Petrol-Pump
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    मुंबई. नित नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही पेट्रोल और डीजल की कीमतों (Petrol and Diesel Prices) के कारण जहां आम जनता बेहाल हो रही है, वहीं तमाम राजनीतिक दल इस मुद्दे पर केवल राजनीति करते दिखाई दे रहे हैं। ना केंद्र में सतारूढ़ एनडीए सरकार और ना राज्यों में शासन चला रहे दल पेट्रोल-डीजल पर भारी टैक्स बोझ (Huge Tax) घटाने की पहल कर रहे हैं। क्योंकि सभी को टैक्स राजस्व (Tax Collection) के रूप में भारी कमाई हो रही है और कोई भी भी सरकार अपनी कमाई कम करना नहीं चाह रही है।

    पेट्रोल-डीजल की कुल कीमत में करीब 60% हिस्सा तो केंद्र और राज्यों के टैक्स का है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल की रिकार्ड तोड़ महंगाई से राहत मिलना मुश्किल लग रहा है।

     3.14 लाख करोड़ का राजस्व केंद्र को

    भारी टैक्स लगाकर केंद्र और सभी राज्य सरकारें खूब कमाई कर रही हैं। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 11 महीनों (अप्रैल-फरवरी) में ही केंद्र सरकार को पेट्रोल-डीजल एवं पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री पर उत्पाद शुल्क के रूप में 3.14 लाख करोड़ रुपए का भारी राजस्व प्राप्त हुआ है। महालेखा नियंत्रक के आंकड़ों के मुताबिक, यह राजस्व मुख्यत: पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क (Exise Duty) से हुआ है। चाइनीज वायरस कोविड की महामारी के कारण देश में पेट्रोल-डीजल की खपत कम हो रही है, अन्यथा कमाई और ज्यादा होती।

    महाराष्ट्र को सर्वाधिक 26,791 करोड़ की कमाई

    पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को वर्ष 2020-21 के दौरान 9 महीनों (अप्रैल-दिसंबर) में पेट्रोल-डीजल एवं पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री पर कुल 1.35 लाख करोड़ रुपए का टैक्स राजस्व हासिल हुआ। राज्यों में सबसे ज्यादा कमाई महाराष्ट्र को हो रही है। इस अवधि में महाराष्ट्र सरकार को 16,962 करोड़ रुपए का टैक्स मिला। जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में महाराष्ट्र की कमाई 26,791 करोड़ रुपए रही, जो सभी राज्यों में सर्वाधिक थी। महाराष्ट्र में पेट्रोल पर 25% वैट (VAT) और 10.12 रुपए लीटर का अतिरिक्त टैक्स बोझ है। जबकि डीजल पर 24% वैट और 3 रुपए प्रति लीटर का अतिरिक्त टैक्स लिया जा रहा है।

    उत्तर प्रदेश को 20,112 करोड़ का राजस्व

    भारी वैट और सेल्स टैक्स लगाकर सबसे ज्यादा कमाई करने वाले 5 शीर्ष राज्यों में महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश, तमिलनाडू, राजस्थान और कर्नाटक शामिल हैं। वित्त वर्ष 2019-20 में यूपी को 20,112 करोड़ रुपए का टैक्स कमाई हुई। जबकि तमिलनाडू को 18,175 करोड़, कर्नाटक को 15,381 करोड़ और राजस्थान सरकार को 13,319 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। राजस्थान में सबसे ज्यादा 36% वैट लिया जा रहा है, लेकिन अन्य बड़े राज्यों के मुकाबले उपभोक्ता कम होने से वह कमाई के मामले में 5वें स्थान पर है।

    मंदी का लाभ नहीं, तेजी का खामियाजा अवश्य

    वर्तमान में केंद्र सरकार पेट्रोल पर 32.90 रुपए और डीजल पर 31.80 रुपए उत्पाद शुल्क वसूल रही है और पिछले साल मार्च-मई के दौरान जब ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल (Crude Oil) के दाम कोविड संकट की वजह से 20 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गए थे। तब केंद्र ने अपना राजस्व बढ़ाने के लिए डीजल पर 16 रुपए और पेट्रोल पर 13 रुपए टैक्स बढ़ा दिया था। इस तरह क्रमश: 79% और 65% की भारी टैक्स वृद्धि की गई। जिसकी वजह से भारतीय उपभोक्ताओं को क्रूड ऑयल की मंदी का लाभ नहीं मिला, लेकिन अब तेजी का खामियाजा अवश्य भुगतान पड़ रहा है। अब क्रूड ऑयल 69 डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गया है।

    मुंबई में सबसे महंगा

    और चारों महानगरों की बात करें तो मुंबई में ही सबसे महंगा बेचा जा रहा है। यहां पेट्रोल 100.19 रुपए और डीजल 92.17 रुपए की ऊंचाई पर पहुंच गया है, जबकि दिल्ली में 93.94 रुपए और 84.89 रुपए है। इसी तरह चेन्नई में पेट्रोल 95.51 रुपए, डीजल 89.65 रुपए तथा कोलकाता में क्रमश: 93.97 रु. एवं 87.74 रुपए प्रति लीटर हो गया है।

    170% तक कुल टैक्स

    इस तरह केंद्र और राज्यों का कुल टैक्स 170% तक हो जाता है। जिसकी वजह से भारत में एक तरह से पेट्रोल-डीजल सबसे महंगे बेचे जा रहे हैं। जब तक टैक्स में कटौती नहीं की जाती है, कीमतें घटना मुश्किल हैं। क्योंकि ग्लोबल मार्केट में गिरावट के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं।