LNG Truck
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नई दिल्ली. ग्रीन मोबिलिटी सॉल्यूशंस ग्रीनलाइन मार्च 2024 में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में अपने बेड़े मे 1500 तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) ट्रक जोड़ेगी। यह कंपनी एस्सार समूह का हिस्सा है। कंपनी का उद्देश्य भारत में भारी ट्रकिंग को डीकार्बोनाइज करना है। यह एलएनजी संचालित माल परिवहन को व्यापक रूप से अपनाने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। जो डीजल की तुलना में बेहतर माइलेज प्रदान करता है। इससे परिचालन लागत कम होती है।

ग्रीनलाइन के सीईओ आनंद मिमानी ने बताया कि मार्च 2024 तक ग्रीनलाइन 1500 एलएनजी संचालित ट्रकों को तैनात करेगी। इस समय लगभग 100 से 110 वाहन प्रयोग में हैं। इसके अलावा, लगभग 66 सीएनजी और एलएनजी टैंकर भी हैं।

वर्तमान में  कंपनी के कुल 160 से 170 वाहन चल रहे हैं। एक एलएनजी ट्रक पर आम तौर पर बीमा, आरटीओ, रोड टैक्स, ट्रेलर आदि सहित लगभग 75 लाख रूपए लागत होती है।

मिमानी ने बताया कि ग्रीनलाइन के पीछे का विचार पूरे लॉजिस्टिक्स मूल्य श्रृंखला को डीकार्बोनाइज करना था। उन्होंने कहा कि कंपनी ने सबसे पहले सीएनजी वाहनों (टाटा 151 और आयशर वाहन) के साथ शुरूआत की। जिसमें सीएनजी के लिए अधिकतम भार वहन सीमा 15 टन थीं।

ग्रीनलाइन के सीईओ ने बताया कि एलएनजी एक ऐसी जगह है। जिसे हम समझना चाहते थे। हम एलएनजी को ईंधन के रुप म  स्थानांतरित करना चाहते हैं। हम भारत में एलएनजी के कारण सबसे बड़े वर्चुअल पाइपलाइन मूवर्स में से एक हैं।  हमने सेल के साथ भागीदारी की और बहुत कुछ सीखा है।

उन्होंने एलएनजी से चलने वाले ट्रकों के लिए वित्त पोषण के बारे में बताया कि अभी तक वाहनों को कंपनी की इक्विटी के जरिए खरीदा गया है।

मिमानी ने बताया कि कंपनी बैंकों और एनबीएफसी के साथ चर्चा कर रही है, जो ट्रकों का वित्त पोषण करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें एनबीएफसी (टीवीएस क्रेडिट) में से एक के साथ एक छोटी सी शुरुआत मिली है। जो नये वाहनों को निधि देने के लिए सहमत है। एचडीएफसी, आईसीआईसीआई जैसे अन्य बैंकों के साथ भी चर्चा की जा रही है। हालांकि, एलएनजी ट्रक माल वाहन क्षेत्र में नए हैं। ऐसे में कुछ बैंकरों की अपनी आशंकाएं भी हैं। लेकिन हमें पूरी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में वे हमें फंड देने के लिए राजी हो जाएंगे।