बंद में शामिल नहीं होंगे व्यापारी और ट्रांसपोर्टर

  • खुले रहेंगे बाजार, जारी रहेगी ट्रांसपोर्ट सेवा

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मुंबई. नए कृषि कानूनों के खिलाफ मंगलवार 8 दिसंबर को प्रस्तावित भारत बंद में व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों के बड़े संगठनों ने शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है। व्यापारिक महासंघ कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और ट्रांसपोर्ट सेक्टर के प्रमुख संगठन आल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) ने कहा है कि हम कल के भारत बंद में शामिल नहीं है और देश भर के बाजार पूरी तरह से खुले रहेंगे और सामान्य रूप से कारोबारी गतिविधियां जारी रहेंगी, वहीं ट्रांसपोर्ट सेक्टर भी यथावत काम करता रहेगा और माल की आवाजाही भी पूरी तरह चालू रहेगी।

किसी ने नहीं मांगा समर्थन

‘कैट’ के अध्यक्ष बी. सी. भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल तथा ‘ऐटवा’ के चैयरमैन प्रदीप सिंघल एवं अध्यक्ष महेंद्र आर्य ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा कि भारत बंद को लेकर किसी भी किसान संगठन अथवा किसान आंदोलन के नेताओं ने ‘कैट’ अथवा ‘ऐटवा’ से अपने आंदोलन अथवा भारत बंद के लिए कोई संपर्क भी नहीं किया है और ना ही कोई समर्थन मांगा है, इस बात को ध्यान में रखते हुए देश भर के व्यापारी एवं ट्रांसपोर्टर्स कल भारत बंद में शामिल नहीं हो रहे हैं। ऐसे में जब किसान नेताओं का सरकार के साथ बातचीत का दौर चल रहा है, तब किसी भी बंद का कोई औचित्य नहीं है। देश के व्यापारियों एवं ट्रांसपोर्टरों की सहानुभूति किसानों के साथ है। क्योंकि किसान ही अन्नदाता हैं और वे भी व्यापारियों एवं ट्रांसपोर्टरों की तरह ही अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग हैं, लेकिन हमें भरोसा है कि सरकार और किसान नेताओं के बीच चल रही बातचीत के सार्थक नतीजे अवश्य निकलेंगे।

बंद हो घाटे की खेती

चारों नेताओं ने कहा कि देश में किसान घाटे की खेती कर रहा है। लिहाजा अब समय आ गया है कि जब हमें किसान को फायदे की खेती उपलब्ध कराने के सभी विकल्प न केवल उपलब्ध कराने चाहिए बल्कि उन पर एक समयबद्ध सीमा में अमल भी होना चाहिए। देश के किसानों को यह भरोसा होना जरूरी है कि उनका वाजिब मुनाफा उन्हें अवश्य मिलेगा और यह वातावरण बनाना होगा कि जिससे किसान अपने खेत में स्वतंत्र रूप से खेती कर अच्छी फसल ऊगा सके। इस क्रम में देश के व्यापारी किसानों का पूरा सहयोग करेंगे और यदि व्यापारियों की तरफ से कोई कमी होगी तो उसको दूर करेंगे। वहीं ट्रांसपोर्ट सेक्टर भी किसानों को बेहतर ट्रांसपोर्ट व्यवस्था उपलब्ध कराने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।

‘बिचौलिया’ शब्द पर सख्त एतराज

खंडेलवाल ने कहा कि कृषि विधेयकों में मंडी में कारोबार करने वाले आढ़तियों को ‘बिचौलिया’ कहा गया है, जिनको समाप्त किया जाएगा। इस पर ‘कैट’ को सख्त एतराज है, क्योंकि आढ़तिए (व्यापारी) बिचौलिये नहीं बल्कि सेवा प्रदाता हैं, जो किसानों का माल मंडी में सही दामों पर बेचने में ना केवल उनकी सहायता करते हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर किसानों को एडवांस राशि अथवा वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं, वो नए कानूनों के अनुसार किस तरह व्यापार कर पाएंगे, इसके बारे में सरकार को अवश्य सोचना होगा। ‘कैट’ नए तीनों कृषि कानूनों का गहराई से अध्यन कर रहा है और शीघ्र ही एक विस्तृत ज्ञापन सरकार को देकर संशोधन करने की मांग की जाएगी।

असामाजिक तत्वों से किसान नेता रहे सतर्क

खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि हम अपने किसान भाइयों के साथ सहानुभूति रखते हैं और चाहते हैं कि वर्तमान में चल रहे विवाद का जल्द से जल्द अंत हो, लेकिन साथ ही साथ कोविड महामारी के मौजूदा संकट काल में जैसे-तैसे कुछ व्यापार लाइन पर आया है। ऐसे में किसी भी बंद को आयोजित करने के बजाय समस्त विवादों को बातचीत के जरिये सुलझाना उचित होगा।

किसान नेताओं को इस बात को लेकर सतर्क रहना चाहिए कि कुछ असामाजिक तत्व उनके आंदोलन की पवित्रता को अपने निहित स्वार्थों के कारण भंग कर सकते हैं और किसान एवं सरकार के बीच खाई बना सकते हैं, जिस पर ना केवल किसानों को बल्कि सरकार को भी ध्यान रखना होगा। आगे से जब भी कोई राजनीतिक दल बंद का आह्वान करता है, तब व्यापारियों को विश्वास में ले और बंद की वजह से व्यापारियों के होने वाले नुकसान के बारे में भी गंभीरता से सोचे।