नयी दिल्ली. साख निर्धारित करने वाली एजेंसी फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष (2022-23)के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत पर बरकरार रखा है। उसने कहा कि भारत इस साल उभरते बाजारों में सबसे तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल वाला देश हो सकता है। हालांकि, रेटिंग एजेंसी ने अगले दो वित्त वर्ष के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर अनुमान को घटाया है। उसने कहा कि हालांकि देश वैश्विक आर्थिक झटकों से स्वयं को बचाने में कुछ हद तक सक्षम रहा है लेकिन यह वैश्विक गतिविधियों से पूरी तरह से अछूता नहीं रह सकता है।
फिच ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के दिसंबर अंक में कहा कि देश की जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में सात प्रतिशत रहेगी। वहीं 2023-24 में इसके धीमी पड़कर 6.2 प्रतिशत और 2024-25 में 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इससे पहले, सितंबर महीने में चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर सात प्रतिशत, अगले वित्त वर्ष में 6.7 प्रतिशत तथा 2024-25 में 7.1 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी।
फिच ने कहा कि अर्थव्यवस्था की बेहतर स्थिति को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। उसने कहा, “हमारे फिच 20 दायरे में भारत के उभरते बाजारों में तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाले देशों में से एक बने रहने की संभावना है।”
फिच ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की प्रकृति काफी हद तक घरेलू केंद्रित है। देश के जीडीपी में खपत और निवेश का बड़ा योगदान है। इससे देश कुछ हद तक वैश्विक आर्थिक झटकों से निपटने में सफल रहा है। रेटिंग एजेंसी ने कहा, “हालांकि, भारत वैश्विक गतिविधियों से पूरी तरह से अछूता नहीं रह सकता है। वैश्विक स्तर पर आर्थिक नरमी से भारतीय निर्यात के लिये मांग कम होने की आशंका है।” (एजेंसी)