और भड़केगी पेट्रोल-डीजल की महंगाई, 27 माह की ऊंचाई पर पहुंचा क्रूड ऑयल

  • 115% का उछाल आया क्रूड ऑयल में

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मुंबई. ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल (Crude Oil) में तेजी जोर पकड़ रही है और कीमतें बढ़ती हुई 73 डॉलर के पार हो गयी हैं। मंगलवार को ब्रेंट क्रूड 73.66 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जो कि पिछले 27 महीनों का उच्च स्तर हैं। क्रूड ऑयल विगत एक माह में 7.3% और इस साल अब तक 42% मंहगा हो चुका है। और पिछले 8 महीनों में तो कुल 115% का उछाल आया है। 

ग्लोबल मार्केट में तेजी के रूख को देखते हुए भारत में पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) की रिकार्ड तोड़ महंगाई से राहत मिलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है क्योंकि न केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारें टैक्स (Tax) घटाने के मूड में हैं। मुंबई में पेट्रोल के दाम 102.58 रुपए और डीजल 94.70 रुपए प्रति लीटर की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गए हैं।

और तेजी आने की संभावना

विश्लेषकों का कहना है कि विश्व स्तर पर चाइनीज वायरस कोविड-19 का प्रकोप कम होने लगा है। वैक्सीनेशन अभियान में तेजी लाने से भी संकट कम करने में मदद मिल रही है। लॉकडाउन खुलने और आर्थिक गतिविधियां जोर पकड़ने से अमेरिका, यूरोप और एशिया के अधिकांश देशों में क्रूड ऑयल की मांग बढ़ने लगी है। साथ ही तेल उत्पादक देश भी दाम ऊपर रखने के लिए उत्पादन बढ़ा नहीं रहे हैं। इसके अलावा सट्टेबाजी भी बढ़ रही है। इन कारणों से क्रूड ऑयल के जल्द ही 80 डॉलर के पार होने की संभावना जताई जा रही है। तब भारत में पेट्रोल-डीजल की महंगाई और भड़क जाएगी।

160% तक टैक्स बोझ

भारत में पेट्रोल और डीजल अत्याधिक महंगा होने का कारण इन पर 160% तक टैक्स बोझ होना है। यदि तेल रिफाइनरी कंपनियों की मूल कीमत पर कुल टैक्स की गणना की जाए तो पेट्रोल पर कुल टैक्स बोझ 160% और डीजल पर 128% तक है। केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क (Excise Duty) के रूप में, तो प्रत्येक राज्य सरकारें मूल्य वर्धित कर (VAT) के रूप में भारी टैक्स वसूलती हैं। केंद्र का उत्पाद शुल्क फिक्स है, जो पेट्रोल पर 32.90 रुपए और डीजल पर 31.80 रुपए प्रति लीटर है। जबकि हर राज्य सरकार की वैट दर अलग-अलग है। इसलिए किसी राज्य में कम महंगा तो किसी में ज्यादा महंगा बेचा जाता है।

102 रुपए में से 61 रुपए टैक्स का हिस्सा

वर्तमान में यदि कोई उपभोक्ता मुंबई में एक लीटर पेट्रोल खरीदने में 102.58 रुपए खर्च करता है तो उसमें से पेट्रोलियम कंपनी को तो सिर्फ 38 रुपए ही मिलते हैं, लेकिन केंद्र सरकार के राजस्व में 32.90 रुपए जाता है और महाराष्ट्र सरकार के कोष में करीब 27.98 रुपए प्राप्त होते हैं। शेष 4 रुपए डीलर कमीशन और भाड़े के रूप में जाते है। अर्थात केंद्र व महाराष्ट्र सरकार को मिलकर प्रति लीटर 61 रुपए की बड़ी कमाई हो रही है। एक लीटर पर इतनी कमाई तो रोजाना लाखों लीटर पर कितनी बड़ी कमाई होगी। इसीलिए कोई भी सरकार विरोध अवश्य कर रही है, लेकिन टैक्स घटाने के नाम पर चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे में आम जनता के लिए राहत की उम्मीद करना बेमानी है।