File Photo
File Photo

Loading

मुंबई: भारत को पिछले साल रूस से सस्ता कच्चा तेल मिलता था। कच्चे तेल के प्रत्येक बैरल पर 15 डॉलर से 20 डॉलर तक की छूट दी गई थी। लेकिन अब चीन ने नोटिस किया है और ड्रैगन ने रूस से कच्चे तेल की खरीद बढ़ा दी है। ओपेक प्लस देशों ने भी तेल प्रोडक्शन में कटौती का ऐलान किया है। इस वजह से भारत को मिलने वाली छूट 20 डॉलर से घटकर 5 डॉलर रह गई है। इससे देश में पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी आने की संभावना है। पिछले साल मई के बाद से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है। तेल कंपनियों ने पिछली बार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पिछले साल अप्रैल में संशोधन किया था। फिर मई में केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटा दी।

चीन का अगला कदम

रूस ने पिछले साल यूक्रेन पर हमला किया था। उसके बाद पश्चिमी देशों ने इस पर बैन लगा दिया। इसके बाद भारत ने रूस से भारी छूट पर कच्चा तेल खरीदना शुरू किया। रूस से तेल के खरीदारों की संख्या बढ़ रही है। इसलिए भारतीय रिफाइनरों के लिए छूट घट रही है। चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है। चीन ने कोरोना के बाद एक बार फिर अपनी अर्थव्यवस्था को खोल दिया है और रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है।

रिकॉर्ड तेल आयात

चीनी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, चीन ने जनवरी और फरवरी में रूस से सबसे ज्यादा तेल का इम्पोर्ट किया। इस दौरान उन्होंने रूस से 1.568 करोड़ बैरल यानी 19.4 लाख बैरल कच्चा तेल प्रतिदिन खरीदा। यह अनुपात पिछले साल के मुकाबले 23.8% ज्यादा है। अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूसी तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा लगा रखी है। ओपेक देशों ने अगले महीने से तेल प्रोडक्शन में कटौती का ऐलान किया है। शुक्रवार को कच्चा तेल 0.65% बढ़कर 78.88 डॉलर प्रति बैरल पर था। अप्रैल में भारतीय बास्केट में कच्चे तेल की कीमत 84.3 डॉलर प्रति बैरल थी। एक सरकारी रिफाइनरी कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि छूट घटकर 10 डॉलर प्रति बैरल से भी कम हो गई है। फिलहाल हमें आठ डॉलर प्रति बैरल की छूट मिल रही है। पिछले साल भारत ने रूस से 27 अरब डॉलर का कच्चा तेल खरीदा था। रूस से सस्ते तेल ने भारत की मांग को पूरा करने में मदद की। पिछले साल देश में पेट्रोलियम प्रोडक्ट की खपत 222.3 मिलियन टन थी, जो 2022 की तुलना में 10.2% अधिक है। इस रियायत ने राज्य के स्वामित्व वाली रिफाइनिंग कंपनियों को अपने सकल रिफाइनिंग मार्जिन में सुधार करने का अवसर प्रदान किया।

पेट्रोल, डीजल के दाम घटेंगे

रूस से कच्चे तेल पर सब्सिडी में कमी से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत कम होने की संभावना नहीं है। तेल कंपनियां फिलहाल अपने पिछले घाटे की भरपाई करने में लगी हुई हैं। जानकारों का कहना है कि वे पेट्रोल पर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं, जबकि डीजल पर मुनाफा 100 रुपये से भी कम है। इस साल देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे, उसके बाद अगले साल आम चुनाव होंगे। साल की दूसरी छमाही में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कुछ कमी आने की संभावना है।