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    दिल्ली: देश में ज्यादातर लोग बिना सिक्योरिटी के टैक्स बचाने के लिए इंश्योरेंस (Insurance) लेते हैं। उम्मीद है कि आने वाले बजट (Union Budget 2023) में सरकार बीमा क्षेत्र को ज्यादा से ज्यादा रियायतें देकर इस सेवा को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने में मदद करेगी। इसके अलावा सरकार पेंशन योजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए पेंशन/वार्षिकी को कर मुक्त भी कर सकती है। एक विकल्प प्रमुख घटक के परिशोधन की अनुमति देना है। एनपीएस के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए निजी क्षेत्र को समान अवसर दिया जाना चाहिए। धारा 80डी के तहत छूट प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम(Health Insurance) की वर्तमान सीमा केवल 25,000 रुपये है। इस सीमा को बढ़ाने की जरूरत है। कोविड (Covid) के दो साल ने साबित कर दिया है कि मौजूदा सीमाएं काफी नहीं हैं।

    बीमा क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा

    कुछ साल पहले तक 2.5 लाख प्रीमियम की परिपक्वता राशि आयकर की धारा 10(10D) के तहत कर मुक्त थी। इसे फिर से कर योग्य बना दिया गया है। यह फैसला वापस लिया जाना चाहिए। इससे बीमा क्षेत्र में भारी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।

    1.5 लाख की सीमा 2 से बढ़ाकर 2.5 लाख की जाएगी

    इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत निवेश के कई विकल्प आते हैं। लेकिन जीवन बीमा प्रीमियम, पीपीएफ, ईएलएसएस, एनएससी, एनपीएस, होम लोन की मूल राशि आदि। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार बीमा पॉलिसियों के लिए एक अलग बकेट बनाएगी या 1.5 लाख की मौजूदा सीमा को 2 से बढ़ाकर 2.5 लाख कर देगी।

    कमीशन पर टीडीएस छूट बढ़ाने की उम्मीद है

    उम्मीद है कि बजट में सरकार आयकर (Income Tax) की धारा 194डी के तहत बीमा कमीशन पर टीडीएस छूट की सीमा मौजूदा 15 हजार रुपये से बढ़ाएगी। इससे बीमा एजेंटों को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा बीमा जैसे उत्पादों पर 18 फीसदी जीएसटी अधिक है। कम से कम बुनियादी सुरक्षा योजना जीरो जीएसटी के तहत आनी चाहिए।