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मुंबई: हाईवे पर सफर करते समय हमें कई बार टोल प्लाजा पर रुकना पड़ता है और यहां काफी समय बर्बाद होता है। टोल बूथों पर लगने वाले औसत समय को कम करने के लिए सरकार द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। इस बीच, देश में राजमार्गों से टोल बूथों को हटाने के लिए सरकार अगले छह महीनों में जीपीएस आधारित टोल प्रणाली और कुछ अन्य टेक्निक को पेश करेगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने खुद इस संबंध में जानकारी दी है।

 रेवेन्यू तीन साल में बढ़कर 1.40 लाख करोड़ रुपए हो जाएगी

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इस कदम का मकसद सड़क जाम को रोकना है। गडकरी भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) का मौजूदा टोल रेवेन्यू 40,000 करोड़ रुपये है। अगले दो से तीन साल में यह बढ़कर 1.40 लाख करोड़ रुपए हो जाएगी। सरकार देश में राजमार्गों पर टोल प्लाजा को खत्म करने के लिए जीपीएस आधारित टोल प्रणाली जैसी तकनीक शुरू करने की योजना बना रही है। हम छह महीने में नई तकनीक लेकर आएंगे।

टेस्टिंग मोड पर शुरू है काम

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय बिना वाहनों को रोके टोल वसूलने के लिए एक स्वचालित नंबर प्लेट पहचान प्रणाली पर काम कर रहा है। वर्ष 2018-19 के दौरान टोल प्लाजा पर किसी वाहन का औसत वेटिंग टाइम 8 मिनट था। 2020-21 और 2021-22 में FASTag के आने के बाद टोल प्लाजा पर वाहनों का औसत वेटिंग टाइम घटकर 47 सेकंड रह गया है।