स्मार्ट वर्क कायम रहे तो सफलता पक्का मिलती है।”

मां-बाप ने किया बहुत कुछ-
हसन अपनी परिवार के बारे में बताते हैं कि जब उनकी पढ़ाई के लिए पैसे कम पड़ने लगे तो उनकी माँ नसीम बानो ने रेस्‍टोरेंट और ब्याह-समारोह में रोटियां बनाई थी। साथ ही पिता मुस्‍तफा के साथ वह हीरे की एक यूनिट में थीं, हालांकि कुछ सालों बाद माता-पिता दोनों की वो नौकरी चली गई थी। फिर, बहुत मुश्किल से उनके घर का खर्च चलता था। हसन कहते हैं कि “हमें कई रात खाली पेट भी सोना पड़ा।”

कई दिनों तक भूखे सोने के लिए मजबूर-
हीरा यूनिट में हसन के माता-पिता की नौकरी जाने के बाद, हसन की माँ जहां रोटी बेलने का काम करती थीं। वहीं उनके पिता ने इलेक्ट्रिशियन का काम शुरू कर दिया था। वह जाड़ों में अंडे और चाय का ठेला भी लगाया करते थे। वह अपनी मां को सर्दियों में भी पसीने से भीगा हुआ देखा करते थे। हसन की माँ सुबह 3 बजे उठकर 20 से 200 किलो तक चपाती बनाती थी। इस काम से वो हर महीने पांच से आठ हजार रुपए कमाती थीं। वहीं कई बार उनके ज़िंदगी में ऐसे भी दिन आए जहाँ वह भूखे पेट सोने के लिए मजबूर थे। 

IPS बनने का जूनून-

 हसन कहते हैं कि एक बार जब वह अपनी मौसी के साथ एक स्‍कूल में गए थे, तब उन्होंने वहां एक समारोह में पहुंचे कलेक्‍टर की आवभगत और सम्‍मान देखकर पूछा कि ये कौन हैं और लोग इनका इतना सम्‍मान क्‍यों कर रहे हैं? तब मौसी ने उन्हें बताया ये आईपीएस हैं, जो जिले के मुखिया होते हैं। यह पद देशसेवा के लिए होता है। तभी से हसन ने आईपीएस बनने का जूनून आया। 

कुछ अच्छे लोगों ने की पढ़ाई मदद-
हसन की प्राथमिक शिक्षा उत्‍तर गुजरात बनासकांठा के पालनपुर तहसील के छोटे से गांव कणोदर में पूरी हुई थी। प्राथ‍मिक शिक्षा के बाद हसन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए सूरत चले गए थे। स्कूल की पढ़ाई के बाद उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग (एनआईटी) में दाखिला लिया था। जब वह हाईस्कूल में थे, तो उनके प्रिंसिपल ने हसन की 80 हजार रुपए फीस माफ कर दी।

माँ-पिता हुए बेहद खुश, मुख्यमंत्री भी कर चुके हैं सम्मानित-
IPS बनने के बाद हसन के माता पिता बहुत खुश हुए थे। बेटे को सबसे कम उम्र का आईपीएस बनता देख उनके माँ-पिता की ख़ुशी देखने योग्य थी। हसन मानते हैं कि देश में ऐसे लोग हैं जो उन जैसे लोगों की मदद करने में पीछे नहीं हटते हैं। वहीं हसन यह भी कहते हैं अब आगे उनसे जितना हो सकेगा वह दूसरों के लिए भी करेंगे। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी सफीन हसन को सम्मानित कर चुके हैं।