- सोने में गिरावट है निवेश का मौका
- 21% गिर चुका है ऊंचाई से अब तक
- 43,000 रुपए महत्वपूर्ण समर्थन स्तर
मुंबई. पिछले साल 30% की जोरदार तेजी के बाद कीमती धातु सोने (Gold) की चमक अब थोड़ी फीकी पड़ रही है। ग्लोबल मार्केट में आ रही गिरावट के कारण भारत में भी सोने के दाम (Gold Prices) घट रहे हैं। पिछले साल 7 अगस्त को ग्लोबल मार्केट में 2072 डॉलर प्रति औंस और मुंबई में 56,200 रुपए प्रति दस ग्राम की रिकार्ड ऊंचाई छूने के बाद सोना अब ग्लोबल मार्केट में 1730 डॉलर और मुंबई में 44,700 रुपए पर आ गया है।
यह विगत 9 महीनों का न्यूनतम स्तर है, लेकिन विशेषज्ञ इस गिरावट को नए निवेश के लिए अच्छा अवसर (Investment Opportunity) मान रहे हैं। उनका मानना है कि कुछ महीनों तक यानी शॉर्ट टर्म में थोड़ी गिरावट और आ सकती हैं, परंतु मीडियम और लॉन्ग टर्म में फिर तेजी आएगी। 1660 डॉलर यानी 43,000 रुपए महत्वपूर्ण समर्थन स्तर माना जा रहा है।
आई थी दशक की सबसे बड़ी तेजी
कोरोना महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) के मंदी के भंवर में फंसने से पिछले साल सोने में दशक की सबसे बड़ी तेजी आई थी। जनवरी 2020 में 40,000 रुपए बिकने वाला सोना अगस्त में 56,000 रुपए के पार हो गया। हालांकि बाद में वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार शुरू हुआ तो सितंबर 2020 से सोने में गिरावट का क्रम शुरू हो गया, लेकिन ज्यादा गिरावट कोविड की वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) आने के बाद शुरू हुई। रिकार्ड ऊंचाई से सोना अब तक 21% घट चुका है, परंतु विगत दो महीनों में ही सोने के दाम 10% से ज्यादा घटे हैं।
गिरावट के ये हैं 5 मुख्य कारण
विश्व स्तर पर आई इस गिरावट के 5 मुख्य कारण माने जा रहे हैं। पहला कारण रिकार्ड तेजी के बाद निवेशकों और सट्टेबाजों की मुनाफावासूली है। दूसरा, चाइनीज वायरस कोरोना का प्रकोप घटने और इसकी वैक्सीन विकसित होना है। तीसरा कारण, वैश्विक अर्थव्यवस्था में जोखिम कम होकर तेज सुधार आना है। जिससे निवेशकों का झुकाव इक्विटी और कमोडिटी बाजारों की तरफ हो रहा है। यानी निवेश मांग घटना। चौथा कारण, अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना है और पांचवा कारण, भारत में सोने पर आयात शुल्क (Import Duty) में 5% कटौती किया जाना है, जो एग्री और इंफ्रा सेस के कारण 2.5% की ही कटौती प्रभावी हुई है।
बड़ी गिरावट की आशंका नहीं
विशेषज्ञों का मानना है कि सोने में यह गिरावट अल्पकालिक है और निवेश का यह अच्छा अवसर है। कोरोना वायरस कमजोर पड़ने और वैक्सीन आने से अमेरिका, चीन, भारत सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेज सुधार आ रहा है। जिससे निवेशकों का झुकाव फिलहाल इक्विटी और कमोडिटी बाजारों की तरफ हो गया है। तभी इक्विटी और कमोडिटी बाजारों में जोरदार तेजी आ रही है और सोने में गिरावट। हालांकि अब सोने में कोई बड़ी गिरावट की आशंका नहीं है क्योंकि निचले स्तरों पर केंद्रीय बैंकों और संस्थागत निवेशकों की खरीद फिर निकल सकती है। सोने का उत्पादन सीमित है। इसमें वृद्धि नहीं हो रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहा तो उपभोक्ता मांग बढ़ेगी। जिससे कीमतों में फिर तेजी का रूख बन जाएगा।
13% की गिरावट आई चांदी में
सोने के साथ चांदी (Silver) में भी गिरावट का क्रम बना हुआ है क्योंकि दोनों कीमती धातुओं में तेजी-मंदी का दौर साथ-साथ ही चलता है। हालांकि चांदी में गिरावट कम है और तेजी का रूख बना हुआ है। क्योंकि चांदी की औद्योगिक और उपभोक्ता मांग बढ़ रही है। पिछले साल अगस्त में 76,100 रुपए की नई ऊंचाई पर बिकने के बाद अब मुंबई में चांदी 66,400 रुपए प्रति किलो पर आ गयी है। यानी 13% की हल्की गिरावट ही आई है। जबकि वैश्विक बाजार में 29.14 डॉलर की ऊंचाई पर बिकने के बाद अब चांदी के दाम 26.16 डॉलर प्रति औंस पर हैं।