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  • 30 महीनों के निचले स्तर पर सोना-चांदी

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मुंबई: अमेरिका सहित विश्व स्तर पर रिकॉर्ड तोड़ महंगाई (Inflation) को कंट्रोल करने के लिए जैसे-जैसे अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) अपनी ब्याज दरों (Interest Rates) में तेजी से वृद्धि कर रहा है, वैसे-वैसे अमेरिकी मुद्रा डॉलर (U.S. Dollar) मजबूत हो रही है और वैश्विक बाजारों में कमोडिटी (Commodities) यानी जिंस कीमतों में भारी गिरावट आ रही है। साथ ही सोना-चांदी (Gold & Silver) कीमतों में भी मंदी का माहौल बन गया है। अधिकांश मेटल, एग्री और पेट्रोलियम कमोडिटीज तथा बुलियन (गोल्ड-सिल्वर) के दाम 2022 के निचले स्तरों पर लुढ़क गए हैं। बीते सप्ताह फेडरल रिजर्व ने फिर ब्याज दरों में 0.75% की बड़ी वृद्धि कर डाली। इसके अलावा, इस साल आगे 2.25% की और वृद्धि करने की बात कही है क्योंकि अमेरिका में महंगाई दर अब भी 4 दशकों के उच्च स्तर पर है। 

अगस्त 2022 में यह 8.30% रही थी। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ाए जाने से वहां बॉन्ड मार्केट में निवेश बढ़ रहा है। जिससे डॉलर मजबूत हो रहा है। जब-जब डॉलर मजबूत होता और ब्याज दरें बढ़ती है, तब-तब वैश्विक बाजार में सोना और चांदी की कीमतें भी गिरने लगती है क्योंकि वैश्विक निवेशक सुरक्षित व निश्चित आय के लिए गोल्ड और इक्विटी बाजारों (Equity Markets) से पैसा निकालकर अमेरिकी बैंकों में जमा करने लगते हैं। बहरहाल कमोडिटीज विशेषकर क्रूड ऑयल-गैस (Crude Oil & Natural Gas) और गोल्ड कीमतों में गिरावट भारत के लिए बड़ी राहत है क्योंकि भारत इनका बड़ा आयातक है। इससे कमजोर होती भारतीय मुद्रा को भी सहारा मिलेगा।

सट्टेबाजी पर अंकुश

कमोडिटी कीमतों में गिरावट आने का एक बड़ा कारण ब्याज दरों में वृद्धि तो है, लेकिन दूसरा बड़ा कारण सट्टेबाजी (Speculation) कम होना भी है। वैश्विक बाजारों में भारी सट्टेबाजी के कारण ही विगत दो वर्षों में ऑयल-गैस सहित सभी कमोडिटीज की कीमतें अभूतपूर्व वृद्धि के साथ नई ऊंचाइयों पर पहुंच गयी थी। अमेरिका और यूरोप के सट्टेबाजों ने पहले चाइनीज वायरस की महामारी और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न शॉर्टेज का फायदा उठाकर भारी तेजी ला दी, लेकिन बाद में भारत-चीन सहित कई अन्य देशों को रूस ने कम दाम पर ऑयल बेचना शुरू कर दिया। साथ ही उच्च स्तरों पर मांग घट गयी तो सट्टेबाजी ठंडी हो गयी और कीमतें घटने लगी। विशेषज्ञों का कहना है कि युद्ध के बाद रूस को नुकसान की बजाय फायदा होता देख अमेरिका ने ही सट्टेबाजी कंट्रोल की। तभी ऑयल और अन्य कमोडिटीज की कीमतों में गिरावट आई है। यह सभी जानते हैं कि ऑयल मार्केट पर अमेरिका का ही वर्चस्व है। अमेरिका यह जानता है कि मौजूदा महंगाई मांग आधारित कम और कृत्रिम अधिक है। जब तक कमोडिटी कीमतों में कमी नहीं आएगी, महंगाई नहीं घटेगी। केवल ब्याज दरें बढ़ाने और लिक्विटी कम करने से महंगाई नहीं घटेगी। इसलिए उसने सट्टेबाजी पर भी अंकुश लगाया है।

जिंस बाजारों में छायी मंदी

इस साल रिकॉर्ड उच्च स्तरों से अब तक क्रूड ऑयल, नैचुरल गैस, स्टील, कॉपर, एल्युमिनियम, पाम ऑयल, सोयाबीन और कॉटन की कीमतों में 26% से लेकर 47% की बड़ी गिरावट आ चुकी है। सभी के दाम वर्ष के निचले स्तर पर आ गए हैं। कई कमोडिटीज के दाम तो प्री-कोविड स्तर पर आ गए हैं। बीते सप्ताह भी तीव्र गिरावट आई। इस तरह इन जिंसों के बाजारों में मंदी छा गयी है। 5 जून 2022 को 124 डॉलर की ऊंचाई पर बिकने वाला क्रूड ऑयल बीते शुक्रवार को 86 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।। यानी 30% की मंदी। इसी तरह 14 अगस्त 2022 को 9.30 डॉलर की ऊंचाई छूने के बाद बीते शुक्रवार को नैचुरल गैस के दाम 6।84 डॉलर पर आ गए। यानी 26% की गिरावट। ऑयल-गैस के दाम घटना भारत के लिए खुशखबरी है। हालांकि इस मंदी का असर अभी घरेलू कीमतों में नहीं दिखाई दिया है।

