22 साल तक थीं लड़का, समाज के तानों से बनी ट्रांसवुमन, आज चला रही हैं खुद का रेस्त्रां

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दुनिया में बस दो ही जेंडर को प्रमुख तौर पर सम्मान और इज़्ज़त दी जाती है, एक महिला और दूसरा जेंडर पुरुष। इस समाज को शायद पता नहीं है कि इन जेंडर के अलावा और भी जेंडर्स इस दुनिया में मौजूद हैं या वे लोग इस सच्चाई को मानना ही नहीं चाहते। आज हम आपको ऐसी ही एक इंसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जो इन स्थितियों से गुज़र चुकी हैं और आज भी कभी-कभी इन चीज़ों का सामना कर रही हैं। हम बात कर रहे हैं उरूज हुसैन की, वह एक ट्रांसवुमन है। उरूज ने अपनी जिंदगी में बहुत सी परेशानियों का सामना किया है। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वह एक एक एंटरप्रन्योर और सोशल वर्कर हैं।

उरूज कहती हैं कि आज वह इतना सब करती हैं अपनी पहचान बनाई है, लेकिन फिर भी लोग उन्हें एक ही नज़र से देखते हैं कि वह एक ट्रांसवुमन हैं. लोगों के लिए उनकी पहचान बस एक ट्रांसवुमन के तौर पर ही है. वह कहती हैं कि लोगों की नज़र में उनके जैसे लोगों के लिए एक तस्वीर सी बन गई है, जहाँ उनके जैसे लोग उन्हें सिर्फ एक किन्नर के तौर पर ही दिखाई देते हैं. 

वह बताती हैं कि, इस समाज को लगता है कि ट्रांसजेंडर या तो ताली बजाकर भीख मांगते हैं या सेक्स वर्कर्स ही हो सकते हैं। जिसकी वजह से उनके जैसे लोगों को इज्ज़त की नज़र से नहीं देखा जाता है और उन्हें ज़लील किया जाता हैं। लेकिन उरूज ने इस समाज को गलत साबित किया है और एक एक मिसाल कायम किया है की। उरूज ने खुद के दम पर एक रेस्त्रां चलाती हैं और सम्मान भरी जिंदगी जीना पसंद करती हैं।

लड़कों की तरह बर्ताव-
उरूज बताती हैं, ‘उन्होंने भी एक सामन्य बच्चे की तरह ही जन्म लिया था, लेकिन जैसे जैसे वह बड़ी होने लगी तब उन्हें एहसास होने लगा की उनका शरीर ही मात्र लड़के जैसा है, लेकिन उनकी भावना और सोच बिलकुल लडकी जैसी है। जिसकी वजह से उन्होंने कई परेशानियों का सामना किया। उनके परिवार वाले भी उनके ऐसे बर्ताव से प्रेषण हुआ करते थे। उनके दोस्त और परिवार ने उन्हें कई बार लड़कियों जैसे बर्ताव करने से रोका भी और उरूज ने कोशिश भी की, लेकिन उनसे नहीं हो पाया।

मज़ाक बनाया जाता था-
उरूज अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बताती हैं कि जब बचपन वह क्लास जाया करती थी  तो लड़के उनका बहुत मजाक बनाते थे। उन्हें प्रेषण करने के लिए अलग अलग तरह के हत्कंडे अपनाया करते थे। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. स्कूल खत्म होने के बाद उरूज ने होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया और 2013 मे वह दिल्ली चली गईं। जहाँ एक इंटर्नशिप के दाैरान वर्कप्लेस पर उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव होता था। वहां के लोग उन्हें गलत तरीके से छुआ करते थे और उन्हें परेशान करते थे।

जिसके बाद उरूज ने खुद को लोगों से दूर रखना शुरू कर दिया। उन सब चीज़ों की वजह से एक समय ऐसा आया था कि उरूज ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। क्यूंकि उन्हें ऐसा लगने लगा था की मानो अब वह हर गईं हो। लेकिन फिर उन्होंने तय किया कि अगर वह कभी भी हिम्मत नहीं हारेंगी बल्कि इन स्थितियों का डट कर सामना करेंगी।

