Insurance Industry wants separate Tax deduction window

  • बीमा उद्योग की चाहत

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मुंबई. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) आगामी एक फरवरी 2021 को ‘मोदी 2.0’ का तीसरा बजट (Budget) पेश करेंगी। कोरोना वायरस के महासंकट की मार झेलने के बाद सभी उद्योग क्षेत्र (Industry Sector) केंद्रीय बजट से काफी उम्मीदें लगाए हुए हैं। जीवन बीमा (Life Insurance) और गैर जीवन बीमा उद्योग (General Insurance Industry) को भी उम्मीद है कि मोदी सरकार देश में बीमा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इंडस्ट्री के विकास के लिए विशेष ध्यान देगी। 

वैसे विगत वर्षों में सरकार ने बीमा उद्योग पर विशेष ध्यान दिया है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को बीमा सुरक्षा प्रदान करने के लिए बेहद सस्ती दरों पर प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और जीवन सुरक्षा बीमा योजना (PMJSBY) लॉन्च की. जो काफी लोकप्रिय हुई हैं और बीमा के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी मददगार हो रही हैं, लेकिन यह नाकाफी है और बहुत कुछ करने की जरूरत है। बीमा उद्योग चाहता है कि वित्तमंत्री इस बजट में आयकर (Income Tax) की धारा 80सी (Section 80C) के तहत अलग कटौती सेक्शन बनाने की घोषणा करें, ताकि देश में अधिक से अधिक लोग बीमा कवर लेने के लिए प्रोत्साहित हों और बीमा में आया निवेश (Investments) देश के इंफ्रा विकास (Infrastructure Developments) में लगे। 

टैक्स छूट मिलने पर लोग होंगे प्रेरित

वर्तमान में आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी (Section 80C of the Income Tax Act, 1961) के अंतर्गत वर्षों से जीवन बीमा, बैंक एफडी (Bank FD), पीपीएफ (PPF), एनएससी (NSC), म्युचुअल फंड ईएलएसएस (MF ELSS) आदि के तहत किए गए निवेश पर 1.50 लाख रुपए तक की अधिकतम छूट दी जा रही है। चूंकि देश में बीमा साक्षरता बहुत कम है। इसलिए करदाता (Taxpayers) स्वेच्छा से बीमा पॉलिसी नहीं खरीदते हैं। यदि बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम भुगतान के लिए 1.50 लाख रुपए तक के निवेश पर अलग से टैक्स छूट मिले तो लोग बीमा पॉलिसी लेने के लिए प्रेरित होंगे। और जीवन बीमा तो हर व्यक्ति के लिए सबसे जरूरी है। कोविड जैसी महामारी के कारण तो बीमा कवर और भी जरूरी हो गया है। इसलि‍ए बीमा उद्योग चाहता है कि जीवन बीमा पॉलिसियों (Life Insurance Policy ) के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए एक अलग कटौती सेक्शन बनाने या धारा 80C की वर्तमान सीमा को 1.50 लाख रुपए से बढ़ाकर दोगुना करना जरूरी है।

बीमा अफोर्डबल बनाने 5% हो GST : श्रीवास्तव

पीएनबी मेटलाइफ इंश्योरेंस (PNB MetLife Insurance) के प्रबंध निदेशक और सीईओ आशीष कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि पूरे एशिया में भारत की प्रोटेक्शन मार्जिन रैंक सबसे अधिक यानी 92.2% है। इस चिंताजनक स्थिति को देखते हुए हम चाहते हैं कि कम से कम टर्म इंश्योरेंस के लिए तो धारा 80सी के अंतर्गत अलग से छूट दी जाए और जीवन बीमा प्रीमियम पर वर्तमान में जीएसटी (GST) दर 18% है, जो काफी अधिक है। इसके कारण आम आदमी के लिए बीमा महंगा हो गया है। इसलिए वित्तमंत्री से आग्रह है कि जीएसटी दर घटाकर 5% की जाए। ताकि सभी वर्गों के लिए बीमा वहनीय (अफोर्डबल) हो। देश में बीमा साक्षरता बढ़ाने के लिए टैक्स बोझ घटाना और टैक्स छूट देना बहुत जरूरी है।

बीमा उद्योग का विकास, देश का विकास : मुरलीधर

कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस (Kotak Mahindra Life Insurance)  के प्रबंध निदेशक और सीईओ जी. मुरलीधर का कहना है कि कोविड महामारी के बाद यह पहला आम बजट होगा। इसलिए सभी को इससे बहुत अधिक उम्मीदें हैं। आशा है कि वित्तमंत्री रोजगार बढ़ाने और इंफास्ट्रक्चर विकास पर सबसे अधिक ध्यान देंगी। वित्तीय घाटे की मौजूदा स्थिति को देखते हुए हमें यह भी आशा है कि बजट में कुछ इनोवेटिव कदम उठाए जाएंगे। बीमा उद्योग भी चाहता है कि सरकार लोगों को जीवन बीमा के लिए प्रोत्साहित करने और कदम उठाएं। जिससे बीमा सुरक्षा लेकर लोग जीवन की अनिश्चितता से अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित रख सके। जीवन बीमा पॉलिसी में जितना ज्यादा निवेश आएगा, उतना ही देश के इंफ्रा विकास को बढ़ावा मिलेगा. क्योंकि जीवन बीमा का निवेश इंफ्रा विकास के लिए सबसे अधिक होता है।

हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर आयकर छूट सीमा बढ़ाना जरूरी : बालचंद्रन

आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस (ICICI Lombard General Insurance) के सीएफओ गोपाल बालचंद्रन का कहना है कि कोविड महामारी के बाद अब स्वास्थ्य बीमा हर एक के लिए आवश्यक हो गया है। इसलिए हम चाहते हैं कि लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस के लिए भी प्रेरित करने और अफोर्डबल बनाने के लिए वित्तमंत्री बजट में कुछ नए प्रोत्साहन दें। हमारा आग्रह है कि करदाताओं के लिए बीमा प्रीमियम भुगतान में आयकर छूट सीमा कम से कम 50% बढ़ाई जाए। वर्तमान में 80डी के तहत 25 हजार रुपए तक के स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम की आयकर छूट मिलती है।  इसके अलावा कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए ग्रुप इंश्योरेंस लेने के लिए प्रेरित करने जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेटिड की छूट दी जानी चाहिए।