जल्द घटेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम

भारत में पेट्रोल-डीजल (Petrol & Diesel) की खुदरा कीमतें पिछले 4 महीनों से ज्यों की त्यों है। इसका कारण यह है कि जब विगत 4 महीनों में वैश्विक बाजारों में दाम बढ़ रहे थे, तब भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों ने दाम कम बढ़ाए और स्थिर रखे। इसी वजह से अप्रैल-जून तिमाही में बीपीसीएल, एचपीसीएल और इंडियन ऑयल को करीब 18,000 करोड़ रुपए का भारी घाटा हुआ। इस तिमाही में कंपनियां दाम स्थिर रख अपने भारी नुकसान की भरपाई कर रही हैं, लेकिन अब घाटे की भरपाई लगभग पूरी हो चुकी है और अगले सप्ताह से पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती शुरू किए जाने की उम्मीद है।  

शेयर बाजार में ‘बुल रन’ कायम : सिद्धार्थ खेमका

शेयर मार्केट के विशेषज्ञ और मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिटेल रिसर्च हैड सिद्धार्थ खेमका का कहना है कि इस साल अन्य देशों के मुकाबले भारत की अधिक जीडीपी ग्रोथ के कारण भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) आउटपरफॉर्मर रहे हैं, लेकिन बीते सप्ताह ग्लोबल मार्केट की मंदी का असर यहां भी पड़ा। पर भारतीय बाजार में ‘बुल रन’ कायम है और ज्यादा गिरावट की आशंका नहीं है। सेंसेक्स (Sensex) व निफ्टी (Nifty) में ऊपरी स्तरों से 4।3% की गिरावट आ चुकी है तथा 4 से 5% गिरावट संभव है। यह गिरावट निवेशकों के लिए अच्छे शेयरों में निवेश का बढ़िया अवसर है। सेक्टर की बात करें तो हमें ‘3 सी’ यानी क्रेडिट, कंजम्प्शन और कैपिटल एक्सपेंडिचर वाले क्षेत्रों बैंकिंग, कंज्यूमर, ऑटो, रिटेल, रियल इस्टेट, होटल, कैपिटल गुडस और डिफेंस में अधिक ग्रोथ होने की उम्मीद है। चूंकि इस माह सभी कमोडिटीज में बड़ी गिरावट आई है। इसलिए अमेरिका, भारत सहित सभी बड़े देशों में आगे महंगाई दर घटने के आसार हैं। तब फेडरल रिजर्व नरम रूख अपना सकता है। ऐसे में ‍वैश्विक शेयर बाजारों में भी मंदी थमने और फिर सुधार आने की संभावना होगी।

  • टॉप पिक : ICICI बैंक, SBI, ITC, मारूति, M&M, आदित्य बिरला फैशन, ट्रेंट, अल्ट्राटेक, भारत इलेक्ट्रोनिक्स, ओबेराय रियल्टी, कैम्पस एक्टीवियर।

सोने-चांदी में निवेश का अच्छा मौका: संजय शाह

बुलियन मार्केट के विशेषज्ञ और नाइन डीएम के अध्यक्ष संजय शाह का कहना है कि अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से सोने-चांदी की कीमतों पर भी दबाव बना है। वैश्विक बाजार में बीते शुक्रवार को सोना विगत 30 महीनों के निचले स्तर 1650 डॉ़लर प्रति औंस पर आ गया और इस साल ऊपरी स्तर 1975 से अब तक 16.4% गिरा है। चांदी की कीमतों का भी यही हाल है। चांदी ऊपरी स्तर 26.10 डॉ़लर से 27% घटकर बीते शुक्रवार को 18.83 डॉ़लर प्रति औंस पर आ गयी। जबकि भारतीय बाजार में इस साल रुपया 8% कमजोर होने से आयात लागत बढ़ी है। इस वजह से यहां गिरावट कम आई है। मुंबई में बीते शुक्रवार को सोना 49,430 रुपए प्रति दस ग्राम और चांदी 56,100 रुपए प्रति किलो रही। अब अमेरिकी डॉलर का लगभग ‘पीक’ आ गया है और आगे महंगाई दर के आंकड़ों में कमी आने पर फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में ज्यादा वृद्धि नहीं करेगा क्योंकि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी गहराने का खतरा भी है। इसलिए सोना-चांदी में अब 3% से 5% से अधिक गिरावट की संभावना नहीं है। लिहाजा सोमवार से शुरु हो रहे नवरात्रि पर्व से सोना-चांदी में निवेश का अच्छा मौका है क्योंकि अगले एक साल में 8 से 10% तेजी आने की प्रबल संभावना है।