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    मुंबई:  केंद्र सरकार और जीएसटी परिषद ने टेक्सटाइल उद्योग (Textile Industry) में टैक्स रिफंड (GST Refund) की समस्या दूर करने के नाम पर टैक्स राजस्व बढ़ाने के लिए एक जनवरी 2022 से वस्तु व सेवा कर (GST) दर 5% से बढ़ाकर समान रूप से 12% करने का निर्णय लिया है, लेकिन इससे देश में सभी तरह के कपड़े (Fabrics & Garments) महंगे हो जाएंगे, वहीं कपड़ा व्यापार में टैक्स चोरी (Tax Evasion) फिर से बढ़ सकती है। जिससे सरकार का राजस्व (Tax Revenue) बढ़ाने के इरादों पर पानी फिर जाएगा। 

    टेक्सटाइल उद्योग के संगठनों का कहना है कि अब जबकि पूरा कपड़ा व्यापार जीएसटी के दायरे में आ चुका है, सरकार का यह अर्थहीन कदम टैक्स चोरी को बढ़ावा देगा। साथ ही आम जनता पर महंगाई (Inflation) की मार बढ़ेगी। इसलिए सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए जीएसटी दर 8% करनी चाहिए। जिससे सरकार का राजस्व भी प्रभावित नहीं होगा और टैक्स रिफंड की समस्या भी नहीं होगी तथा कपड़े भी महंगे नहीं होंगे।

    पूरा कपड़ा उद्योग हैरान और आक्रोशित : राहुल मेहता

    क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (The Clothing Manufacturers Association Of India-CMAI) के चीफ मेंटर राहुल मेहता ने कहा कि जीएसटी दर वृद्धि का यह कदम ना सरकार के हित में है और ना कपड़ा उद्योग और ना ही जनता के हित में है। इसी वजह से पूरा कपड़ा उद्योग हैरान और आक्रोशित है। एक तरफ प्रधानमंत्री कहते हैं कि सभी ईमामदारी से टैक्स भरें। लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि जब टैक्स दर ऊंची रहेगी तो लोग मजबूरी में टैक्स चोरी के लिए विवश होंगे क्योंकि इस व्यवसाय में मार्जिन बहुत कम रहता है। हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इस उद्योग विरोधी निर्णय पर पुनर्विचार करेंगे।

    रोटी और मकान के बाद कपड़ा भी महंगा : विजय लोहिया

    भारत मर्चेंटस चेम्बर (Bharat Merchants Chamber) के अध्यक्ष विजय लोहिया ने कहा कि पिछले एक साल में वैश्विक तेजी और सट्टेबाजी के कारण सभी कॉटन (Cotton Yarn) और सिंथेटिक यार्न (Synthetic Yarn) 20% से लेकर 35% तक महंगे हो चुके हैं। यार्न कीमतों में भारी वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए तो सरकार ने कोई कदम उठाया नहीं, उल्टे सभी कपड़ों पर टैक्स बोझ ढाई गुना (5 से बढ़ाकर 12%) बढ़ा दिया। यह तो ‘आग में घी डालने’ वाला कदम है। क्या ऐसे बेतुकों कदमों से भारत ‘आत्मनिर्भर’ बनेगा? केंद्र व राज्य सरकारों को केवल अपनी कमाई की चिंता है। टैक्स बोझ बढ़ने से रोटी और मकान के बाद कपड़ा भी महंगा हो जाएगा। इसलिए सरकार को जनहित में अपने टैक्स वृद्धि के निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।  

    रिकार्ड GST संग्रह, फिर टैक्स वृद्धि क्यों : नरेंद्र पोदार

    भारत मर्चेंटस चेम्बर के उपाध्यक्ष नरेंद्र पोदार ने कहा कि 5% की रेट पर ही रिकार्ड जीएसटी कलेक्शन आ रहा है। ऐसे में टैक्स बोझ बढ़ाने का क्या औचित्य है? जीएसटी के बढ़ते संग्रह के बावजूद सभी तरह के कपड़ों पर टैक्स 5% से बढ़ाकर 12% किया जा रहा है। इससे टैक्स चोरी बढ़ सकती है क्योंकि कपड़ा व्यवसाय बहुत कम मार्जिन वाला बिजनेस है। इसके बजाय 8% दर की जाए तो टैक्स रिफंड का झंझट भी खत्म हो जाएगा और सरकार के राजस्व में भी कुछ वृद्धि होगी। जनता पर महंगाई की मार भी नहीं पड़ेगी।

    …तो गरीब आदमी कैसे जिएगा: सुनील मजीठिया

    मुंबई टेक्सटाइल मर्चेंटस महाजन (Mumbai Textile Merchants Mahajan) के मानद सचिव सुनील मजीठिया ने कहा कि देश में चौतरफा महंगाई की मार है। रोटी, कपड़ा और मकान तो हर नागरिक की बुनियादी जरूरत है। इसमें रोटी और मकान तो महंगे होते जा रहे हैं। अब कपड़ा भी महंगा होगा तो गरीब आदमी कैसे जिएगा? इसलिए सरकार को कपड़ा उद्योग से राय-मशिवरा कर बीच का रास्ता निकालना चाहिए। 12% की जगह एक समान 8% दर की जाए तो उद्योग का भी विकास होगा और जनता पर महंगाई की मार भी नहीं पड़ेगी। 

    किस पर कितना टैक्स और क्या है समस्या?

    दरअसल अभी तक कॉटन यार्न और सभी तरह के फैब्रिक्स पर जीएसटी दर 5% है और अन्य सभी यार्न पर जीएसटी 12% लागू है तथा 1 हजार रुपए से कम कीमत वाले सभी कपड़ों पर जीएसटी 5% लागू है, जबकि 1 हजार रुपए से अधिक कीमत वाले गारमेंट पर 12% जीएसटी लगता है। लेकिन देश में 1 हजार रुपए से कम कीमत वाले कपड़े और गारमेंट ही सबसे ज्यादा (करीब 95%) बिकते हैं. यार्न पर जीएसटी 12% और अन्य रॉ मैटेरियल पर 18% होने से यार्न और फैब्रिक्स निर्माताओं का इनपुट टैक्स बोझ अधिक है। उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी जीएसटी रिफंड लेने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। इसी कारण देश भर के कपड़ा कारोबारियों का करोड़ों रुपए जीएसटी रिफंड में अटका रहता है। इसलिए इनकी समस्या का समाधान करने के नाम पर सरकार ने यार्न पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% करने की बजाय सभी तरह के कपड़ों पर भी जीएसटी दर बढ़ाकर 12% कर दी है, लेकिन इससे सभी कपड़े महंगे हो जाएंगे और टैक्स चोरी भी बढ़ सकती है।