सतपुड़ा में स्थित जटा शंकर झरने पर पर्यटकों की भीड़

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    संग्रामपुर. तहसील के सतपुड़ा में बड़े पैमाने पर नैसर्गिक संसाधन नजर आता हैं, उसी तरह अकोला, अमरावती एवं मध्य प्रदेश की सीमा को लगकर होने से संग्रामपुर तहसील को काफी महत्व प्राप्त हुआ हैं. सतपुड़ा में अंबाबरवा अभयारण्य में स्थित जटा शंकर झरना मोगेरी महादेव, वान प्रकल्प निसर्गरम्य पर्यटन स्थल विशेष आकर्षण का केंद्र बना हैं. बारिश के दिनों में नदी, नाले, झरने बड़े पैमाने पर बहते हैं, जिस कारण पर्यटक बड़े प्रमाण में इस निसर्ग का आनंद लूटने के लिए भीड़ करते हैं.

    अभयारण्य की नैसर्गिक, भौगोलिक रचना वन्य प्राणियों के लिए बेहतर अधिवास साबित हो रहा हैं. घना जंगल, बहते नदी, नाले साथ ही ऊंची पहाड़ियों के कारण प्राणी निसर्ग के सानिध्य में आसानी से मिल जाते हैं, बाघ यह मेलघाट की प्रमुख पहचान हैं, आज की स्थिति में इस परिसर में 50 बाघ समेत कई वन्य प्राणियों का अस्तित्व हैं. उसी तरह अभयारण्य में पुरातन काल के किले, तालाब, गुफाएं, मंदिर एवं वन्य प्राणि होने से वन्यप्रेमियों का यह विशेष आकर्षण केंद्र बन रहा हैं.

    127 चौ.कि.मी. में फैला है पर्वतीय क्षेत्र

    मेलघाट, गुगामल राष्ट्रीय उद्यान, नरनाल वन्यजीव, वान वन्यजीव तथा अंबाबारवा वन्यजीव अभयारण्य मिलकर मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अस्तितत्व में आया हैं. महाराष्ट्र सरकार ने 9 अप्रैल 1997 के आदेश के तहत अंबाबारवा वनक्षेत्र को अभयारण्य का दर्जा दिया हैं. 127 चौरस किलो मीटर का पर्वत होने वाला यह क्षेत्र संरक्षित होने से समृध्द जैवविविधता हैं. मांगेरी महादेव – संग्रामपुर तहसील में सोनाला इस गांवे से पांच से छह किलो मीटर सातपुड़ा में मांगेरी महादेव से पर्यटन स्थल प्रसिध्द हैं. 

    अभयारण्य में कई घाटियां है. जिसमें हर एक की विशेषता अलग हैं, जलका कुंड, पिंपलडोह, चिमनखोरा यह स्थान साहसी पर्यटकों को आकर्षित करता है. श्रावण माह के हर सोमवार को यहां बडे पैमाने पर कावड़धारी आते हैं. श्रावण माह के तीसरे सोमवार को यहां भव्य महाप्रसाद का आयोजन किया जाता हैं.

    इस जगह आने के लिए शेगांव, अकोट से 40 कि.मी. सोनाला तक आकार सोनाला से पैदल चलते हुए 10 कि.मी. का सफर करना पडता है. जटा शंकर झरना – संग्रामपुर तहसील में टूनकी -वसाड़ी से तीन- चार कि.मी. दूरी पर महादेव की मूर्ति हैं. वान प्रकल्प संग्रामपुर तहसील की सीमा पर वान प्रकल्प निर्मिति हुई हैं. मध्यप्रदेश से बहने वाले वान नदी पर वान प्रकल्प की निर्मिति की गई है. इस प्रकल्प के कारण आस पास का परिसर सुजलाम सुफलाम हुआ हैं. वान प्रकल्प से इस स्थल को विशेष महत्व प्राप्त हुआ हैं.