रिजर्व बैंक का राहत पैकेज नाकाफी, संकटग्रस्त लघु और मझौले उद्योगों की अनदेखी

    Loading

    मुंबई.  भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गर्वनर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) बुधवार की सुबह अचानक एक्टिव हो गए और कोरोना (Covid-19) महामारी की मार से व्यक्तिगत (Individuals) कर्जधारकों के साथ देश के छोटे उद्योगों (Small Businesses) को बचाने के लिए कई राहत उपायों की घोषणा की। कोविड महामारी में आपात स्वास्थ्य सेवाओं (Emergency Medical Services) के लिए  50,000 करोड़ रुपए के कर्ज प्राथमिकता पर देने के साथ 25 करोड़ रुपए तक कर्ज लेने वाले व्यक्तिगत, छोटे उधारकर्ताओं को अपने ऋणों के पुनर्गठन (Loan Restructuring) तथा ईएमआई में 3 महीनों का मोरेटोरियम (Moratorium) देने का एलान किया। 

    आरबीआई की इन घोषणाओं का उद्योग-व्यापार संगठनों ने स्वागत तो किया है, लेकिन भारी वित्तीय संकट के मौजूदा हालात में इसे नाकाफी बताया है। हालांकि बैंकरों ने कदमों की सराहना की है।

    7 करोड़ MSME, सिर्फ 45 लाख को ही बैंक ऋण : सा‍लुंखे

    MSME सेक्टर की प्रमुख संस्था एसएमई चैम्बर ऑफ इंडिया (SME Chamber Of India) के अध्यक्ष चंद्रकांत सा‍लुंखे ने कहा कि रिजर्व बैंक के राहत उपाय सराहनीय हैं, लेकिन ये बहुत ही कम है‍। आरबीआई ने सिर्फ 25 करोड़ रुपए तक के संकटग्रस्त छोटे कर्जधारकों को 30 सितंबर 2021 तक लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा दी है, इसका लाभ माइक्रो यानी सूक्ष्म उद्योगों को ही मिल पाएगा। जबकि देश के 7 करोड़ माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (MSME) सेक्टर में 25 से 100 करोड़ रुपए कारोबार वाले लघु और मझौले उद्योगों (SME) की संख्या सबसे ज्यादा है और सबसे ज्यादा रोजगार भी यही देते हैं, लेकिन इस समय ये भारी वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। लिहाजा इन्हें भी लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा देने की जरूरत है। साथ ही सभी को ऋण सुविधा तत्काल दिए जाना चाहिए। क्योंकि 7 करोड़ MSME में से मात्र 45 लाख को ही बैंक ऋण मिला हुआ है।

    रियल्टी सेक्टर के लिए ऋण पैकेज घोषित हो : पाटोदिया

    रियल्टी सेक्टर (Real Estate Sector) की शीर्ष संस्था ‘क्रेडाई’ (CREDAI) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटोदिया ने कहा कि रिजर्व बैंक ने 50,000 करोड़ रुपए का ‍ऋण सुविधा प्रदान कर हेल्थकेयर सेक्टर को तो बड़ी राहत दी है। कोविड समाधान फ्रेमवर्क 2.0 से महामारी से सबसे अधिक प्रभावित व्यक्तिगत कर्जधारकों और छोटे कारोबारियों को भी राहत मिलेगी। लेकिन रियल एस्टेट सेक्टर जैसे सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले उद्योग क्षेत्रों को कोई राहत नहीं दी गयी है। ‘क्रेडाई’ का रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार से आग्रह है कि महामारी से बुरी तरह प्रभावित रियल्टी सेक्टर के लिए भी कर्ज पुनर्गठन, ब्याज भुगतान में छूट और अतिरिक्त वित्त सुविधा के साथ ऋण पैकेज घोषित किया जाए। ताकि रियल्टी सेक्टर में कार्यरत लाखों लोगों के रोजगार बचाए जा सकें।

    हालात ज्यादा खराब, और पैकेज जरूरी : अग्रवाल

    मुंबई के कपड़ा कारोबारियों की शीर्ष संस्था हिंदुस्तान चैम्बर ऑफ कॉमर्स (Hindustan Chamber Of Commerce) के अध्यक्ष हरीराम अग्रवाल ने कहा कि आरबीआई के उपायों से कुछ राहत तो मिलेगी, लेकिन छोटे एवं मझौले उद्योगों और कारोबारियों को अधिक आर्थिक मदद की जरूरत है। क्योंकि लॉकडाउन-2 उद्योग-व्यापार क्षेत्र के लिए पिछले साल से ज्यादा संकट के हालात पैदा कर रहा है। इसलिए इस महामारी में बिजनेस बचाने के लिए सरकार को टैक्स छूट तथा अन्य आर्थिक मदद घोषित करनी चाहिए। साथ ही पिछले साल की तरह बैंकों से एक्स्ट्रा लोन भी दिया जाना चाहिए। लोन किस्तों में मोरेटोरियम सितंबर तक बढ़ाने की जरूरत है। सरकार को शीघ्र राहत पैकेज घोषित करना चाहिए।   

    छोटे कर्जदारों को बड़ी राहत : राव

    पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के एमडी और सीईओ मल्लिकार्जुन राव ने कहा कि व्यक्तिगत कर्जदारों और एमएसएमई के लिए एकमुश्त पुनर्गठन को दोबारा शुरू करने, एमएसएमई के लिए कर्ज प्रवाह बनाए रखने के लिए प्रोत्साहन और कोविड समाधान फ्रेमवर्क 2.0 से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों को मदद मिलेगी। कर्ज पुनगर्ठन की अवधि को दो साल के लिए बढ़ा दिया गया है। इससे उन कर्जदारों को भी राहत मिलगी, जिन्होंने पिछली बार मोरेटोरियम का लाभ लिया था। छोटे कारोबार और एमएसएमई के वर्किंग कैपिटल और मार्जिन का दोबारा आकलन की अनुमति देने से पहले से पुनर्गठन का लाभ ले रहे कर्जदारों को वर्किंग कैपिटल के चक्र को बनाए रखने में मददगार साबित होगा।