Wheat- Crop

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कोविड की वजह से देरी के बावजूद अच्छी खरीद

मुंबई. देश में सरकारी एजेंसियों ने गेहूं की खरीद ने 341.31 लाख मेट्रिक टन के आंकड़े को पार कर लिया है, देश भर में कोविड-19 के प्रसार और लॉकडाउन द्वारा पैदा हुई सभी बाधाओं का सामना करते हुए 341.51 लाख टन तक पहुंच गया. गेहूं की कटाई आमतौर पर मार्च के अंत में शुरू होती है और प्रत्येक वर्ष अप्रैल के पहले सप्ताह में खरीद शुरू होती है. हालांकि 25 मार्च से राष्ट्रीय लॉकडाउन के प्रभावी होने के बाद सभी प्रचालन एक ठहराव पर आ गए हैं. तब तक फसल पककर कटने हेतु तैयार हो जाती है. इसे ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा लॉकडाउन अवधि के दौरान कृषि और संबद्ध गतिविधियों को शुरू करने के लिए रियायतें दी गईं और अधिकांश खरीद राज्यों में खरीद 15 अप्रैल से शुरू हो गई थी. जबकि हरियाणा में एक सप्ताह बाद शुरू हुई.

कोरोना संकट में कई चुनौतियों से जूझना पड़ा : प्रसाद

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डी. वी. प्रसाद ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती खरीद को सुरक्षित बनाना था. जबकि कोरोना महामारी पूरे देश में फैल रही थी. यह जागरूकता पैदा करने, सामाजिक दूरी और प्रौद्योगिकी की तैनाती की एक बहु आयामी रणनीति के माध्यम से हासिल किया गया. व्यक्तिगत खरीदी केंद्रों में किसानों के नुकसान को कम करने के लिए खरीदी केंद्रों की संख्या में बडी मात्रा में वृद्धि की गई.

ग्राम पंचायत स्तर पर उपलब्ध हर सुविधा का उपयोग करके नए केंद्र स्थापित किए गए और पंजाब जैसे प्रमुख क्रय राज्यों में यह संख्या 1836 से बढ़कर 3681 हो गई, हरियाणा में 599 से 1800 और मध्य प्रदेश में 3545 से 4494 हो गई. प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए किसानों को अपनी उपज लाने के लिए विशिष्ट तिथियां और स्लॉट दिए गए, जिससे भीड़भाड़ से बचने में मदद मिली. कठोर सामाजिक दूरी के नियमों का पालन किया गया और स्वच्छता कार्य नियमित रूप से किया गया. पंजाब में प्रत्येक किसान को स्टॉक जमा करने के लिए विशेष स्थान दिया गया और किसी और को उस क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई. केवल संबंधित लोगों को दैनिक नीलामी के दौरान उपस्थित होने की अनुमति दी गई. प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए, किसानों को अपनी उपज लाने के लिए विशिष्ट तिथियां और स्लॉट दिए गए, जिससे भीड़भाड़ से बचने में मदद मिली. कठोर सामाजिक दूरी के नियमों का पालन किया गया और स्वच्छता कार्य नियमित रूप से किया गया.

3 तरह की चुनौतियां

वायरस के प्रकोप के जोखिम के अलावा गेहूं खरीद एजेंसियों को तीन बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. सभी जूट मिलें बंद हो जाने के कारण खरीदे गए गेहूं को भरने के लिए उपयोग किए जाने वाले जूट बैगों का उत्पादन बंद हो गया था जो सबसे बड़ी चुनौती  थी , उच्चतम गुणवत्ता वाले पूरक प्लास्टिक बैगों का उपयोग करके इस बड़े संकट से निपटा गया. निरंतर निगरानी और समय पर कार्रवाई के माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया कि देश में कहीं भी पैकेजिंग सामग्री की कमी के कारण खरीद बंद नहीं हो सकी. 

सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश की वजह से गेहूं भीग गया, चूंकि सामान्य मानदंडों के अनुसार ऐसे स्टॉक की खरीद करना संभव नहीं था, इसलिए किसानों के लिए बडी जोखिम थी. भारत सरकार और भारतीय खाद्य निगम ने तुरंत हस्तक्षेप कर और विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण करने के बाद यह सुनिश्चित किया गया कि उत्पादित उत्पाद उपभोक्ताओं की न्यूनतम  आवश्यकताओं को पूरा करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी किसान को नुकसान हो इसलिए विशिष्टताओं को पुन: निश्चित किया गया.

श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित

तीसरी चुनौती श्रमिकों की कठोर आपूर्ति की स्थिति के साथ-साथ  आम जनता के बीच वायरस के बारे में निर्माण हुआ सामान्य भय,  राज्य प्रशासन द्वारा स्थानीय स्तर पर विश्वास निर्माण करनेवाले उपायों की एक श्रृंखला को लागू कर इस समस्या का निराकरण किया गया. श्रमिकों के लिए सुरक्षा मास्क, सेनिटायजर आदि पर्याप्त सुरक्षा उपाय और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्य एहतियाती उपाय किए गए.