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    दिल्ली: शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (हिंडनबर्ग रिसर्च ऑन अडानी ग्रुप) की रिपोर्ट सामने आने के बाद भारत के अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनियों के शेयरों को भारी आर्थिक झटका लगा है। शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने एक रिपोर्ट में स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग फ्रॉड का हवाला देते हुए अडानी ग्रुप (Adani Group) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसलिए रिपोर्ट आने के बाद से विश्व मीडिया के कई हिस्सों में अडानी ग्रुप की चर्चा है। महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा अदानी समूह की सहायता के लिए आगे आए हैं। सोशल मीडिया (Social Media) पर बेहद सक्रिय रहने वाले आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) हमेशा सफलता की कहानियां साझा करते हैं। हालांकि आज वह अडानी समूह की सहायता के लिए विश्व मीडिया के सामने स्पष्ट शब्दों में सामने आए हैं। बेशक कई लोगों ने उनके ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी है।

    भारत के खिलाफ दांव मत लगाओ – आनंद महिंद्रा

    आनंद महिंद्रा ने अपने ट्वीट में कहा ग्लोबल मीडिया अनुमान लगा रहा है कि क्या इंडस्ट्रियल क्षेत्र की मौजूदा चुनौतियां आर्थिक महाशक्ति बनने की भारत की महत्वाकांक्षाओं को पटरी से उतार देंगी। मैं लंबे समय से देख रहा हूं कि भारत भूकंप, सूखा, मंदी, युद्ध, आतंकवादी हमलों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि मैं बस इतना ही कहूंगा कभी भी भारत के खिलाफ दांव मत लगाओ। इस बीच, हिंडनबर्ग रिसर्च के सनसनीखेज आरोपों ने समूह की कंपनियों में बॉन्ड और शेयर कम भेजे। हिंडनबर्ग रिसर्च ने स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। हिंडनबर्ग रिसर्च पिछले दो साल से अडानी ग्रुप पर रिसर्च कर रही है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने के बाद से अडानी समूह की कंपनियों के बाजार में 1 लाख करोड़ रुपए की गिरावट आई है। दूसरे दिन भी शेयरों में गिरावट से बाजार दो दिन में 4 लाख करोड़ कम हुआ।

     

    अडानी मुद्दे पर संसद में उठाए हैं सवाल 

    अडानी समूह की प्रमुख कंपनी अदानी एंटरप्राइजेज सहित 10 कंपनियों को 110 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है। क्रेडिट सुइस और सिटीग्रुप ने अडानी के बॉन्ड पर कर्ज देने से इनकार कर दिया है। शेयर बाजार में गिरावट की वजह से गौतम अडानी भी टॉप-20 अरबपतियों की लिस्ट से बाहर हो गए हैं। टॉप-10 की लिस्ट में मुकेश अंबानी की एंट्री हो गई है। इस बीच देश की विभिन्न विपक्षी पार्टियों ने अडानी मुद्दे पर संसद में सवाल उठाए हैं। विपक्षी दलों ने एक संयुक्त संसदीय समिति जांच या सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी वाली समिति द्वारा जांच की मांग की है।