sugar

  • 90% तक महंगी हुई विगत 12 महीनों में
  • 10% की मामूली तेजी भारत में

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मुंबई. वैश्विक कमोडिटी बाजारों (Commodity Market) में अन्य जिंसों के बाद चीनी (Sugar) में भी तेजी जोर पकड़ रही है। ‍प्रमुख उत्पादक देशों में उत्पादन घटने की आशंका और सट्टेबाजी के चलते चीनी की वैश्विक कीमतें 4 साल की ऊंचाई पर पहुंच गयी है। अमेरिका में मंगलवार को चीनी का मई वायदा भाव 17.73 सेंट प्रति पाउंड पर पहुंच गया, जो मई 2017 के बाद सर्वाधिक उच्च स्तर है। तेजी के इस दौर में विगत 12 महिनों में चीनी करीब 90% तक महंगी हो चुकी है। 

वैश्विक बाजारों में इतनी बड़ी तेजी के बावजूद भारतीय बाजारों में खास तेजी नहीं है और कीमतों में 8 से 10% की मामूली तेजी ही आई है। मुंबई में थोक दाम 3600-3700 रुपए प्रति क्विंटल की रेंज में हैं। जबकि रिटेल दाम 40 रुपए प्रति किलो के आस-पास हैं।

वैश्विक उत्पादन घटने की आशंका

विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक बाजारों में अन्य कमोडिटी की कीमतों में आ रही जोरदार तेजी का असर चीनी पर भी पड़ रहा है, लेकिन अब सबसे बड़े उत्पादक ब्राजील में खराब मानसून के कारण अगले सीजन में करीब 10% तक उत्पादन (Production) घटने की आशंका है। साथ ही इंडोनेशिया और यूरोप के अन्य देशों में भी उत्पादन कुछ कम रहने की संभावना जताई जा रही है। इस वजह से तेजी ने जोर पकड़ लिया है और कीमतें विगत 4 वर्षों की ऊंचाई पर पहुंच गयी हैं। कीमतें मार्च 2020 में 9 सेंट तक गिरने के बाद बढ़ती हुई अब 17 सेंट प्रति पाउंड के पार हो गयी हैं। विश्लेषक तेजी का यह दौर इस साल जारी रहने की उम्मीद जता रहे हैं।

घरेलू कीमतों पर दबाव

संभवत: चीनी ही एक ऐसी कमोडिटी है, जिसमें विगत 12 महीनों के दौरान वैश्विक बाजारों में 90% तक की बड़ी तेजी आने के बाद भी भारतीय बाजार में दाम उस अनुपात में नहीं बढ़े हैं। मुंबई में चीनी की कीमतों में केवल 10% तक ही वृद्धि हुई है। इसके विपरीत खाद्य तेलों सहित अन्य कमोडिटीज में वैश्विक बाजार के अनुरूप ही यहां दाम बढ़ते जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण है भारत में गन्ने और चीनी का जोरदार उत्पादन तथा चीनी मिलों (Sugar Mills) के पास भारी स्टॉक जमा होना है। इस वजह से घरेलू कीमतों पर दबाव बना हुआ है।

भारत में ज्यादा तेजी की आशंका नहीं

भारत में इस साल 15 अप्रैल 2021 तक 170 चीनी मिलों ने 24.82 मिलियन टन चीनी का उत्पादन किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 21% अधिक है। इस साल देश में कुल उत्पादन 30.20 मिलियन टन रहने का अनुमान है। महाराष्ट्र का उत्पादन तो पिछले साल के 6.20 मिलियन टन से बढ़कर 11 मिलियन टन हो जाने की उम्मीद है। इस साल घरेलू खपत और निर्यात के बाद देश में शेष स्टॉक 7.6 मिलियन टन रहने की संभावना है। जिसकी वजह से घरेलू बाजारों में कीमतों पर दबाव बना रहेगा और अभी तक ज्यादा तेजी की कोई आशंका नहीं दिखाई दे रही है।

बढ़ने लगा निर्यात व्यापार

वैश्विक तेजी से भारतीय चीनी उद्योग के दिन अवश्य फिर रहे हैं। क्योंकि वैश्विक बाजार में मांग बढ़ने से देश का चीनी निर्यात (Export) बढ़ रहा है और सरकार भी मिलों को सब्सिडी देकर निर्यात को बढ़ावा दे रही है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के मुताबिक, इस सीजन में अब तक चीनी मिलें 52 लाख टन के निर्यात सौदे कर 33 लाख टन निर्यात कर चुकी है। सबसे ज्यादा निर्यात इंडोनेशिया, अफगानिस्तान और थाइलैंड को हो रहा है। इस साल कुल 70 लाख टन निर्यात होने का अनुमान है। इसके अलावा केंद्र सरकार सब्सिडी देकर इथेनॉल (Ethanol) उत्पादन को भी बढ़ावा दे रही है। सरकार पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण 8 से बढ़ाकर 20% करना चाह रही है। इससे भी चीनी कंपनियों का मुनाफा बढ़ने लगा है।

शुगर कंपनियों के शेयर काफी सस्ते मूल्यांकन पर

एलारा कैपिटल (Elara Capital) की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी कीमतों में तेजी, निर्यात वृद्धि और इथेनॉल उत्पादन बढ़ाए जाने से शुगर कंपनियों (Sugar Companies) का कारोबार और मुनाफा बढ़ रहा है। वैसे भी अधिकांश शुगर कंपनियों के शेयर काफी सस्ते मूल्यांकन पर चल रहे हैं। इस इंडस्ट्री की प्रमुख कंपनियों बलरामपुर चीनी (Balrampur Chini), धामपुर शुगर (Dhampur Sugar), द्वारिकेश शुगर (Dwarikesh Sugar) और त्रिवेणी इंजीनियरिंग (Triveni Engineering) के शेयर ‍वित्त वर्ष 2021-22 की फॉरवार्ड अर्निंग के आधार पर मात्र 5 से 6 के मूल्य/आय अनुपात (PE Ratio) पर ही उपलब्ध हैं। वर्तमान में इतने सस्ते मूल्यांकन पर और किसी विकासशील उद्योग की कंपनियों के शेयर उपलब्ध नहीं है। इस कारण निवेशकों (Investors) का आकर्षण शुगर शेयरों (Stocks) की तरफ बढ़ने लगा है।