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मुंबई. स्वैच्छिक दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिए अर्जी लगाने वाली किफायती एयरलाइन गो फर्स्ट ने मंगलवार को कहा कि प्रैट एंड व्हिटनी से इंजन आपूर्ति बार-बार बाधित होने से उसके आधे विमान उड़ान नहीं भर पा रहे हैं जिसे कंपनी अपने वित्तीय दायित्व पूरा कर पाने की स्थिति में नहीं है।

वाडिया समूह के स्वामित्व वाली एयरलाइन गो फर्स्ट ने पीटीआई-भाषा के साथ अपना विस्तृत बयान साझा करते हुए कहा कि उसे मजबूरी में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिए जाना पड़ा है। कंपनी ने इसके लिए इंजन आपूर्तिकर्ता कंपनी पीएंडडब्ल्यू से इंजन नहीं मिल पाने को सबसे बड़ी वजह बताया है। उसने पीएंडडब्ल्यू पर विमान इंजनों की मरम्मत और कलपुर्जे मुहैया कराने में नाकाम रहने का भी आरोप लगाया।

गो फर्स्ट इंडिया लिमिटेड ने कहा, “इंजन की समस्या बनी रहने से हमारे करीब 50 प्रतिशत विमान खड़े हो चुके हैं। इसके अलावा परिचालन लागत दोगुनी होने से भी गो फर्स्ट को 10,800 करोड़ रुपये का राजस्व गंवाना पड़ा है।”

एयरलाइन ने कहा कि मौजूदा हालात में कंपनी अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा कर पाने की स्थिति में नहीं रह गई है लिहाजा एनसीएलटी के समक्ष अर्जी लगाई गई है। उसने ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता की धारा 10 के तहत किए गए आवेदन को सभी हितधारकों के हित में उठाया गया कदम बताया।

गो फर्स्ट ने कहा कि प्रवर्तकों की तरफ से अबतक 6,500 करोड़ रुपये की पूंजी डाली गई है जिसमें से 2,400 करोड़ रुपये पिछले 24 महीनों में लगाए गए। अकेले अप्रैल, 2023 में ही प्रवर्तक समूह ने 290 करोड़ रुपये इस एयरलाइन में लगाए हैं। (एजेंसी)