सरकारी अस्पलताल परिचारिकाओं की मनमानी

शेगांव. शेगांव शहर का सईबाई मोटे उपजिला सामान्य अस्पताल जहां दूर-दराज़ से हर रोज़ सैंकड़ों मरीज़ आते हैं. लेकिन अस्पताल प्रशासन की मनमानी के चलते मरीजों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता

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शेगांव. शेगांव शहर का सईबाई मोटे उपजिला सामान्य अस्पताल जहां दूर-दराज़ से हर रोज़ सैंकड़ों मरीज़ आते हैं. लेकिन अस्पताल प्रशासन की मनमानी के चलते मरीजों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जैसे यहाँ एक फिजियोथेरिपी का विभाग है जिस का प्रवेश द्वार के बिल्कुल सामने है. लेकिन इसे यहां की परिचारकाओं की मनमानी के चलते ताला चाबी लगा कर रखा जाता है. केवल स्टाफ वालों के लिए ही यह प्रवेश द्वार खुलता है. जब की मरीज़ों को पूरा अस्पताल का चक्कर लगाकर ओपीडी के सामने से होते हुए डिलेवरी वार्ड, तथा बच्चों के वार्ड के अंदर से आना पड़ता है. सुबह के वक्त ११ बजे तक यह दूसरा गेट भी सफाई तथा डॉक्टर्स के राऊंड के चलते बंद रहता है. अतः कोई पेशंट यहाँ से अंदर जाना भी चाहे तो यहाँ मौजूद सुरक्षा रक्षक अंदर जाने नहीं देते. कई लोग तो इस बंद द्वार को देखकर वापस चले जाते है, कुछ ही ऐसे मरीज़ है जो ओपीडी के सामने वाले लंबे रास्ते से वहां तक पहुंच पाते हैं.

– लकवा पेशंट के लिए भी नहीं खुला गेट

शुक्रवार को सुबह १० बजे इस बारे में वहां मौजूद परिचारिका से एक लकवा पेशंट के लिए मुख्यद्वार खोलने को कहा गया लेकिन उस परिचारिका ने साफ इंकार कर दिया और कहा की आप को उधर से ही आना पड़ेगा, हमारे पीछे दूसरे भी बहुत काम है. यह गेट केवल दवाइयां, ऑक्सिजन सिलेंडर वगैरे लाने के लिए है. लाख मिन्नतें करने पर भी परिचारिका नहीं मानी आखिरकार उस लकवे ग्रस्त मरीज़ को पूरे अस्पताल का चक्कर लगा कर जाना पड़ा. फिर उसे दूसरे गेट पर सुरक्षा रक्षकों द्वारा रोक दिया गया लेकिन थोड़ा समझाने के बाद उन्होंने अंदर जाने दिया, यह समझ नहीं आता की यह सामान्य अस्पताल है या निजी अस्पताल ? अस्पताल में हो रही सामान्य नागरिकों तथा मरीज़ों की इस परेशानी पर ध्यान देकर परिचारिकाओं के इस रवैए पर लगाम लगाने की मांग नागरिकों ने संबंधित अधिकारियों से की है.