ज्वैलरी कारीगरों के इंतजार में निर्यातक

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  •  ऑर्डर हैं, पर बनाने के लिए कारीगर नहीं

मुंबई. कोरोना संकट की मार झेलने के बाद अब जेम्स एवं ज्वैलरी निर्यातक कारीगरों की कमी से परेशान हैं. वैश्विक बाजारों में हालात कुछ सुधरने से भारतीय निर्यातकों को विदेशों से ऑर्डर तो मिलने लगे हैं, परन्तु अब काम है तो ऑर्डर को पूरा करने के लिए ज्वैलरी कारीगर नहीं हैं. लॉकडॉउन में कारीगरों के मुंबई से पलायन कर जाने से पूरी जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री को स्किल्ड मैनपावर की कमी से जूझना पड़ रहा है. अधिकांश कुशल कारीगर पश्चिम बंगाल, गुजरात और उत्तर प्रदेश के हैं, जो कोरोना के भय से मुंबई आने से डर रहे हैं. इसके अलावा जॉब सिक्युरिटी नहीं होने से भी कारीगर इंडस्ट्री में लौटने से कतरा रहे हैं.

मांग और उत्पादन में भारी अंतर

जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के चेयरमैन कोलिन शाह ने कहा कि हालांकि मौजूदा निर्यात मांग पिछले साल से 50-60% कम ही है, लेकिन ज्यादातर कारखाने अपनी कुल क्षमता के एक चौथाई हिस्से में काम कर रहे हैं, इस तरह मांग और उत्पादन में भारी अंतर पैदा हो रहा है. क्योंकि फिलहाल सरकार ने केवल 25% कर्मचारियों को ही काम पर बुलाने की अनुमति दी है. सबसे ज्यादा कमी पश्चिम बंगाल के हाई स्किल्ड कारीगरों की खल रही है, आमतौर पर बेजोड़ कारीगरी मे माहिर हैं. जिससे नए व्यवसाय में काफी नुकसान हो रहा है. जीजेईपीसी चेयरमैन ने कहा कि निर्यातकों को अपने कर्मचारियों को आश्वस्त करने की आवश्यकता है कि वे कारखानों में सुरक्षित रहेंगे. आज बिजनेस है, लेकिन पर्याप्त मैनपावर नहीं है. यह एक मुश्किल स्थिति है.

कर्मचारियों को लॉकडाउन में भी दिया पेमेंट

श्रीरामकृष्ण एक्सपोर्ट्स के प्रबंध निदेशक राहुल ढोलकिया ने कहा कि उनकी कंपनी केवल एक शिफ्ट में चल रही है. जबकि उनकी ज्वैलरी की मुख्य रूप से अमेरिका और चीन के साथ-साथ अन्य देशों में अच्छी मांग है, लेकिन हम मांग का 50% भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं. क्योंकि कम कर्मचारियों के कारण उत्पादन केवल 25-30% ही है. दूसरी समस्या यह आ रही है कि सीमा शुल्क विभाग में भी स्टॉफ की कमी से निर्यात खेप धीमी गति से भेजी जा रही है. उन्होंने कहा कि मुंबई या सूरत में हमारे प्रत्येक कर्मचारी को मार्च में लॉकडाउन घोषित होने के बाद से भुगतान किया गया है. जो काम पर आने में असमर्थ हैं, उन्हें भी अपने घर चलाने के लिए पर्याप्त भुगतान दिया जा रहा है. दुर्भाग्य से, दुनिया महामारी की चपेट में है और कर्मचारियों को कारखानों में वापस आने के लिए दबाव डालना अमानवीय होगा. इसलिए उन्हें स्वेच्छा से वापस आना होगा.

मुंबई आने से डर रहे कारीगर

प्रायोरिटी ज्वेल्स के संस्थापक शैलेश सांगानी ने कहा कि आभूषण निर्यात क्षेत्र, विशेष रूप से मुंबई के सीप्ज क्षेत्र में मैनपावर की भारी कमी देखी जा रही है. हम कुशल कारीगरों के लिए अधिक पैसे और यहां तक कि हवाई टिकट भी ऑफर कर रहे हैं, लेकिन वे अपने परिवार को छोड़ वापस आने से डर रहे हैं. क्योंकि मुंबई में कोरोना का खतरा कायम है. मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में उपलब्ध कर्मचारियों से ही रोजाना अधिक समय तक काम करने का अनुरोध किया जा रहा है. ताकि कुछ ऑर्डर तो पूरे किए जा सके.

कारीगरों को प्रोत्साहन देने नई पॉलिसी जरूरी

नाइ‍न डीएम के अध्यक्ष संजय शाह ने कहा कि पहले भारतीय निर्यातकों के पास केवल डायमंड कटिंग और पॉलिशिंग का बिजनेस अधिक था और ज्वैलरी बिजनेस में चाइना छाया हुआ था, लेकिन अब यूएस-चाइना ट्रेड वार और कोरोना महामारी के कारण अमेरिकी और यूरोप की कंपनियां चाइना से बिजनेस घटा रही हैं. जिससे भारत को ज्वैलरी बिजनेस ज्यादा मिलना शुरू हो गया है. परंतु अब कुशल कारीगरों की कमी हो गई है. यह समस्या दूर करने के लिए इंडस्ट्री और सरकार को मिलकर अतिशीघ्र प्रयास करने होंगे. कारीगरों को प्रोत्साहन देने के लिए नई पॉलिसी लानी होगी. यदि निर्यातक ऑर्डर पूरा करने में असमर्थ रहे, तो हमारे प्रतिस्पर्धी देशों थाईलैंड, सिंगापुर और वियतनाम के पास हमारा बिजनेस चला जाएगा, जो बड़ा नुकसान होगा.