‘चाइना भारत छोड़ो’ का शंखनाद

Loading

  • व्यापारियों ने किया चाइना बॉयकॉट आंदोलन तेज

मुंबई. चाइनीज उत्पादों का बहिष्कार करने के लिए उद्योग संगठन और बड़े उद्योगपति तो खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं. अभी तक केवल JSW ग्रुप के सज्जन जिंदल जैसे कुछ चुनिंदा उद्योग दिग्गजों ने ही चीन का खुलकर विरोध करने की हिम्मत दिखाई है. लेकिन देश भर के व्यापारी जोर-शोर से बहिष्कार आंदोलन को आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं.

व्यापारी महासंघ कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने चीनी सामान के बहिष्कार के अपने आंदोलन को तेज करते हुए 9 अगस्त से ‘चीन भारत छोड़ो’ अभियान का शंखनाद किया है. आजादी की लड़ाई में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 78 साल पहले इसी दिन ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत की थी और अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था.

चाइनीज उत्पादों के बहिष्कार की शपथ

देश की व्यापारिक संस्थाओं का परिसंघ ‘कैट’ चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए पिछले दो महीनों से ‘भारतीय सामान-हमारा अभिमान’ नाम से राष्ट्रीय अभियान चला रहा है. इसी के बैनर तले अब मुंबई सहित देशभर के व्यापारी संगठनों ने ‘चीन भारत छोड़ो’ अभियान का शुभारंभ किया है. हालांकि मुंबई और महाराष्ट्र में कोरोना का प्रकोप अधिक होने के कारण व्यापारी सड़कों पर नहीं उतरे. वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए ही एक दूसरे से संवाद साधा और चाइना के उत्पादों के बहिष्कार और भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देने की शपथ ली.

रिटेल बाज़ार को बनाएंगे आत्मनिर्भर

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. सी. भरतिया ने कहा कि जिस तरह से चीन ने एक लंबी योजना के तहत पिछले 20 वर्षों में भारत के रिटेल बाजार पर कब्जा किया है, उसे देखते हुए तथा बदली परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए चीनी उत्पादों से देश के रिटेल बाज़ार को आज़ाद कर आत्मनिर्भर भारतीय बाज़ार बनाना बहुत जरूरी है. चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए कैट ने ‘चीन भारत छोड़ो’ की आवाज़ बुलंद करने का आह्वान किया है. इसके तहत हम चीन के उत्पादों का विकल्प भारत में ही निर्माण करने वाले लघु उद्यमियों और स्टार्टअप को हर संभव मदद देंगे और उनके उत्पादों की मार्केटिंग में पूर्ण सहयोग देंगे.

 चीन को 4000 करोड़ की चपत

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि हाल ही में रक्षाबंधन के पर्व को हिंदुस्तानी राखी के रूप में मनाने के हमारे अभियान को देश के लोगों ने समर्थन दिया और चीनी राखियों का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया. जिससे चीन को इस बार राखी व्यापार में करीब 4,000 करोड़ रुपए की चपत लगी है. उससे साफ है कि यदि देश के लोग संकल्प लेकर चीनी सामान का बहिष्कार करें तो भारत का व्यापार बहुत जल्द चीन से आजादी पा सकता है और कैट के नेतृत्व में देश के 7 करोड़ व्यापारियों ने यह संकल्प मज़बूती से लिया हुआ है.

दिवाली पर 20,000 करोड़ का आयात रोकने की कोशिश

कैट के मुंबई महानगर अध्यक्ष और अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि देश में मनाए जाने वाले आगामी सभी त्योहारों में भारतीय सामान का इस्तेमाल किया जाएगा और चीन के किसी भी सामान का कोई उपयोग नहीं होगा. आगामी त्योहारों में जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दशहरा, धनतेरस, दिवाली, छठ पूजा और तुलसी विवाह शामिल हैं. ये सभी त्योहार पूर्ण रूप से भारतीय त्योहारों में रूप में मनाए जाएंगे और खासतौर पर इस वर्ष की दिवाली देशभर में हिंदुस्तानी दिवाली के रूप में मनाई जाएगी. कैट ने इसके लिए व्यापक तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. दीवाली पर हर साल चीन से करीब 20,000 करोड़ रुपए के उत्पादों का आयात होता है, लेकिन इस साल हम भारत में ही लघु एवं कुटीर उद्योगों से ही सामान बना कर चीन को बड़ा झटका देंगे. इसके लिए हम पुख्ता तैयारी कर रहे हैं.