फेसलेस टैक्स असेसमेंट सिस्टम से घटेगा भ्रष्टाचार, जल्द निपटेंगे टैक्स विवाद

  • अब बेईमान नहीं कर पाएंगे ‘सेटिंग’

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मुंबई. ‘डिजिटल इंडिया’ (Digital India) को आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने अमेरिका की तर्ज पर भारत में भी आयकर (Income Tax) मामलों के त्वरित और आसान निपटान के लि‍ए फेसलेस टैक्स असेसमेंट सिस्टम (Faceless Tax Assessment System) लागू कर दिया है। इस नई पारदर्शी प्रणाली की घोषणा दो साल पहले केंद्रीय बजट में की गयी थी और अगस्त 2020 से इसकी शुरूआत की गयी, लेकिन कोविड संकट की वजह से यह प्रणाली आंशिक रूप से ही लागू हो पाई है। अब धीरे-धीरे इसे अमल में लाया जा रहा है और आयकर विभाग ने दिसंबर 2021 से पूर्ण रूप से लागू करने का लक्ष्य रखा है। कर विशेषज्ञों का मानना है कि फेसलेस असेसमेंट सिस्टम की एक सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें आयकर अधिकारियों की जवाबदेही तय की गयी है। यानी टैक्स विवाद के मामले में यदि देरी होती है तो आयकर अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। 

पहले आयकर के विवादित या स्क्रूटनी या टैक्स रिफंड जैसे छोटे मामले भी अधिकारियों की लापरवाही के चलते महीनों या वर्षों तक लटके रहते थे, लोग आयकर विभाग के चक्कर काटते-काटते थक जाते थे। परंतु अब चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी। टैक्सपेयर अपने घर या ऑफिस में बैठे-बैठे ऑन‍लाइन विवाद का निपटान कर सकेगा। इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और मामलों का जल्द निपटान होगा। इस तरह नि:संदेह यह प्रणाली ईमानदार टैक्सपेयर्स को काफी सुकून प्रदान करेगी। जिससे देश में करदाता ईमानदारी से आयकर भरने के लिए प्रेरित होंगे और सरकार का राजस्व भी बढ़ सकेगा।

पूरी प्रकिया होगी ऑनलाइन

फेसलेस असेसमेंट सिस्टम में पूरी प्रकिया ऑनलाइन (Online) होगी। किसी रिटर्न में कोई स्क्रूटनी (Scrutiny) निकलने पर टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को उनके रजिस्टर्ड ई-फाइलिंग एकाउंट या ई-मेल आईडी पर नोटिस या अपडेट मिलेगा और ऑनलाइन ही रिप्लाई देनी होगी। मामले के निपटान के लिए ऑफिसर से वार्तालाप ऑनलाइन ही होगा। विभाग के पोर्टल पर हर मामले में पूरा ऑडियो वार्तालाप होगा, जो रिकॉर्ड भी होगा। इसमें टैक्सपेयर और ऑफिसर एक-दूसरे का चेहरा नहीं देख पाएंगे। टैक्स विवाद संबंधी मामले किसी एक ऑफिसर के पास नहीं बल्कि एक यूनिट के पास जाएंगे, जिसमें कई ऑफिसर होंगे। हर ऑफिसर से अलग-अलग हियरिंग होगी। यह हियरिंग टैक्सपेयर खुद या उसका सीए कर सकेगा, लेकिन कोई एक-दूसरे को जान नहीं पाएगा। पूरी यूनिट पर सामूहिक जिम्मेदारी होगी। इसलिए अधिकारियों पर मामला जल्द निपटाने का दबाव होगा।

ये मामले नहीं होंगे शामिल

फेसलेस असेसमेंट सिस्टम में सर्च एंज सीजर यानी आयकर छापों के मामले, बड़े टैक्स फ्रॉड यानी टैक्स चोरी के वे बड़े मामले शामिल नहीं किए जाएंगे, जिनमें जब्ती और भौतिक जांच-पड़ताल की जरूरत होती है।

टैक्सपेयर्स के लिए फेसलेस असेसमेंट के फायदे

  1. अब जबकि एक करदाता आयकर विभाग के कार्यालयों में भौतिक उपस्थिति के बिना असेसमेंट का अनुपालन करेगा, तो फेसलेस असेसमेंट से टैक्स प्रणाली में सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है, जिससे करदाता के लिए यात्रा समय और लागत की बचत होगी। साथ ही भौतिक रूप से कोई भी सबमिशन नहीं होने से पर्यावरण अनुकूल भी होगा। 
  2. पहले करदाताओं को स्क्रूटनी यानी जांच के लिए आयकर कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते थे, जिससे भ्रष्टाचार के मामले बढ़ते थे, लेकिन फेसलेस असेसमेंट इलेक्ट्रॉनिक मोड में होगा, जिसके माध्यम से असेसी यानी करदाता को किसी भी अधिकारी का सामना नहीं करना पड़ेगा। 
  3. सरकार ने असेसमेंट के रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम के लिए अत्याधुनिक डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल किया है। ऑटोमेटेड एग्जामिनेशन टूल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग यह सुनिश्चित करेंगी कि कोई मानवीय हस्तक्षेप न हो और आयकर विभाग का भी हस्तक्षेप न्यूनतम हो। नेशनल ई-असेसमेंट सेंटर द्वारा केंद्रीकृत नोटिस जारी होंगे। अब जब 99% से अधिक इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) ऑनलाइन दाखिल हो रहे हैं, तो सिस्टम आसानी से जांचे गए आईटीआर का असेसमेंट करने में मदद करेगा। 

हमे लगता है कि फेसलेस टैक्स असेसमेंट योजना भारत की आयकर प्रणाली के लिए एक ‘गेम चेंजर’ साबित होगी। प्रधानमंत्री ने तीन मुख्य उद्देश्यों को हासिल करने के लिए इसकी शुरूआत की है, ये हैं त्वरित मंजूरी, करदाताओं और अधिकारियों के बीच इंटरफेस कम करना और व्यवसाय करने में आसानी। उम्मीद है कि ये उद्देश्य निश्चित ही पूरे होंगे। इसलिए हम करदाताओं को आशावादी दृष्टिकोण अपनाने और इसका अनुपालन करने के लिए खुद को तैयार करने की सलाह देते हैं।

-सीए हेरत सलोट, पार्टनर, बिलिमोरा एंड कंपनी

यह पूर्व वित्त मंत्री स्व. अरूण जेटली का सपना था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साकार किया है। फेसलेस टैक्स असेसमेंट एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है, जो टेक्नोलॉजी, टीम-आधारित असेसमेंट और आंतरिक संसाधनों का कुशल उपयोग करते हुए भारत की पुरानी जटिल कर व्यवस्था को आसान बनाकर नया स्वरूप प्रदान करेगी। पूरी आयकर प्रणाली अधिक पारदर्शी और दक्ष बनेगी। सबसे अहम बात यह कि अब किसी करदाता के पिछले 8 साल के असेसमेंट नहीं होंगे, आयकर अधिकारियों को केवल 3 साल के ही असेसमेंट करने की अनुमति होगी। इससे उन पर मामले जल्द निपटाने का दबाव बनेगा।

-सीए नरोत्तम मिश्रा, पार्टनर, सीएमसी एंड कंपनी एलएलपी