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भारत (India) दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फुटवियर प्रोड्यूसर है। भारत में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय फुटवियर ब्रांड्स के तौर पर बाटा, नाइकी, एडिडास, प्यूमा, आदि ब्रांड्स मौजूद हैं। लेकिन, भारत में अब ‘स्वदेशी’ (Country Made) का ज़्यादा चलन है, वहीं भारतीय ब्रांड्स भी ग्राहकों की पसंद के अनुसार प्रदर्शन कर रहे हैं। इसलिए ‘मेड इन इंडिया’ फुटवियर (‘Made in India’ Footwear) काफी प्रचलन में हैं और ज़बरदस्त कमाई कर रहे हैं। आइए आज हम आपको उन इंडियन फुटवियर ब्रांड्स के बारे में बताते हैं जो करोड़ों रुपयों की कमाई कर रहे हैं।

वुडलैंड (Woodland)

यह नाम सुनकर शू प्रेमियों का मन ललचा जाता है, मगर क्या आप जानते हैं कि यह एक भारतवंशी द्वारा स्थापित ब्रांड है। जी हां, दुनिया के इस प्रसिद्ध फुटवियर ब्रांड के संस्थापक का नाम अवतार सिंह (Avtar Singh) है। साल 1980 में उन्होंने इस कंपनी को कनाडा (Canada) में स्थापित किया था। 

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वह कनाडा और रूस (Russia) के लिए विंटर शूज (Winter Shoes) का निर्माण करते थे। दुनिया का परिपेक्ष बदलते, 90 के दशक में नए मार्किट कल्चर के चलन में आने के बाद उन्होंने भारतीय बाजार में प्रवेश करने का निर्णय लिया। फिलहाल भारत में इसका मुख्य विनिर्माण केंद्र नोएडा (Noida) में स्थित है। 

इस विश्व प्रसिद्ध फुटवियर कंपनी के 5,500 मल्टी-ब्रांड आउटलेट्स (MBO) में शेल्फ स्पेस के साथ भारत भर में 600 से अधिक ईबीओ हैं। वुडलैंड का टर्नओवर 1,250 करोड़ रुपये है।

लखानी (Lakhani)

यह फुटवियर ब्रांड अपने नाम से जाहिर कर देता है कि यह एक भारतीय ब्रांड है। लखानी ग्रुप की स्थापना वर्ष 1966 में परमेश्वर दयाल लखानी (Parmeshwar Dayal Lakhani) ने की थी। यह कंपनी केवल जूते ही नहीं बल्कि चप्पलें भी मैनुफ़ैक्चर करती है। अपने बेहतरीन प्रोडक्ट्स के चलते हर आम भारतीय इसे बखूबी पहचानता है।

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इस ब्रांड की भारतीय बाजार में काफी अच्छी पकड़ है। साल 2000 के दौर में इस फेमस भारतीय फुटवियर ब्रांड को अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स के प्रवेश से कुछ समय गुमनामी के साए में जीना पड़ा था। लेकिन फिर कंपनी की दूसरी पीढ़ी ने अपने पारंपरिक व्यवसाय को फिर से शुरू कर, आज उसके पुराने मुकाम पर पहुंचा दिया है। 

अब, यह कंपनी देश भर में अपने स्पोर्ट्स शूज, कैनवास शूज, स्लिपर्स, सैंडल, बैली, हवाई चप्पल और अन्य प्रीमियम-क्वालिटी के जूतों की वजह से काफी पसंद की जाती है। रिकार्ड्स के मुताबिक, साल 2018 में, लखानी ने 100 करोड़ रुपये से अधिक का  कारोबार किया था। कंपनी का अनुमान है कि आने वाले वर्ष 2021 में वह 200 करोड़ रुपये तक का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।

एसकेओ (SKO)

विदेश में 13 साल तक निवेश बैंकर (Investment Banker) के रूप में काम करने के बाद निशांत कनोडिया (Nishant Kanodia) अपने वतन वापिस लौटे और एसकेओ फुटवियर (SKO Footwear) के संस्थापक बन अपने उद्यमी बनने का सपना पूरा किया। यह उनके परिवार का पुश्तैनी व्यवसाय, जो 30 से अधिक वर्षों से चला आ रहा था, मगर निशांत अपने परिवार के काम को और बढ़ाना चाहते थे इसलिए उन्होंने इस बिज़नेस में प्रवेश किया। 

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निशांत ने वर्ष 2018 में स्कैंडिनेवियाई डिज़ाइन एस्थेटिक के साथ मिलकर एक लुग्ज़री  फुटवियर लेबल SKO की स्थापना की। इनकी इस फुटवियर कंपनी ने साल भर में ही 1.5 करोड़ रुपये की जोरदार कमाई की जिससे निशांत के इरादों को और प्रोत्साहन मिला। यह कंपनी पुरुषों के लिए स्नीकर्स, एस्पैड्रिल्स, म्यूल्स, सैंडल और लोफर्स बनाती है, साथ ही  महिलाओं के लिए फ्लैट चप्पल और हिल वाले जूते बनाती है। SKO ने वर्ष 2019 में लगभग 1.4 बिलियन यूरो का राजस्व अर्जित किया।

रेड चीफ (Red Chief)

इस फेमस शू मेकर कंपनी के संस्थापक हैं मनोज ज्ञानचंदानी (Manoj Gyanchandani)। उन्होंने साल 1995 में, यूरोप (Europe) में चमड़े (Leather) का निर्यात करने का फैसला किया और लियान ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड (Leayan Global Private Limited) की स्थापना की। फिर कुछ सालों बाद, मनोज ने 1997 में रेड चीफ (Red Chief) ब्रांड को लॉन्च किया, जो कि 5,500 करोड़ रुपये के विविध समूह RSPL का एक हिस्सा है।

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इसके बाद साल 2011 में मनोज ने कानपुर में पहला एक्सक्लूसिव रेड चीफ आउटलेट शुरू किया। आज रेड चीफ के देश के 22 राज्यों में कुल 175 स्टोर हैं। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) फाइलिंग के अनुसार, इस कंपनी का सालाना कारोबार 324 करोड़ रुपये है।

इंक.5 (Inc.5)

देश में महिलाओं की पसंदीदा फुटवियर कंपनी है Inc.5। यह जूतों से लेकर हाई हील्स तक महिला वर्ग की पहली पसंद बनी हुई है। इस कंपनी की संस्थापक अल्मास नंदा (Almas Nanda) का भी मानना है कि आराम और स्टाइल महिलाओं के लिए दोनों जरूरी है जिस बात की उनके कंपनी को अच्छी समझ है।

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Inc.5 की स्थापना साल 1998 में हुई जिसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को स्टाइलिश के साथ-साथ आरामदायक फुटवियर प्रोडक्ट प्रदान करना था। देश में कंपनी के फिलहाल 9 से अधिक शहरों में स्टोर्स मौजूद हैं, जिनका सालाना टर्नओवर 163 करोड़ रुपये है।