Low Interest Rates Supporting Bull Run

  • 20 वर्षों में निफ्टी ने दिया 13% वार्षिक रिटर्न

Loading

अर्थव्यवस्था में आ रही तेजी से उत्साहित देशी-विदेशी निवेशकों के बढ़ते निवेश की बदौलत शेयर बाजार (Stock Market) में शानदार तेजी का दौर जारी है और बीते सप्ताह सेंसेक्स (Sensex) पहली बार 60,000 अंक पर और निफ्टी (Nifty) 18,000 अंक के करीब पहुंच गया। विगत 18 महीनों में सेंसेक्स में रिकार्ड 135% का उछाल आया है और यह पिछले 3 दशकों में दूसरा सबसे लंबा तेजी का दौर है।

देश के अग्रणी साझा कोष एलआईसी म्युचुअल फंड (LIC Mutual Fund) के फंड मैनेजर जयप्रकाश तोशनीवाल का मानना है कि तेजी का यह दौर फंडामेंटल्स (Fundamentals) और लिक्विडिटी (Liquidity) पर आधारित है और जब तक ब्याज दरें (Interest Rates) निचले स्तर पर हैं तथा इकनॉमी (Economy) में लिक्विडिटी है, मार्केट में तेजी का दौर घट-बढ़ के साथ चलता रहेगा। हालांकि रिटेल इन्वेस्टर (Retail Investor) को जोखिम कम रखते हुए ही निवेश करना चाहिए। इन्हीं मुद्दों पर जयप्रकाश तोशनीवाल से  विष्णु भारद्वाज की चर्चा हुई। पेश हैं उसके मुख्य अंश:-

सेंसेक्स के पहली बार 60,000 अंक के पार होने से निवेशकों में खुशी है, लेकिन सेंसेक्स-निफ्टी का वैल्यूएशन महंगा होने से एक डर भी है। क्या आपको लगता है कि तेजी कायम रहेगी?

ऐसा है कि पहली नजर में रिकार्ड तेजी के बाद अब वैल्यूएशन (Valuation) महंगा दिख रहा है, जब-जब सेंसेक्स-निफ्टी 30-32 के मल्टीपल पर पहुंचे हैं, मार्केट करेक्ट हुआ है। परंतु इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि पहले बैंक ब्याज दरें 8% से नीचे नहीं आती थी, लेकिन अब तो 6% से भी नीचे आ गयी हैं। आज बैंकिंग सिस्टम में 7।50 लाख करोड़ रुपए की भारी लिक्विडिटी है, जो पहले 1 लाख करोड़ प्लस या माइनस होती थी। बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ 9% से अधिक है और क्रेडिट ग्रोथ 6% से भी कम है। इसलिए हमें विश्लेषण करते समय केवल निफ्टी का वैल्यूएशन नहीं बल्कि डेब्ट मार्केट (Debt Market) को भी देखना होगा, ब्याज दरों को ध्यान में रखना होगा और भारी लिक्विडिटी के कारण निकट भविष्य में ब्याज दरें स्थिर ही रहने के आसार दिख रहे हैं। इसके अलावा देश की आर्थिक गति तेज होने से कंपनियों का मुनाफा (Profit) भी बढ़ रहा है। इसलिए तेजी का यह दौर उतार-चढ़ाव के साथ जारी रहने की संभावना है।

लेकिन महंगाई बढ़ने से ब्याज दरों में वृद्धि होने की आशंका भी तो है?

नहीं, फिलहाल इसकी आशंका बहुत कम है। महंगाई दर (Inflation Rate) 5।6% के करीब है, जो रिजर्व बैंक (RBI) के निर्धारित लक्ष्य 6% की सीमा में ही है। और देश में मानसून कुल-मिलाकर अच्छा होने से पैदावार बढ़ने एवं खाद्य वस्तुओं के दाम नियंत्रित रहने की उम्मीद दिख रही है।

चाइना की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रैंड के डिफाल्ट होने का भारतीय बाजार पर क्या असर होगा?

एवरग्रैंड के डिफाल्ट होने का भारतीय बाजार और अन्य वैश्विक बाजारों पर कोई खास असर नहीं होता दिख रहा है। क्योंकि भारतीय कंपनियों का तो चाइना में कोई एक्सपोजर नहीं है। कुछ लोग इसकी तुलना लेहमान ब्रदर्स से कर रहे हैं, लेकिन लेहमान का अमेरिका सहित दुनिया भर में एक्सपोजर था। जबकि एवरग्रैंड सिर्फ चाइना तक ही सीमित है।

मौजूदा तेजी के माहौल में LIC म्युचुअल फंड की क्या निवेश रणनीति है?

LIC म्युचुअल फंड अपनी निवेश रणनीति में बार-बार परिवर्तन नहीं करता है। हम अपने निवेशकों की वेल्थ क्रिएशन (Wealth Creation) के लिए हमेशा लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी (Long Term Investment Strategy) अपनाते हैं। क्योंकि लॉन्ग टर्म में ही वेल्थ क्रिएशन संभव है। हम निवेश करते समय हमेशा क्वालिटी स्टॉक, वैल्यूएशन, ग्रोथ, फंडामेंटल, ट्रैक रिकार्ड और प्रमोटरों के विजन सहित हर पहलु को ध्यान में रखते हैं।

पैसिव म्युचुअल फंड वेल्थ क्रिएशन में कितने प्रभावी हैं?

पैसिव म्युचुअल फंड (Passive Funds) लॉन्ग टर्म में निश्चित रूप से वेल्थ क्रिएशन में काफी प्रभावी है। पैसिव फंड आसान प्रॉडक्ट है। ये मुख्यत: निफ्टी-50, निफ्टी-100 और सेंसेक्स-30 पर आधारित होते हैं और इनका निवेश इन इंडेक्सेज में शामिल शेयरों में उसी अनुपात में किया जाता है। इसलिए इनमें रिटर्न (Return) भी लगभग इंडेक्स के रिटर्न के अनुसार ही मिलता है और लॉन्ग टर्म में निफ्टी ने हमेशा बढ़िया रिटर्न दिया है। यदि हम पिछले 20 वर्षों का रिटर्न देखे तो निफ्टी-50 ने 13% का कम्पाउडिंग एनुअल ग्रोथ रिटर्न (CAGR) दिया है। और 13% रिटर्न मिलने पर आपका निवेश 12 वर्षों में 4 गुना हो जाता है। इस तरह आप पैसिव म्युचुअल फंडों में अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न प्राप्त कर लॉन्ग टर्म में अच्छी वेल्थ बना सकते हैं।