Kailas Kulkarni

  • न्यूनतम जोखिम के साथ अधिकतम रिटर्न प्राप्त करने की निवेश रणनीति

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मुंबई. लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड के साझा कोष एलएंडटी म्युचुअल फंड (L&T Mutual Fund) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) कैलाश कुलकर्णी (Kailash Kulkarni) का कहना है कि इन दिनों म्युचुअल फंड या अन्य वित्तीय साधनों में निवेश करने वाले लोगों के सामने अक्सर ‘असेट एलोकेशन’ (Asset Allocation) नाम का एक शब्द आने लगा है। ज्यादातर आम निवेशकों (Investors) के लिए यह नया शब्द है, इसलिए इसको लेकर जिज्ञासा भी है कि आखिर ‘असेट एलोकेशन’ है क्या? ‘असेट एलोकेशन’ निवेश करने की एक ऐसी रणनीति है जिसके तहत अपने निवेश के पोर्टफोलियो (Investment Portfolio) को विभिन्न परिसम्पत्ति वर्गों में इस तरीके से विभाजित किया जाता है, जिससे जोखिम (Risk) कम हो और प्रतिफल (Return) अधिकतम मिलने की संभावना हो. 

पारंपरिक संपत्ति वर्ग में स्टॉक (Stock), बॉन्ड (Bond) और नकद (Cash) आते हैं। इनके अलावा निवेश के अन्य वैकल्पिक परिसंपत्ति वर्गों में वस्तु (Commodity), अचल संपत्ति (Real Estate), डेरिवेटिव (Derivative), बीमा (Insurance), निजी इक्विटी (Private Equity) आदि आते हैं। सरलता से समझने के लिए हम इस लेख में पारंपरिक संपत्ति वर्गों पर विशेष रूप से चर्चा करेंगे।

असेट एलोकेशन के फायदे

वरिष्ठ निवेश विशेषज्ञ कैलाश कुलकर्णी का कहना है कि असेट एलोकेशन एक निवेश रणनीति (Investment Strategy) है जिसका उद्देश्य विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों (समान वित्तीय साधनों का समूह जो एक जैसा प्रतिफल देते हैं) में निवेश करना है। इसकी सहायता से निवेशक को जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार, अपने प्रतिफल के लक्ष्य को हासिल करने के लिए, पोर्टफोलियो को संतुलित करने में मदद मिलती है। 

पोर्टफोलियो में समय अनुसार करें बदलाव

आइए हम फुटपाथ पर सामान बेचने वाले एक विक्रेता के उदाहरण से इसे समझने की कोशिश करें। उसके पास बेचने के लिए स्टॉक में धूप का चश्मा, टोपी, छाता और रेनकोट हैं। गर्मी के दिनों में वह धूप का चश्मा और टोपी बेचता है और स्टॉक समाप्त कर देता है, जबकि बरसात के दिनों में वह छाते और रेनकोट बेचता है। वह हेलमेट और सीट कवर भी रखता है, जो कभी कभार बाईक सवारों की आवश्यकता हो सकती है। वह क्या कर रहा है?  वह अपनी पूंजी को विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में बांटकर अलग-अलग तरह के सामान बिक्री के लिए रख रहा है, ताकि हर तरह के मौसम में उसका कुछ ना कुछ सामान बिकता रहे। ऐसा करने से उसकी जोखिम तो कम हो रही है साथ ही उसे जीविका का लक्ष्य पूरा कर पाने में मदद मिल रही है। यदि वह केवल धूप का चश्मा और टोपी ही रखता तो बरसात के मौसम में उसकी जीविका संकट में पड़ सकती थी। इसी प्रकार केवल छाते या रैनकोट रखने पर गर्मियों में उसके सामने जीविका की समस्या खड़ी हो जाती। उसने अपने स्टॉक (पोर्टफोलियो) में धूप के चश्में के अलावा छाते और रेनकोट रखकर विविधीकरण कर लिया, जिससे उसकी जीविका संकट में पड़ने से बच गयी। असेट एलोकेशन इसी मौलिक अवधारणा पर काम करता है। 

 असेट एलोकेशन की प्रक्रिया

असेट एलोकेशन करते समय निवेशक अपने पोर्टफोलियो में अपनी कुल निवेश राशि को विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों के बीच बांट देता है। लेकिन निवेश के लिए परिसंपत्ति श्रेणियों या इनके मिश्रित अनुपात को निर्धारित करने की प्रक्रिया बहुत ही व्यक्तिगत है, जो कि निवेशक के लक्ष्य, जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश अवधि पर निर्भर होती है। असेट एलोकेशन करते समय निम्न बातों पर विचार करना चाहिए:- 

  • निवेशक को सबसे पहले इस बात पर विचार करना चाहिए कि वह किस उद्देश्य के लिए निवेश कर रहा है। जैसे कि घर खरीदने, बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए या फिर सेवानिवृत्ति के लिए।
  • उसके बाद उसे इस बात पर विचार करना चाहिए कि वह किस सीमा तक जोखिम उठा सकता है या इसे बर्दाश्त करने में सक्षम है।
  • और अंत में उसे यह सोचना चाहिए कि वह कब तक अपनी रकम निवेशित रहना चाहता है अर्थात वह अपने निवेश को भुना कर उसका उपयोग कब करना चाहता है।

निवेश में विविधीकरण जरुरी

इसे एक सरल उदाहरण से समझते हैं। यदि कोई व्यक्ति सेवानिवृत्त हो गया है, तो इसका अर्थ है कि उसके पास कोई नियमित आय नहीं है, ऐसे में उसे यह सलाह दी जाती है कि वह अपनी बचत का निवेश निश्चित आय कोष, बांड और नकदी में करे, क्योंकि यह अधिक स्थिर एवं सुरक्षित है। इसका उद्देश्य वर्षों से अर्जित धन को संरक्षित रखते हुए कुछ नियमित आय प्राप्त करना है। इससे अलग, यदि आपके पास निवेश करने के लिए 25 साल का समय है और आपको बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए दीर्घकाल में पैसा चाहिए  तो आपको अपने निवेश का 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा  इक्विटी / इक्विटी फंड (Equity Fund) में, 20% डेट (Debt) और 10% नगद में निवेश करना चाहिए।

समय और जरूरतों के मुताबिक असेट एलोकेशन की समीक्षा करते रहें

एक बार असेट एलोकेशन कर देने के बाद रोज-रोज पोर्टफोलियो में इसकी निगरानी करने की आवश्यकता नहीं रहती, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि एक बार ऐसा कर देने के बाद इसे भूल ही जाएं। अपने पोर्टफोलियो की समय समय पर समीक्षा करते रहना चाहिए। आप अपने वित्तीय लक्ष्यों (Financial Goals) को हासिल करने के लिए, अपने वित्तीय सलाहकार के साथ या व्यक्तिगत रूप से नियमित अंतराल पर असेट एलोकेशन की समीक्षा करके इसमें यथोचित परिवर्तन करते रहें। ऐसा करके आप अच्छा प्रतिफल हासिल कर पाएंगे।