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    नयी दिल्ली. एक बड़ी खबर के अनुसार अब भारत की सरकारी कंपनी एयर इंडिया (Air India) को टाटा खरीदने जा रहा है। जी हाँ न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग (Bloomberg) की रिपोर्ट की मानें तो, Air India के लिए पैनल ने टाटा ग्रुप को चुन लिया है। दरअसल एयर इंडिया के लिए टाटा ग्रुप (Tata Group) और स्पाइसजेट (SpiceJet) के अजय सिंह ने भी बोली लगाई थी। लेकिन अब सरकारी एयरलाइन एअर इंडिया (Air India) टाटा समूह के नियंत्रण में जाएगी। क्योंकि एअर इंडिया की बिक्री प्रक्रिया में टाटा समूह ने सबसे ज्यादा कीमत लगाकर बिड जीत ली है।

    अगर रिपोर्ट की मानें तो मोदी सरकार इसकी घोषणा जल्द करेगी। इतना ही नहीं आगामी दिसंबर तक टाटा को एयर इंडिया का मालिकाना हक भी मिल सकता है। पता हो कि कि जेआरडी टाटा (JRD Tata) ने ही वर्द्श 1932 में टाटा एयरलाइंस (Tata Airlines) की स्थापना की थी। लेकिन फिर दूसरे विश्व युद्ध के वक्त उक्त विमान सेवाएं रोक दी गई थीं। जब फिर से विमान सेवाएं बहाल हुईं तो 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर उसका नाम एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया था। हालाँकि आजादी के बाद 1947 में एयर इंडिया की 49 % भागीदारी सरकार ने ले ली थी। 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।

    क्यों बेच रही है सरकार एयर इंडिया को?

    दरअसल सरकार ने संसद में एक उठे सवाल के जवाब में बताया था कि वित्त वर्ष 2019-20 के प्रोविजनल आंकड़ों के मुताबिक, एयर इंडिया पर कुल 38,366.39 करोड़ रुपये का कर्ज (Total Debt on Air India) हो चूका है।

    बता दें कि एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड के स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) को एयरलाइन द्वारा 22,064 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के बाद की यह रकम है। वहीं मोदी सरकार ने संसद को बताया था कि अगर एयर इंडिया बिक नहीं पाती है तो उसे बंद करना ही एकमात्र उपाय है।

    कुल कितनी प्रॉपर्टी का मालिक है एयर इंडिया ?

    बीते 31 मार्च 2020 तक एयर इंडिया की कुल फिक्स्ड प्रॉपर्टी करीब 45,863।27 करोड़ रुपये है। इसमें एयर इंडिया की जमीन, बिल्डिंग्स, एयरक्राफ्ट फ्लीट और इंजन भी शामिल हैं।

    क्या होगा एयर इंडिया के कर्मचारियों का ?

    इस प्रश्न पर सरकार ने संसद को बताया बताया में था कि, गाइडेंस के आधार पर एयर इंडिया कर्मचारियों के सभी व्यावसायिक हितों का पूरा खयाल रखा जाएगा। साथ ही, उन्हें भी पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाएगा।

    आखिर 68 साल बाद एयर इंडिया फिर टाटा की मिल्कियत

    बता दें कि पहले एयर इंडिया पहले टाटा ग्रुप की ही कंपनी थी। वहीं इस लीजेंड कंपनी की स्थापना JRD टाटा ने साल 1932 में की थी। फिर देश की आजादी के बाद उड्डयन क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण हुआ और इसके चलते सरकार ने टाटा एयरलाइंस के 49% शेयर खरीद लिए थे।

    लेकिन फिर बाद में ये कंपनी पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई और 29 जुलाई, 1946 को इसका नाम एयर इंडिया रख दिया गया। इसके बाद साल 1953 में सरकार ने एयर कॉर्पोरेशन एक्ट पास किया और कंपनी के फाउंडर JRD टाटा से इसका पूर्ण मालिकाना हक खरीद लिया। इसके कार्य के बाद एक बार फिर इस कंपनी का नाम एयर इंडिया इंटरनेशनल लिमिटेड रखा गया। लेकिन अब टाटा ग्रुप ने एक बार फिर 68 साल बाद ही सही, लेकिन अपनी कंपनी को फिर वापस पा लिया है।

     

    पहले भी हो चुकी है एयर इंडिया को बेचने की कोशिश

    गौरतलब है कि इसके पहले साल 2018 में एयर इंडिया को बेचने के अपने असफल प्रयास के बाद, मोदी सरकार ने पिछले साल जनवरी में विनिवेश प्रक्रिया को फिर से शुरू किया था और एयर इंडिया में एयर इंडिया की 100% हिस्सेदारी सहित राज्य के स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100% वाली एक्सप्रेस लिमिटेड और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50% इक्विटी बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित कीं थी। लेकिन अब सभी कयासों को विराम लगते हुए एयर इंडिया एक बार फिर टाटा ग्रुप में शामिल हो रही है।