रईसा अंसारी- शिक्षा व्यवस्था की कमी का प्रतिफल

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पिछले हफ्ते समाचार पत्र न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक नाम ने खूब सुर्खियां बटोरी रईसा अंसारी। रईस अंसारी का नाम इसलिए अचानक चर्चा में आ गया क्योंकि जब इंदौर में नगर निगम के कर्मचारी उसके फल का हाथ ठेला हटाने पहुंचे तो उस लड़की ने धाराप्रवाह अंग्रेजी में नगर निगम के कर्मियों को अपना जवाब प्रस्तुत किया साथ ही उन्हें वहां से वापस लौटने पर मजबूर कर दिया ।इस घटना के बाद रईस अंसारी के बारे में बहुत सारी अन्य जानकारियां निकल कर आई इसी में यह पता लगा कि राईसा अंसारी ने इंदौर विश्वविद्यालय से भौतिकी विषय में पीएचडी की है और वह बहुत प्रतिभावान छात्रा रही है। हर क्लास के उसके बहुत अच्छे नंबर आते रहे हैं। इसी के साथ उसने कोलकाता में कुछ समय भौतिक विषय में रिसर्च भी किया साथ ही उसे बेल्जियम के किसी विश्वविद्यालय द्वारा शोध हेतु आमंत्रित भी किया गया था। इस प्रकार एक बहुत प्रतिभाशाली लड़की जो शायद एक  महान वैज्ञानिक बन सकती थी वहां ठेले पर सब्जी एवं फल बेच रही है।

निश्चित रूप से यह एक सामान्य खबर नहीं थी इस खबर ने सभी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। मेरा भी ध्यान उस पर गया कि ऐसी क्या बात हो गई कि वह लड़की जिसे आज किसी वैज्ञानिक संस्थान , विश्वविद्यालय या अन्य स्थान पर होना था वह रोड के किनारे फल बेच रही है। पत्रकारों द्वारा राईसा से जब यह प्रश्न पूछा गया कि इतनी उच्च शिक्षित होने के बावजूद आप फल का ठेला क्यों लगा रही हो, इसका क्या कारण है। तब राईसा ने बताया कि कुछ पारिवारिक समस्याओं के कारण उसे यह कार्य करने पर मजबूर होना पड़ा । इस प्रकार उसने कुछ और भी कारण बताएं कि वह यह कार्य क्यों कर रही है।लेकिन मेरा ध्यान उसके एक विशेष जवाब की ओर गया ।अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए अंसारी ने बताया वह निसंदेह पढ़ने में बहुत अच्छी थी ,हर क्लास में उसके बहुत अच्छे नंबर आते थे ।उसके शिक्षक उसे बहुत पसंद करते थे उसके परिवार में से बहुत सम्मान एवं स्नेह  मिलता था ।वह बहुत प्रतिभाशाली थी और उसने अपनी पढ़ाई के दौरान अपनी प्रतिभा का भरपूर उपयोग किया।बहुत अच्छे से पढ़ाई की लेकिन आज के इस स्थिति में पहुंचने का एकमात्र कारण है कि उसकी पूरी पढ़ाई के दौरान यह कभी नहीं सिखाया गया  की हमें अपने भावी जीवन के लिए स्वयं को कैसे तैयार करना है ।हमें अपने भावी जीवन में अपनी जीविका चलाने के लिए कैसे साधनों को इकट्ठा करना है ,हमें धन कैसा कैसे कमाना है। उसके कारण जैसे ही मैंने पढ़ाई  पूरी की और मेरे सामने कुछ विषम स्थितियां उत्पन्न हुई जहां मुझे धन उपार्जन करना था या धन कमाना था मैं एक दोराहे पर आकर खड़ी हो गई।

मुझे समझ ही नहीं आया की धन कमाने के लिए मुझे क्या करना होगा ,कैसे करना होगा।क्योंकि हमारी शिक्षा व्यवस्था में यह कहीं भी नहीं सिखाया जाता है कि आपको अपने जीवन यापन के लिए सबसे अच्छे तरीके कैसे ढूंढने हैं ।सबसे अच्छे तरीकों से धन कैसे कमाना है और इसी असमंजस की स्थिति में मैंने अपना पुश्तैनी काम चुना।जो मेरा परिवार विगत पिछले 40 -50 सालों से कर रहा था, फल बेचने का काम ।और मैं यह काम करने लगी। इस प्रकार के जवाब ने हमारी शिक्षा व्यवस्था की बहुत बड़ी कमी को उजागर कर दिया ।आज हम देखते हैं चारों तरफ बेरोजगारी,बेकारी ,गरीबी बहुत तीव्र गति से बढ़ रही है। अक्सर हम इन स्थितियों के लिए उन बच्चों को ही दोष देते हैं कि वह अपना रास्ता नहीं बनाते।लेकिन यदि हम ध्यान दें  तो हमारी शिक्षा व्यवस्था में ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं है, ना हमारे परिवार में कुछ ऐसी बातें सिखाई जाती हैं जिनके माध्यम से हम लोग यह बच्चों को सिखा सकें कि जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण भाग धन उपार्जन करना होता है।जिससे हमारा स्वयं का जीवन भी चलता है और समाज भी चलता है।

उसे एक बहुत अच्छे तरीके से बहुत नैतिकता के दायरे में रहकर कैसे कमाया जाए। यदि यह कमी बनी रहे या कमी को दूर नहीं किया जाए तो ऐसी रईस अंसारी पहले भी देश में थी भविष्य में भी होंगी ।इस पर हमें सभी लोगों को चाहे सरकार हो,चाहे समाज हो ,चाहे परिवारों हो एवं व्यक्तिगत हम हो सभी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी है कि हम बच्चों को उनकी पढ़ाई के साथ साथ धन का प्रबंधन करना भी अवश्य सिखाएं ।धन कैसे आता है ,कैसे खर्च होता है ,उसका प्रबंधन कैसे किया जाए ।उसका उपयोग सबसे अच्छे तरीके से कैसे किया जाए ।जब यह सब करेंगे तो निश्चित रूप से ऐसी घटनाएं कम से कम देखने को मिलेंगे और इसके साथ ही उन बच्चों के परिवार के साथ साथ ही देश का आर्थिक जीवन सुधरेगा तथा देश में आर्थिक समृद्धि बढ़ने लगेगी।

-संदीप त्रिपाठी