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  • 100 रुपए हो सकता है पेट्रोल

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मुंबई. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल (Crude Oil) की कीमतों में फिर तेजी का रूख बन गया है। साथ ही अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले रुपया (Rupee) कमजोर होता जा रहा है, लेकिन देश में फिलहाल पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) की कीमतें लगभग स्थिर हैं। उनमें कोई वृद्धि नहीं की जा रही है। फरवरी 2021 तक अंतर्राष्ट्रीय बाजार की घट-बढ़ के अनुरूप रोज कीमतों में बदलाव करने वाली पेट्रोलियम उत्पाद कंपनियां (Oil Refinery Companies) अब चुप्पी साधे बैठी हैं। 

इसका कारण है पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनाव (Assembly Election)। दरअसल केंद्र सरकार के अप्रत्यक्ष दबाव में कंपनियां खरीद लागत बढ़ने के बावजूद कीमतें नहीं बढ़ा रही हैं। यदि वैश्विक बाजार में अप्रैल अंत तेजी जारी रहती हैं तो चुनाव बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक साथ भारी वृद्धि की जाएगी। संभव है पेट्रोल 100 रुपए के पार हो जाए, जो फिलहाल मुंबई में 96.83 रुपए प्रति लीटर है।

75 के स्तर को पार डॉलर

26 फरवरी 2021 को जब से 5 राज्यों के चुनावों की घोषणा हुई है, सभी पेट्रोलियम कंपनियों ने कीमतों में घट-बढ़ रोक दी है, उल्टे करीब 70 से 80 पैसे की कटौती की है। जबकि कंपनियों की खरीद लागत बढ़ रही है। वैश्विक बाजार में ब्रेंट क्रूड ऑयल 5 डॉलर यानी 8% बढ़कर फिर 67 डॉलर प्रति बैरल हो गया है, जो एक माह का उच्च स्तर है। इसके अलावा रुपया कमजोर होने से क्रूड ऑयल की आयात लागत भी बढ़ गयी है। विगत 3 हफ्तों में रुपया भी 4% कमजोर हुआ है। भारतीय मुद्रा के सामने अमेरिकी डॉलर पहली बार 75 के स्तर को पार कर गया है। अब रुपया गिर कर 75.20 के रिकार्ड न्यूनतम स्तर पर आ गया है, जो 26 मार्च को 72.50 के स्तर पर था।

12% बढ़ी कंपनियों की खरीद लागत

इस तरह क्रुड के भाव बढ़ने और रूपए के कमजोर होने से भारत के लिए क्रुड ऑयल करीब 12% महंगा हो चुका है। अर्थात भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनियों की क्रुड खरीद लागत 12% बढ़ गयी है। इसके बावजूद कंपनियां कीमतें नहीं बढ़ा रही हैं। उल्टे सरकार के दबाव में गुरूवार को पेट्रोल-डीजल के दाम में क्रमश: 16 पैसे और 14 पैसे की मामूली कटौती की गयी है।

सरकार टैक्स घटाने के मूड में नहीं

एक तेल रिफाइनरी कंपनी के एक अधिकारी का कहना है कि 29 अप्रैल को अंतिम मतदान है और यदि तब तक क्रुड की कीमतें नहीं घटती है तो कंपनियों को पेट्रोल-डीजल की कीमतें एक साथ बढ़ानी पड़ सकती हैं। क्योंकि ना केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क कटौती और ना राज्य सरकारें वैट दर घटाने के मूड में दिखाई दे रही हैं। ऐसे में चुनाव बाद कीमतें बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाएगा।