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    मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को कहा कि निजी क्षेत्र के बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों, पूर्णकालिक निदेशकों और अन्य प्रमुख अधिकारियों को शेयर आधारित प्रोत्साहन के उचित मूल्य को संबंधित लेखा वर्ष में खर्च माना जाना चाहिए। उचित मूल्य का आकलन संपत्ति के मौजूदा बाजार भाव और देनदारी के आधार पर किया जाता है। 

    आरबीआई ने स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, छोटे वित्त बैंकों और विदेशी बैंकों सहित सभी बैंकों को 31 मार्च, 2021 को समाप्त लेखा अवधि के बाद दिए गए सभी शेयर आधारित उत्पादों के लिए निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है। केंद्रीय बैंक ने नवंबर 2019 में पूर्णकालिक निदेशकों ,मुख्य कार्यपालक अधिकारियों,  अन्य प्रमुख कर्मचारियों को दिये जाने वाले प्रोत्साहन पर दिशानिर्देश जारी किए थे।

    इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी करते हुए आरबीआई ने कहा, ‘‘शेयर आधारित प्रोत्साहन के वास्तविक मूल्य को उस लेखा वर्ष में खर्च माना जाना चाहिए, जिस साल इसकी मंजूरी दी गयी है।” आरबीआई ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा, ‘‘यह पाया गया है कि बैंक, शेयर आधारित क्षतिपूर्ति को बही-खाते में खर्च के रूप में नहीं दिखा रहे हैं।” (एजेंसी )