ED registered case against Franklin Templeton

  • ‘नवभारत’ ने 28 अप्रैल 2020 को ही उजागर कर दी थी हकीकत
  • CIO कामत ने निवेशकों को दिया धोखा !
  • 3.15 लाख निवेशक, 25,000 करोड़ का मामला

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मुंबई. पिछले साल 24 अप्रैल को अपनी 6 डेब्ट स्कीमों को अचानक बंद कर 3 लाख से अधिक भारतीय निवेशकों को चपत लगाने वाला अमेरिकन साझा कोष फ्रेंकलिन टेम्पलटन म्युचुअल फंड (Franklin Templeton Mutual Fund) अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) के रडार पर आ गया है। ईडी ने फ्रेंकलिन टेम्पलटन और उसके अधिकारियों के खिलाफ अवैध रूप से धन कमाने यानी मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) का मामला दर्ज किया है। 

इस केंद्रीय जांच एजेंसी ने पहली बार किसी म्युचुअल फंड (Mutual Fund) के खिलाफ केस रजिस्टर्ड किया है। यह म्युचुअल फंड सेक्टर का बड़ा मामला है, जिसमें पहली बार किसी फंड ने एक साथ 6 स्कीमों को अप्रत्याशित रूप से बंद कर दिया था और निवेशकों के 25,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि फंस गई थी।

कई महीनों से थी नजर

‘नवभारत’ ने 28 अप्रैल 2020 को ही फ्रेंकलिन टेम्पलटन  और उसके मुख्य निवेश अधिकारी (CIO) संतोष कामत द्वारा 6 स्कीमों के लाखों निवेशकों को अंधेरे में रख सच्चाई छुपाने और उन्हें धोखा देने का मामला उजागर कर दिया था। सूत्रों के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय की तभी से फ्रेंकलिन टेम्पलटन  और उसके शीर्ष अधिकारियों पर नजर थी। ईडी के अधिकारी पिछले कई महीनों से फ्रेंकलिन टेम्पलटन के अधिकारियों और उनसे जुड़े हुए लोगों के लेन-देन और बैंक खातों पर निगाह रखे हुए थे और पुख्ता सबूत मिलने पर अब अधिकारिक रूप से मामला दर्ज किया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने दिया पैसे लौटाने का आदेश

जांच एजेंसी ने फ्रेंकलिन टेम्पलटन  और उसके मुख्य निवेश अधिकारी के खिलाफ भोले-भोले निवेशकों को धोखा देने और गलत तरीके से पैसा कमाने का मामला बनाया है। ईडी ने फ्रेंकलिन के खिलाफ यह केस चेन्नई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में 29 सितंबर 2020 को दर्ज एफआईआर के आधार पर रजिस्टर किया है। इन 6 डेब्ट स्कीमों में करीब 3.15 लाख निवेशकों के करीब 25,000 करोड़ रुपए फंस गए थे। बाद में निवेशकों ने इस मामले में पूंजी बाजार नियामक ‘सेबी’ और सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई। मई 2020 में ‘सेबी’ ने फ्रेंकलिन को निवेशकों के पैसे वापस लौटाने का आदेश दिया। पिछले माह फरवरी में सुप्रीम कोर्ट भी पैसा लौटाने का आदेश दे चुका है। हालांकि निवेशकों को अभी भी उनकी पूरी जमा पूंजी वापस नहीं मिली है।

