कोलकाता: बैंकिंग क्षेत्र के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही देश की अर्थव्यवस्था को ऋण वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के समर्थन की आवश्यकता है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राजकिरण राय जी ने कहा कि कई बैंकों के आपस में विलय के बाद पीएसबी की संख्या में कमी आयी है और कर्ज देने की उनकी क्षमता कई गुना बढ़ गयी है।
हाल ही में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को पंजाब नेशनल बैंक में, सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक में, इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में तथा आंध्र बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में मिला दिया गया है। उन्होंने विश्वास जताया कि बैंक व्यवसाय समुदाय की अपेक्षाओं को पूरा करने में सक्षम होंगे। बीसीसीआई द्वारा आयोजित एक वेबिनार सत्र में राय ने कहा कि ऋण वृद्धि का झुकाव पीएसबी के पक्ष में होगा।
उन्होंने कहा कि जमाकर्ताओं को 5.5 प्रतिशत की ब्याज दर की उम्मीद होगी। उनके अनुसार, जमाकर्ताओं के मुद्दों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, और ग्राहकों को बनाये रखने के लिये देनदारी (जमाओं) के पक्ष पर अधिक भी ध्यान देना होगा। कोटक महिंद्रा बैंक के पूर्णकालिक निदेशक एवं अध्यक्ष गौरांग शाह ने कहा कि बैंक तभी मजबूत रह सकते हैं जबकि उन्हें खुदरा करोबार मिले और उनके पास देनदारी यानी जमाकर्ताओं के धन का कम लागत वाला आधार हो।
जन लघु वित्त बैंक के एमडी एवं सीईओ अजय कंवल ने कहा कि लगभग 65 प्रतिशत छोटे कर्जदारों पर कोरोना वायरस महामारी का प्रभावी काफी है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था के सबसे निचले स्तर के ग्राहक अधिक प्रभावित होते हैं। अत: उन्हें उचित प्रकार की मदद दी जानी चाहिये। (एजेंसी)