Economic revival, need to support financial stability: Shaktikanta Das
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    नयी दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) की दूसरी लहर (Second Wave) के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने (RBI) अर्थव्यवस्था (Economy) को समर्थन देने और वर्तमान संकट के चलते कर्ज चुकाने में असमर्थ लोगों एवं कारोबारियों को राहत देने के लिये बुधवार को विभिन्न उपायों की घोषणा की। इसके तहत जहां कुछ व्यक्तिगत तथा छोटे कर्जदारों को कर्ज की किश्तों का पुनर्गठन कर कर्ज चुकाने के लिए अधिक समय देने की अनुमति दी गयी, वहीं बैंकों से टीका निर्माताओं, अस्पतालों और कोविड से संबंधित स्वास्थ्य ढांचे को प्राथमिकता के आधार पर कर्ज देने को कहा गया।

    आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने कहा कि दो साल तक के लिये कर्ज पुनर्गठन की सुविधा उन व्यक्तियों और लघु एवं मझोले उद्यमों को मिलेगी, जिन्होंने 2020 में अपने ऋण का पुनर्गठन नहीं कराया था और उनके कर्ज के खाते 31 मार्च, 2021 तक सामान्य रूप से चलते रहे हों यानी उस पर ब्याज तथा किस्त की अदायगी होती रही हो। ऋण पुनर्गठन की यह सुविधा 25 करोड़ रुपये तक के कर्ज वाली इकाइयों के लिये उपलब्ध होगी।

    उन्होंने कहा कि 50 हजार करोड़ रुपये का नकदी समर्थन बैंकों को उपलब्ध कराया जाएगा ताकि वे प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन विनिर्माताओं, टीके के आयातकों/आपूर्तिकर्ताओं और चिकित्सा उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं समेत अन्य को नया कर्ज दे सके। इस नये कर्ज की मियाद तीन साल तक होगी और यह रेपो दर पर मिलेगा। यह सुविधा 31 मार्च 2022 तक उपलब्ध रहेगी। उन्होंने बांड खरीदारी कार्यक्रम की भी घोषणा की।

    उल्लेखनीय है कि कोविड महामारी की पहली लहर से जब अर्थव्यवस्था उबर रही थी और वृद्धि के रास्ते पर लौट रही थी, तभी महामारी एक बार फिर तेजी से फैलने लगी। इसको देखते हुए कई राज्यों ने इसकी रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ और अन्य पाबंदियां लगायी है। जिससे कारोबारी गतिविधियों पर असर पड़ा है।

    स्वास्थ्य मंत्रालय के बुधवार को जारी आंकड़े के अनुसार पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण 3,82,315 नये मामले आये। इसके साथ कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 2.06 करोड़ से अधिक हो गयी है। वहीं संक्रमण से 3,780 लोगों की मौत के साथ मृतकों की संख्या 2,26,188 पहुंच गयी है। आरबीआई देश की आर्थिक स्थिति, बही-खातों पर दबाव तथा कर्ज प्रवाह के बारे में चर्चा के लिये बैंक प्रमुखों और एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) के साथ हाल के सप्ताह में बैठक करता रहा है।

    बैंक आरबीआई से खुदरा और छोटे कर्जदारों के लिये तीन महीने की कर्ज लौटाने से मोहलत देने की कथित तौर पर मांग करते रहे हैं। बांड खरीद कार्यक्रम की जानकारी देते हुए दास ने कहा कि आरबीआई सरकारी सरकारी प्रतिभूति खरीद कार्यक्रम (जी-सैप) के तहत 20 मई 35,000 करोड़ रूपये मूल्य की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद करेगा।

    आरबीआई ने बैंकों को फंसे कर्ज के एवज में राशि अलग रखने को लेकर ‘फ्लोटिंग’ प्रावधान (लाभ का वह हिस्सा जिसे बैंक आपात स्थिति के लिये रखते हैं) के उपयोग की भी अनुमति दी है। इससे बैंकों पर फंसे कर्ज के एवज में अलग से पैसे की व्यवस्था करने की जरूरत नहीं होगी। दास ने कहा कि आरबीआई के अनुसार परिदृश्य काफी अनिश्चित बना हुआ है इसके नीचे जाने का जोखिम है लेकिन मुद्रास्फीति के अनुमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा जा रहा।

    उन्होंने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2020-21 महामारी का वर्ष रहा। इसके समाप्त होने के साथ भारतीय अथर्व्यवस्था अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले तेजी से पुनरूद्धार और सकारात्मक वृद्धि के रास्ते पर थी… संक्रमण की रफ्तार भी घट रही थी लेकिन पिछले कुछ सप्ताह में स्थिति उल्लेखनीय रूप से बदल गयी है।”