संतोष कामत ने निवेशकों से छुपाई थी सच्चाई

फ्रेंकलिन टेम्पलटन ने 10 महीने पहले 28 अप्रैल को अचानक अपनी 9 से 23 साल पुरानी 6 डेब्ट स्कीमों को बंद कर लाखों भारतीय निवेशकों को बड़ा झटका दिया था। 9 इस प्रकरण में सबसे हैरानी की बात यह है कि बंद किए जाने के एक सप्ताह पहले तक फ्रेंकलिन टेम्पलटन ने सब कुछ अच्छा यानी वित्तीय स्थिति ठीक होने का दावा किया था। तो फिर एक ही सप्ताह में ऐसा कौनसा नया संकट आ गया कि उसे 6 बड़ी स्कीमों को एक साथ सीधे बंद करने के कड़े फैसले के लिए मजबूर होना पड़ा। जाहिर है करोड़ों रुपए का वेतन पैकेज लेने वाले इसके CIO संतोष कामत ने निवेशकों को अंधेरे में रखा तथा सच्चाई छुपाते हुए उन्हें और नए निवेश के लिए प्रेरित भी किया। दरअसल ठीक एक सप्ताह पहले यानी 16 अप्रैल 2020 को लिखे पत्र में संतोष कामत ने निवेशकों को आश्वस्त करते हुए दावा किया था कि फंड हाउस में सब कुछ ठीक चल रहा है। यह वक्त निवेश का है और निवेशक चिंतामुक्त होकर निवेश करें। इस पत्र में आश्चर्यजनक रूप से बंद की गई 6 स्कीमों में से 3 स्कीमों (अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड, लो ड्यूरेशन फंड और शॉर्ट टर्म इनकम प्लान) में कामत ने मध्यम जोखिम बताते हुए लिखा कि जो निवेशक अल्प व मध्यम अवधि में नियमित आय की चाहत रखते हैं, वे चिंतामुक्त होकर इन 3 फंडों में निवेश करें। यहीं नहीं अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड में तो कामत ने शानदार निवेश अवसर (ग्रेट इन्वेस्टमेंट अपॉर्चुनिटी) बताकर निवेशकों से नए निवेश का आव्हान किया। और एक सप्ताह बाद यानी 24 अप्रैल को इन सब स्कीमों को अचानक बंद कर दिया गया। क्या एक सप्ताह में ‘ग्रेट इन्वेस्टमेंट अपॉर्चुनिटी’ गायब हो गई? यानी फ्रेंकलिन के फंड मैनेजरों ने निवेशकों को अंधेरे में रख चपत लगाई और अपने नजदीकी लोगों को पैसे पहले ही निकालने का मौका दिया।  

निवेशकों हितों को ताक पर रख मिलीभगत से निवेश

इतनी पुरानी स्कीमों की 25,000 करोड़ रुपए की निवेश राशि फंसना और आनन-फानन में बंद करना स्पष्ट रूप से बड़ी गड़बड़ी है। फंड हाउस ने बंद करने के पीछे कोरोना संकट का बहाना बनाया था, जबकि सच्चाई यह है कि इन 6 स्कीमों में आयी निवेशक पूंजी 26 ऐसी कंपनियों के ऋणपत्रों में निवेश कर दी गयी, जिनकी रेटिंग या तो थी ही नहीं और जिनकी थी, वह जोखिम भरी निचली रेटिंग थी। और इनमें अन्य किसी म्युचुअल फंडों का निवेश नहीं था। इस तरह यह जोखिमभरा निवेश कंपनी प्रमोटरों और फंड मैनेजरों की मिलीभगत से किया गया। जिसमें निवेशकों की जमा पूंजी दांव पर लगा दी गई। जाहिर है कि फ्रेंकलिन के फंड मैनेजरों ने निवेशकों के हितों को ताक पर रख कर बड़ी कमाई की होगी।

स्कीम बंद करने के पहले शीर्ष अधिकारियों ने निकाले पैसे

इस बीच, नियामक ‘सेबी’(SEBI) ने भी इस मामले में फ्रेंकलिन टेम्पलटन  के विपणन प्रमुख विवेक कुदवा को शो कॉज नोटिस जारी किया है और 15 मार्च 2021 से पहले हाजिर होने का आदेश दिया है। नोटिस में बंद की गई 6 स्कीमों में फ्रेंकलिन के शीर्ष अधिकारियों द्वारा इनसाइडर ट्रेडिंग की बात कही गयी है। सेबी ने अपनी जांच में पाया है कि 1 मार्च से 23 अप्रैल 2020 के बीच 6 अधिकारियों द्वारा 56 करोड़ रुपए की बड़ी राशि निकाली गयी। विवेक कुदवा और उनके परिवार ने भी स्कीम बंद किए जाने के पूर्व 6 मार्च से 3 अप्रैल 2020 के बीच 30 करोड़ रुपए का अपना निवेश निकाल लिया था।