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नयी दिल्ली. दो महीने के अंतराल के बाद घरेलू यात्री उड़ानें सोमवार से फिर शुरू होने जा रही हैं। लेकिन विभिन्न राज्यों के अपने-अपने नियम-शर्तें तय करने से असमंजस की स्थिति बन गयी है, क्योंकि यह आपस में विरोधाभासी हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने हवाईअड्डों को खोलने का विरोध किया है। ऐसे में विमानन कंपनियों और नागर विमानन अधिकारियों के लिए सेवाएं बहाल करना मुश्किल होता जा रहा है। यात्रियों की संख्या के हिसाब से उपरोक्त तीनों राज्य के हवाईअड्डे देश के व्यस्तम हवाईअड्डों में से एक हैं।

महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने रविवार को ट्वीट किया कि रेड जोन इलाकों में हवाईअड्डों को फिर खोलना एक ‘बहुत गलत विचार है।’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा कि वह केंद्र से कोलकाता और बागडोरा हवाईअड्डों को दोबारा शुरू करने का काम कुछ दिन टालने को कहेंगी। रविवार की दोपहर में एयरएशिया इंडिया ने ट्वीट किया कि सभी यात्री अपने गंतव्य राज्यों के स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी नियमों को पूरा पढ़ लें। वह किसी भी यात्री के पृथकवास (क्वारेंटाइन) या उससे जुड़े खर्चों के लिए जिम्मेदार नहीं होगी। ऐसे असमंजस और अनिश्चिताओं के बीच विभिन्न एयरलाइनों और राज्यों के प्रतिनिधियों ने नागर विमानन मंत्रालय के शीर्ष अधिकारयों के साथ रविवार को चर्चा की। बैठक के दौरान पायलटों और चालक दल के सदस्यों को पृथक रखने के नियम और मानक परिचालन प्रक्रियाओं को लेकर बातचीत हुई।

अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को पहली उड़ान मुंबई से पटना के लिए सुबह चार बजकर 20 मिनट पर है। जबकि दिल्ली से पहली उड़ान कोलकाता के लिए सवेरे साढ़े चार बजे है। दोनों उड़ानें इंडिगो की हैं। यदि पश्चिम बंगाल सरकार उड़ान परिचालन के लिए मंजूरी नहीं देती है तो कंपनी ने उसके लिए किसी वैकल्पिक समयसारिणी की व्यवस्था नहीं की है। पीटीआई-भाषा ने विमान सेवाएं दोबारा चालू होने की तैयारियों के बारे में इंडिगो, विस्तार और स्पाइस जेट के कई पायलटों और सह-पायलटों (फर्स्ट ऑफिसर) से बात की। इनमें से अधिकतर की चिंता बाहर से आने वालों को पृथक रखे जाने के नियम, स्वयं एवं परिवार की सुरक्षा और कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में उनके उड़ान भरने को लेकर हैं।

एक पायलट ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, ‘‘ इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि सोमवार को उन्हें उड़ान भरने के लिए अपने बेस स्टेशन पर रपट करना है या अपने गृह नगर से लौटकर बेस स्टेशन पर पहुंचने के बाद 14 दिन के लिए घर पर पृथक रहना है।” उन्होंने कहा कि उसकी तरह कई अन्य पायलट भी लॉकडाउन की वजह से अपने घरों को लौट गए थे। नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 20 मई को घरेलू यात्री उड़ाने 25 मई से सर्शत फिर चालू करने की घोषणा की थी। देश में करीब दो महीने बाद यात्री उड़ान सेवाएं शुरू होने जा रही है।

कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से देश में 25 मार्च से विमानन सेवाओं पर रोक थी। पिछले हफ्ते सरकार ने विशिष्ट नियमों के तहत उड़ाने शुरू करने की अनुमति दी है। इसमें उड़ान के लिए अधिकतम किराया, यात्रियों के लिए मास्क पहनने की अनिवार्यता, आरोग्य सेतु एप को डालने अनिवार्यता, यात्रा के दौरान खाने-पीने की चीजों के वितरण पर रोक और गंतव्य पर पहुंचकर 14 दिन पृथक रहने का स्वघोषणापत्र देना शामिल है। हालांकि कई राज्यों ने केंद्र सरकार के इस निर्णय पर गंभीर आपत्ति दर्ज करायी है। कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, बिहार, पंजाब, असम और आंध्रप्रदेश ने राज्यों के हवाईअड्डों पर आने वाले यात्रियों के लिए अपने-अपने पृथक रहने के नियम बनाए हैं। कुछ राज्यों का कहना है कि यात्रियों को अनिवार्य तौर पर प्रशासन की निगरानी में पृथक रखा जाए जबकि कुछ लोगों को घर पर पृथक रहना जरूरी करने के पक्ष में हैं।

हालांकि पुरी ने शनिवार को राज्यों के इन नियमों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यदि कोई यात्री आरोग्य सेतु एप पर अपने आप के सही होने की रपट करता है तो इसका मतलब यात्री सुरक्षित है। राज्यों का रुख इस पर अड़ियल है और केंद्र सरकार पायलट और चालक दल के लिए एक समान पृथक रहने के नियम बनाने की कोशिश कर रही है। कंपनियों ने करीब 1,050 घरेलू उड़ानों के टिकटों की बुकिंग शुरू की है जिनका परिचालन सोमवार से शुरू होगा। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को कहा कि राज्य में आने वाले सभी यात्रियों को 14 दिन की प्रशासनिक निगरानी में पृथक रहना होगा।

केरल और पंजाब सरकार ने कहा कि राज्य में आने वाले सभी यात्रियों को 14 दिन के लिए घरों पर पृथक रहना होगा। वहीं बिहार सरकार ने कहा है कि सभी यात्रियों को 14 दिन के लिए पृथक रहना होगा जिसका उन्हें भुगतान करना पड़ेगा। असम सरकार ने सभी चालक दल और पायलटों को 14 दिन पृथक रहने का नियम बनाया है। जबकि यात्रियों को वह घर और सरकारी पृथक केंद्रों पर बराबर-बराबर बांट देगी।

कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि यदि कोई यात्री बुरी तरह कोविड-19 प्रभावित राज्य से यात्रा कर रहा है तो उसे सात दिन के लिए अनिवार्य तौर प्रशासनिक निगरानी में रखा जाएगा। बाद में उसका कोविड-19 परीक्षण नकारात्मक आने पर उसे बाकी सात दिन घर पर पृथक रहना होगा। कर्नाटक ने महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु, राजस्थान और मध्यप्रदेश को कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित राज्य के तौर पर वर्गीकृत किया है। (एजेंसी)