    दास ने कहा, ‘‘पूर्व की तरह, केंद्रीय बैंक कोविड-19 संक्रमण के मामलों में दोबारा बढ़ोतरी से पैदा हुए हालात की निगरानी करता रहेगा और इससे निपटने के लिए सभी संसाधनों का उपयोग करेगा।” उद्योग मंडल सीआई के अध्यक्ष उदय कोटक ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने कोविड 2.0 के खिलाफ अभियान में वित्तीय क्षेत्र के मामले में कमर कस ली है। उसका स्पष्ट रूप से जोर जीवन और आजीविका बचाने पर है।

    मूडीज इनवेस्ट सर्विस ने कहा, ‘‘भारत में खराब होती स्थिति को देखते हुए आरबीआई ने व्यक्तियों और छोटे कारोबारियों के 25 करोड़ रुपये तक के कर्ज के एक बारगी पुनर्गठन की अनुमति दी है।” उसने कहा, ‘‘यह उपाय पिछले साल कर्ज लौटाने को लेकर दी गयी मोहलत की तुलना में हल्का है। साथ ही पुनर्गठित कर्ज का अनुपात भी कम होगा। इसके बावजूद बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता को लेकर जोखिम की स्थिति उभरी है।”

    आर्थिक परिदृश्य के बारे में आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में पुनरूद्धार के प्रमुख संकेत दिख रहे हैं लेकिन विभिन्न देशों और क्षेत्रों में गतिविधियां असमान बनी हुई है। दास ने कहा कि देश में 2020-21 में खाद्यान्न का रिकार्ड उत्पादन और बफर स्टॉक से खाद्य सुरक्षा और मांग बढ़ने, रोजगार सृजन और कृषि कच्चा माल तथा आपूर्ति से अर्थव्यवस्था अन्य क्षेत्रों को समर्थन मिला सका। लेकिन संपर्क गहन सेवाओं में फिलहाल बड़ी गिरावट की आशंका है। उन्होंने कहा कि सामान्य मानसून के पूर्वानुमान से खाद्य मुद्रास्फीति खासकर अनाज और दलहन की कीमतों को थामने में मदद मिलेगी।

    दास के अनुसार मुद्रास्फीति में वृद्धि कोविड-19 संक्रमण की स्थिति और स्थानीय स्तर पर पाबंदियों से आपूर्ति श्रृंखला तथा ‘लॉजिस्टिक’ पर पड़ने वाले असर पर निर्भर करेगी। उन्होंने कहा कि 50,000 करोड़ रुपये की नकदी सुविधा से बैंक योजना के तहत कोविड कर्ज बही खाता तैयार कर सकते हैं। रिजर्व बैंक ने लघु-ऋण बैंकों के लिए 10,000 करोड़ रुपये के विशेष दीर्घकालिक रेपो परिचालन की भी घोषणा की।

    दास ने कहा इसके तहत एमएसएमई इकाइयों को 10 लाख रुपये तक की सहायता को प्राथमिकता क्षेत्र के लिए कर्ज माना जाएगा। यह सुविधा 31 अक्टूबर, 2021 तक उपलब्ध होगी। इसके अलावा, दास ने कुछ ग्राहकों के लिये केवाईसी को भी युक्तिसंगत बनाने की घोषणा की। इसके तहत प्रोप्राइटरशिप फर्मों, अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं और कानूनी संस्थाओं के हितकारी मालिकों जैसी ग्राहकों की नई श्रेणियों के लिए वीडियो केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) या वी-सीआईपी (वीडियो-आधारित ग्राहक पहचान प्रक्रिया) का दायरा बढ़ाने का भी फैसला किया गया है। अन्य उपायों में राज्य सरकारों के लिये ओवरड्राफ्ट सुविधा में छूट शामिल है।

    उन्होंने कहा, ‘‘इस मुश्किल घड़ी में हमारे नागरिक जिस परेशानी का सामना कर रहे हैं, हम सरकार के साथ मिलकर उस हालात में सुधार के लिए काम करेंगे। जरूरत पड़ने पर हम अपरंपरागत और नये उपायों को आजमाने के लिए भी तैयार हैं। हमें अपने भविष्य को भी ध्यान में रखना होगा, जो इस मोड़ पर भी उज्ज्वल दिखाई दे रहा है, और भारत दुनिया की सबसे अधिक तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरने के लिए तैयार है।” (एजेंसी)