खुद की आइडेंटिटी से भागती रहीं-

उरूज इस समाज और अपने परिवार वालों के ताने से इतना परेशान हो गई थी कि उन्होंने अपने इस एहसास के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया था। वह कहती हैं कि इस दुनिया के नज़रों में वह 22 साल तक एक लड़का थी। वह वर्कप्लेस पर एक मेल एम्पलाई की तरह ही काम किया करती थी, लेकिन वहां के लोग उन्हें बेहद चिढ़ाते थे। जिसकी वजह से वह दुविधा में पड़ जाती थी कि वह चाहती क्या हैं अपनी जिंदगी से।

उरूज बताती हैं कि उन्हें साल 2014 से पहले ट्रांजिशन के प्रोसेस के बारे में पता भी नहीं था, क्योंकि मैं बिहार के छोटे से शहर में रहा करती थीं। उन्होंने 2014 में मैंने सोचा कि अब उन्हें खुद को बदलना होगा चाहिए। जिसके बाद उन्होंने साइकोमैट्रिक टेस्ट करवाया और लेज़र थेरेपी ट्रीटमेंट कराना शुरू किया। इस ट्रीटमेंट के दौरान ऐसा समय भी आया जहाँ उन्हें साल भर घर पर ही रहना होता था। वहीँ इस दौरान उन्हें काफी मूड स्विंग्स, अकेलापन महसूस होता है। जिसकी वजह से उन्हें खुदखुशी का भी ख्याल आया करता था। उरूज कहती हैं की आज वह अपनी इस बॉडी से बेहद खुश हैं, पहली वाली बॉडी में उन्हें एस लगता था कि वह किसी जेल की सज़ा काट रही हैं।

नहीं हुई कोई परेशानी-
उरूज बताती हैं, ‘2014 से 2015 के बीच उनका हार्मोन ट्रांसफॉर्मेशनल पीरियड था। जिसके बाद वर्ष 2015 से 2017 तक उन्होंने दिल्ली में ही ललित होटल में काम किया। इस होटल में उन्होंने एक फीमेल के तौर पर ही काम किया। ललित ग्रुप एलजीबीटी कम्युनिटी को सपोर्ट करता है, इसलिए उरूज को वहां किसी भी तरह की कोई भी परेशानी नहीं हुई। उरूज ने हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट का कोर्स किया था। इसलिए उन्होंने अपने इंटर्नशिप को दौरान ही तय कर लिया था कि वह अपना खुद का बिज़नेस शुरू करेंगी। जिसके बाद उरूज ने 22 नवंबर 2019 को नोएडा में एक रेस्त्रां की शुरुआत की। इस रेस्त्रां को शुरू करने के पीछे उनका मकसद था कि इससे सभी ट्रांसजेंडर्स को खुद के दम पर कुछ करने और अपने आप को साबित करने की प्रेरणा मिलेगी।

आगे की ख्वाहिश-
उरूज बताती हैं कि उनके रेस्त्रां में जो भी कस्टमर आते हैं, उनका व्यवहार उरूज के साथ काफी अच्छा हाेता है। उनके रेस्त्रां में सात लोगों की टीम काम करती है, जिसमें से 2 शेफ हैं। उरूज की ख्वाहिश है कि वह हर शहर में अपना खुद का एक रेस्त्रां खोलें, जिसे ट्रांसजेंडर्स ही चलाएं। उरूज कहती हैं कि उनकी बस ये ही चाहत है कि ट्रांसजेंडर्स भी मेनस्ट्रीम में आएं। वे अपना बिजनेस करें और खुद को स्टेबिलिश करें।

बॉलीवुड से शिकायत-
उरुज को बॉलीवुड से भी बहुत परेशानी है। उनका कहना है कि बॉलीवुड मूवीज़ में ट्रांसजेंडर्स का बेहद मज़ाक उड़ाया जाता है और एक सेक्स सिंबल की तरह उन्हें दिखाया जाता है। जिसकी वजह से यहाँ समाज भी ट्रांसजेंडर्स को प्परेशान करने का एक मौका नहीं छोडती और उनका मज़ाक उड़ाती हैं। उरूज चाहती हैं कि बॉलीवुड में ट्रांसजेंडर्स को मीनिंगफुल किरदारों में दिखाना चाहिए। जिससे लोगों की और इस सोसाइटी की ट्रांसजेंडर्स के प्रति नज़रिया बदल सके।