रिटर्न की चिंता, छोटे CA और MSME परेशान

  • GST, आयकर और एमनेस्टी स्कीम की अंतिम तिथि 31 दिसंबर

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मुंबई. आयकर (Income Tax) रिटर्न, जीएसटी (GST) वार्षिक रिटर्न भरने और ‘विवाद से विश्वास’ स्कीम की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2020 नजदीक आती जा रही है, लेकिन कोरोना महामारी और उस पर नियंत्रण के लिए जारी पाबंदियों के कारण बहुत से रिटर्न समय पर भर पाना मुश्किल लग रहा है। क्योंकि छोटे चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं।

इसका मुख्य कारण मुंबई की लाइफलाइन यानी लोकल ट्रेन सेवा आम जनता के लिए अभी तक बंद होना है। जिसकी वजह से ज्यादातर चार्टर्ड अकाउंटेंटों के पास खाते तैयार करने और ऑडिट करने के लिए पर्याप्त स्टाफ ही नहीं है। वे ना तो क्लाइंट के पास जा पा रहे हैं और ना क्लाइंट उनके पास आ पा रहे हैं। ऐसे में छोटे CA, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमी (MSME) और व्यापारियों को रिटर्न की चिंता सता रही है। इस वजह से सभी रिटर्न की अंतिम तिथि बढ़ाने की मांग की जा रही है, लेकिन वित्त मंत्रालय ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।

पैनाल्टी लगने का डर

सीए और व्यापारियों का कहना है कि कोरोना संकट के चलते एक तो स्टाफ की कमी है और दूसरे सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के आयकर रिटर्न, जीएसटी रिटर्न भरने और पुराने विवादों के निपटान की एमनेस्टी स्कीम ‘विवाद से विश्वास’, सभी की अंतिम तिथि एक ही दिन यानी 31 दिसंबर रखी है। इससे काम का बोझ बढ़ गया है। सबसे ज्यादा कठिनाई छोटे सीए, उद्यमियों और व्यापारियों को आ रही है। बड़ी कंपनियों और बड़ी सीए फर्मों को ज्यादा दिक्कत नहीं हैं। उनके पास सभी सुविधाएं हैं और वे अपने स्टाफ को सभी सुविधाएं प्रदान कर ‘वर्क फ्रॉम होम’ करा रही हैं। परंतु छोटी सीए फर्मों की सीमित कमाई के कारण उनके पास टेक्नोलॉजी सुविधाएं नहीं है। लिहाजा उन्हें ही अपने ग्राहकों की ऑडिट करने और रिटर्न समय पर तैयार करने में दिक्कत आ रही है। 31 तक रिटर्न नहीं भरे जाने पर छोटे उद्यमियों और व्यापारियों को पैनाल्टी लगने का डर लग रहा है।

3 महीने बढ़ाई जाए अंतिम तिथि

भारत मर्चेंटस चैम्बर के ट्रस्टी राजीव सिंघल ने कहा कि 31 दिसंबर तक रिटर्न भर पाना बहुत कठिन लग रहा है। अधिकांश सीए फर्मों के पास स्टाफ की कमी देखी जा रही है और उन पर काम का अत्याधिक बोझ है। लिहाजा सरकार को इनकम टैक्स, जीएसटी रिटर्न और एमनेस्टी स्कीम की तिथि तुरंत दो-तीन महिनें बढ़ा देनी चाहिए। साथ ही सरकार को तीनों के लिए 15 दिन का अंतर रख अलग-अलग तिथि निर्धारित करनी चाहिए। सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के जीएसटी वार्षिक रिटर्न की अंतिम तिथि तो बढ़ा कर 31 मार्च 2021 कर दी है, लेकिन वित्त वर्ष 2018-19 के जीएसटी रिटर्न 9 और 9सी (ऑडिट) की अंतिम तिथि 31 दिसंबर ही रखी है, इसे भी बढ़ाना बहुत जरूरी है।    

GST नियमों में बार-बार बदलाव क्यों?

व्यापारिक महासंघ ‘CAIT’ ने जीएसटी नियमों में बार-बार बदलाव किए जाने पर भी सवाल उठाया है। केंद्र सरकार ने 22 दिसंबर को जीएसटी नियमों में धारा 86-बी को जोड़ कर प्रत्येक व्यापारी जिसका मासिक टर्नओवर 50 लाख रुपए से ज़्यादा है, को 1% जीएसटी जमा कराना अनिवार्य कर दिया है।

इस नए प्रावधान पर कड़ा एतराज जताते हुए महासंघ ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को एक पत्र भेजकर मांग की है कि इस नियम को तुरंत स्थगित किया जाए और व्यापारियों से सलाह कर ही इसे लागू किया जाए। महासंघ ने यह भी मांग की है कि जीएसटी एवं आयकर में ऑडिट के रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 दिसम्बर 2020 को भी तीन महीने के लिए आगे बढ़ाया जाए। ‘कैट’ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा है कि नियम 86बी देश भर के व्यापारियों के व्यापार पर विपरीत असर डालेगा। कोरोना के कारण व्यापार में आई अनेक प्रकार की परेशानियों से व्यापारी पहले ही त्रस्त हैं। ऐसे में यह नया नियम व्यापारियों पर एक अतिरिक्त बोझ बनेगा।